देहरादून: उत्तराखंड-यूपी परिसंपत्ति विवाद (Uttarakhand-UP asset dispute) को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने लखनऊ में बैठक की. जिसके बाद धामी ने कहा कि दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्ति को लेकर विवाद जैसी कोई स्थिति नहीं है, लेकिन प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) उनकी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. हरदा ने परिसंपत्ति विवाद को लेकर भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है.
हरदा ने भाजपा सरकार पर सवाल (Question on BJP government) उठाते हुए कहा कि दिल्ली में भी भाजपा, लखनऊ में भी भाजपा और देहरादून में भी भाजपा, लेकिन परिसंपत्तियों का विवाद (property dispute) 'जस का तस' बना हुआ है. हमारे समय में सिंगल इंजन वाली सरकार ने, तीनों जगह अलग-अलग सरकारें होने के बावजूद नहरों का मामला निपटाया, कुछ जलाशयों का मामला निपटाया, रोडवेज की परिसंपत्तियों का मामला कुछ सीमा तक निपटाया.
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वहीं, जमरानी (jamrani) पर उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) से पब्लिक कमिटमेंट (public commitment) कराया कि हम राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के रूप में एक एमओयू साइन करेंगे और उस एमओयू का आधार जो केवल 2 शर्तें रखी गई कि जितना पानी किच्छा से नीचे उत्तर प्रदेश के पास है, वो मात्रा बनी रहेगी. दूसरा एमओयू हुआ कि बिजली में उनको कुछ शेयर दिया जाएगा, लेकिन आज तक जमरानी पर कुछ भी बात आगे नहीं बढ़ी है.
वहीं, रोडवेज का मामला और उलझ गया है. नहरों और जलाशयों पर यूपी ने जितना परिसंपत्तियों को हस्तांतरण (transfer of assets) कर दिया था. उससे आगे बात नहीं बढ़ी है. तीनों जगहों पर एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद और उत्तर प्रदेश में उत्तराखंडी व्यक्ति सीएम होने के बावजूद भी परिसंपत्तियों का निपटारा नहीं हो पाया है.
अब एक राजनीतिक चर्चा के लिए हम कुछ भी कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री मिल रहे हैं. मैं तो यह कहना चाहूंगा कि अच्छा है मुख्यमंत्री जी आप मिलिए. मगर कुछ लेकर के आइए. जो अन्याय है, उस अन्याय का क्या प्रतिकार है, वो लेकर आइए और उसको बताइए, खाली हाथ मत आइए.