देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वैक्सीनेशन अभियान के दौरान टीके की हो रही कमी को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि टीकाकरण को लेकर राज्य और केंद्र में एक राय नहीं बन पा रही है. जिस कारण वैक्सीन लगाने के लिए लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हरीश रावत का कहना है कि आज भारत की राजनीतिक स्थिति यह हो गई है कि अगर कोरोना को लेकर कांग्रेस कोई सुझाव दे रही है तो उन सुझावों को नकारात्मक बता कर उसका मखौल उड़ाया जा रहा है.
पूर्व सीएम हरीश रावत ने टीकाकरण को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हम आह भी भरते हैं तो कर दिए जाते हैं बदनाम और वो कत्ल भी कर देते हैं तो कहते हैं चर्चा न करें. कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिल रहा है. जब कांग्रेस पार्टी अगर कोरोना की रोकथाम को लेकर सरकार को कोई सुझाव दे रही है तो उन सुझावों का मखौल उड़ाया जा रहा है. कोरोना के खिलाफ यह तथ्य सारी दुनिया ने मान लिया है कि अगर इस संक्रमण से बचाव है तो वह है वैक्सीन. लेकिन वैक्सीन पर राज्य और केंद्र सरकार में एक राय नहीं बन पा रही है. उन्होंने कहा कि टीकाकरण पॉलिसी में सबसे महत्वपूर्ण टीके का उपलब्ध होना जरूरी है. वैक्सीन सबको सरलता और सजगता से उपलब्ध होनी चाहिए. इसके साथ ही टीके की उपलब्धता की तिथि, स्थान और समय पूर्व घोषित होने के साथ ही टीके का सस्ता होना भी जरूरी है.
पढ़ें: ऋषि गंगा त्रासदी: SDRF को तपोवन टनल से मिला एक और शव, 121 लोग अभी भी लापता
हरीश रावत ने कहा कि केंद्र जिस दाम पर टीके खरीद रहा है उसी दाम पर राज्यों को भी उपलब्ध होना चाहिए. लेकिन ऐसा लग रहा है राज्य और केंद्र सरकारें किसी और देश की हैं और राज्य सरकारों को प्रतिस्पर्धा के लिए छोड़ दिया गया है. लेकिन अभी ऐसा लग रहा है कि जो नई वैक्सीन नीति बनी है वह राज्यों को दंडित करने के लिए बनाई गई है.