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हल्द्वानी अतिक्रमण पर SC के फैसले को हरदा ने बताया 'सुप्रीम', कहा- सरकार के मंत्री करवा रहे कब्जा

हल्द्वानी रेलवे जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. वहीं, इसको लेकर भाजपा और कांग्रेस ने फैसले का स्वागत किया है, लेकिन इसको लेकर सियासत अब भी जारी है. पूर्व सीएम हरीश रावत ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को सुप्रीम बताया है. वहीं, उन्होंने भाजपा सरकार के मंत्री पर ही अवैध कब्जा कराने का आरोप लगाया है.

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Published : Jan 5, 2023, 5:55 PM IST

हल्द्वानी अतिक्रमण पर SC के फैसले को हरदा ने बताया 'सुप्रीम.

देहरादून: हल्द्वानी के वनभूलपूरा में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है. जिसके बाद से ही वनभूलपुरा निवासी काफी राहत महसूस कर रहे हैं. वहीं, भाजपा और कांग्रेस के नेता भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानवीय फैसला बताते हुए स्वागत करते हैं. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी उच्चतम न्यायालय के फैसले को सुप्रीम निर्णय बताया है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में हरीश रावत ने कहा हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत बड़ा जजमेंट है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय चेहरे को देखते हुए सुप्रीम निर्णय सुनाया है. लिहाजा वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. इस फैसले से पूरा उत्तराखंड राहत महसूस कर रहा है. जिनके आशियाने पर तलवार लटक रही थी, वह सुप्रीम कोर्ट और भगवान का शुक्रिया अदा कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मानवीय चेहरे को बचा लिया है.

रिवरफ्रंट डेवलपमेंट के तहत 2016 के बाद नहीं हुआ काम: हरीश रावत ने कहा पिछले 3-4 दिनों से वह लगातार ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से कह रहे थे कि वह मानवीय समस्या की तरफ अपनी दृष्टि करें. वहीं, उन्होंने कहा साल 2016 में जो मलिन बस्तियों के नियमितीकरण का कानून बनाया गया था, उसके जरिए समस्या का हल निकाला जा सकता है. क्योंकि, कांग्रेस सरकार में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट के तहत साल 2016 में तमाम काम किए गए थे, लेकिन कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने के बाद इस दिशा में कोई भी काम नहीं हुआ है. लिहाजा इसके चारों तरफ ही सॉल्यूशन निकालना पड़ेगा.
ये भी पढ़ें: हल्द्वानी रेलवे भूमि अतिक्रमण मामला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लोगों ने जताई खुशी

कब्जे के दौरान ही अंकुश लगाने की जरूरत: रेलवे की जमीनों पर अतिक्रमणकारियों को मानवीय चेहरे के आधार पर राहत भले ही मिल गया हो, लेकिन इसका एक पहलू और भी है कि अगर ऐसे ही लोग सरकारी जमीनों पर कब्जे करते रहे तो आने वाले समय में न सिर्फ एक गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी, बल्कि सरकारी जमीनों पर कब्जा करने के लिए अतिक्रमणकारियों को और अधिक बल मिलेगा. जिस पर हरीश रावत ने कहा कि जब कब्जे किए जा रहे हो, उस समय यह देखना चाहिए. उन्होंने कहा जब वो मुख्यमंत्री थे तो, उन्होंने सभी एसएसपी और थानेदारों को इस बाबत निर्देश दिए थे कि सरकारी जमीनों पर कब्जे ना होने पाए और अगर कब्जे होते भी हैं तो, इसके जिम्मेदार खुद उस क्षेत्र के एसएसपी और थानेदार होंगे.
ये भी पढ़ें: 'रातों-रात नहीं हटाए जा सकते 50 हजार लोग', 4 हजार घरों को तोड़ने पर 'सुप्रीम' रोक!

अतिक्रमण की वजह से गायब हो गई रिस्पना और बिंदाल नदी: हरीश रावत ने कहा कि वर्तमान समय में स्थिति यह है कि अतिक्रमण की वजह से रिस्पना और बिंदाल नदी समेत दूसरी नदियां भी पूरी तरह से गायब हो गई है. क्योंकि इन नदियों के खालों में अवैध निर्माण हो गए हैं और ये सभी अवैध निर्माण भाजपा के संरक्षण में हो रहे हैं.

भाजपा सरकार के मंत्री करवा रहे हैं अवैध कब्जे: देहरादून में भी अतिक्रमण को लेकर स्थिति काफी अच्छी नहीं है. क्योंकि यहां पर भी नदी नालों के किनारों के साथ ही तमाम सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हो रखे हैं. जिसमें मुख्य रूप से वोट बैंक की राजनीति के चलते तमाम लोगों को उत्तर प्रदेश से यहां बसाया गया है. जिसको लेकर हरीश रावत ने कहा कि भाजपा सरकार के मंत्री ही अवैध कब्जा करवा रहे हैं.

