देहरादूनः उत्तराखंड में बीजेपी सरकार ने महिलाओं के लिए 'मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना' शुरू की है. अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी घास लाने वाली महिलाओं के लिए घस्यारी सम्मान पेंशन योजना शुरू करने की घोषणा की है, लेकिन इस घोषणा के साथ ही प्रदेश में एक नया विवाद भी शुरू हो गया है. जिस पर पार्टी के नेता अब सफाई दे रहे हैं.
गौर हो कि बीते साल यानी 30 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने देहरादून से 'मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना' का शुभारंभ किया था. जिसका बीजेपी सरकार ने खूब प्रचार-प्रसार भी किया. जब यह योजना बीजेपी की तरफ से प्रचारित की जा रही थी, तब कांग्रेस और खुद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस योजना पर सवाल खड़े करते हुए बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए थे. उस दौरान कांग्रेस ने गांव में घास लेने वाली महिलाओं को घस्यारी कहने पर आपत्ति दर्ज कराई थी.
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इतना ही नहीं कांग्रेस ने इसे महिलाओं का अपमान बताया था. लेकिन अब खुद हरीश रावत ने ही घास लाने वाली महिलाओं के लिए घस्यारी सम्मान पेंशन योजना की शुरुआत करने की बात कही है. दरअसल, हरीश रावत ने एक वीडियो साझा किया है, जिसमें उन्होंने अपनी मां को याद किया है. उन्होंने कहा कि 'एक कठिन चुनाव अभियान के बाद सुबह जब नींद खुली तो मुझे अपनी मां बहुत याद आईं.
जब मैं मुख्यमंत्री था, उस समय मैं अपनी मां को स्मरण कर, जब भी दर्शन करता था तो लगता था वो मुझसे कुछ कह रही हैं कि गरीबों के लिए कुछ करो. हरीश रावत का कहना है कि घास और लकड़ी लेकर आने वाली आज भी कई बहनें हैं. ऐसे में सत्ता और प्रदेश की बागडोर उनके हाथ में आने पर घस्यारी सम्मान पेंशन शुरू करेंगे. चाहे ₹500 से ही शुरू करना पड़े.'
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हरीश रावत का यह बयान यूं तो गांव में घास लाने वाली महिलाओं के लिए अच्छी खबर है, लेकिन घस्यारी शब्द को लेकर जिस पर पहले खुद कांग्रेस बीजेपी का विरोध कर रही थी, उसी शब्द के साथ महिलाओं के लिए इस योजना को शुरू करने की बात कहने पर कांग्रेस बैकफुट पर भी दिखाई दे रही है. इस मामले पर पार्टी के प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी ने जवाब देते हुए कहा कि यह योजना पेंशन से जुड़ी है और इसका बीजेपी की योजना से कोई सरोकार नहीं, लेकिन मथुरा दत्त जोशी घस्यारी शब्द को लेकर कोई जवाब नहीं दे पाए.