कांग्रेस शासनकाल में अवैध कब्जे पर अंकुश: हरीश रावत ने कहा कांग्रेस शासनकाल के दौरान केवल सुधार और नियमितीकरण की बात हुई है, लेकिन बसाने का काम नहीं हुआ. अवैध अतिक्रमण पर कांग्रेस सरकार के दौरान पूरी तरह से अंकुश बरकरार रहा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी के रेलवे जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाए जाने पर रोक जरूर लगा दी है. ऐसे में आने वाले समय में सरकार क्या कुछ कदम उठाएगी, इस सवाल पर हरदा ने कहा साल 2016 में कांग्रेस सरकार ने जो कदम उठाए थे, उन कदम के जरिए ही इन समस्याओं का निस्तारण किया जा सकता है.

हल्द्वानी अतिक्रमण पर SC के फैसले को हरदा ने बताया 'सुप्रीम.

देहरादून: हल्द्वानी के वनभूलपूरा में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है. जिसके बाद से ही वनभूलपुरा निवासी काफी राहत महसूस कर रहे हैं. वहीं, भाजपा और कांग्रेस के नेता भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानवीय फैसला बताते हुए स्वागत करते हैं. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी उच्चतम न्यायालय के फैसले को सुप्रीम निर्णय बताया है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में हरीश रावत ने कहा हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत बड़ा जजमेंट है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय चेहरे को देखते हुए सुप्रीम निर्णय सुनाया है. लिहाजा वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. इस फैसले से पूरा उत्तराखंड राहत महसूस कर रहा है. जिनके आशियाने पर तलवार लटक रही थी, वह सुप्रीम कोर्ट और भगवान का शुक्रिया अदा कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मानवीय चेहरे को बचा लिया है.

रिवरफ्रंट डेवलपमेंट के तहत 2016 के बाद नहीं हुआ काम: हरीश रावत ने कहा पिछले 3-4 दिनों से वह लगातार ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से कह रहे थे कि वह मानवीय समस्या की तरफ अपनी दृष्टि करें. वहीं, उन्होंने कहा साल 2016 में जो मलिन बस्तियों के नियमितीकरण का कानून बनाया गया था, उसके जरिए समस्या का हल निकाला जा सकता है. क्योंकि, कांग्रेस सरकार में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट के तहत साल 2016 में तमाम काम किए गए थे, लेकिन कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने के बाद इस दिशा में कोई भी काम नहीं हुआ है. लिहाजा इसके चारों तरफ ही सॉल्यूशन निकालना पड़ेगा.
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कब्जे के दौरान ही अंकुश लगाने की जरूरत: रेलवे की जमीनों पर अतिक्रमणकारियों को मानवीय चेहरे के आधार पर राहत भले ही मिल गया हो, लेकिन इसका एक पहलू और भी है कि अगर ऐसे ही लोग सरकारी जमीनों पर कब्जे करते रहे तो आने वाले समय में न सिर्फ एक गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी, बल्कि सरकारी जमीनों पर कब्जा करने के लिए अतिक्रमणकारियों को और अधिक बल मिलेगा. जिस पर हरीश रावत ने कहा कि जब कब्जे किए जा रहे हो, उस समय यह देखना चाहिए. उन्होंने कहा जब वो मुख्यमंत्री थे तो, उन्होंने सभी एसएसपी और थानेदारों को इस बाबत निर्देश दिए थे कि सरकारी जमीनों पर कब्जे ना होने पाए और अगर कब्जे होते भी हैं तो, इसके जिम्मेदार खुद उस क्षेत्र के एसएसपी और थानेदार होंगे.
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अतिक्रमण की वजह से गायब हो गई रिस्पना और बिंदाल नदी: हरीश रावत ने कहा कि वर्तमान समय में स्थिति यह है कि अतिक्रमण की वजह से रिस्पना और बिंदाल नदी समेत दूसरी नदियां भी पूरी तरह से गायब हो गई है. क्योंकि इन नदियों के खालों में अवैध निर्माण हो गए हैं और ये सभी अवैध निर्माण भाजपा के संरक्षण में हो रहे हैं.

भाजपा सरकार के मंत्री करवा रहे हैं अवैध कब्जे: देहरादून में भी अतिक्रमण को लेकर स्थिति काफी अच्छी नहीं है. क्योंकि यहां पर भी नदी नालों के किनारों के साथ ही तमाम सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हो रखे हैं. जिसमें मुख्य रूप से वोट बैंक की राजनीति के चलते तमाम लोगों को उत्तर प्रदेश से यहां बसाया गया है. जिसको लेकर हरीश रावत ने कहा कि भाजपा सरकार के मंत्री ही अवैध कब्जा करवा रहे हैं.

कांग्रेस शासनकाल में अवैध कब्जे पर अंकुश: हरीश रावत ने कहा कांग्रेस शासनकाल के दौरान केवल सुधार और नियमितीकरण की बात हुई है, लेकिन बसाने का काम नहीं हुआ. अवैध अतिक्रमण पर कांग्रेस सरकार के दौरान पूरी तरह से अंकुश बरकरार रहा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी के रेलवे जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाए जाने पर रोक जरूर लगा दी है. ऐसे में आने वाले समय में सरकार क्या कुछ कदम उठाएगी, इस सवाल पर हरदा ने कहा साल 2016 में कांग्रेस सरकार ने जो कदम उठाए थे, उन कदम के जरिए ही इन समस्याओं का निस्तारण किया जा सकता है.

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