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पटवारी और लेखपाल भर्ती को लेकर हमलावर हुए हरदा, सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

पूर्व सीएम हरीश रावत ने पटवारी और लेखपाल भर्ती को लेकर सरकार पर निशाना साधा है.

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पटवारी और लेखपाल भर्ती को लेकर हमलावर हुए हरदा
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Published : Jun 27, 2021, 10:05 PM IST

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत(Harish Rawat) ने एक बार फिर सरकार पर हमला बोला है. इस बार उन्होंने पटवारी और लेखपाल भर्ती (Patwari and Lekhpal Recruitment) को लेकर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है. हरीश रावत ने सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार पर पटवारी और लेखपाल भर्ती निकाले जाने में हुई देरी को मुद्दा बनाया है. उन्होंने लिखा 'बड़ी देर कर दी मेहरबां आते आते'. उन्होंने कहा बीते 2015 में यह भर्तियां राज्य में हुई थी. आज राज्य सरकार को 6 साल बाद इनकी याद आई है.

हरीश रावत का कहना है कि सरकार ने इस मामले को इतना उलझा दिया है कि लोग न्यायालय की शरण में जाएं, ताकि यह सरकार पर किसी तरह से भर्तियों को लेकर सवाल न उठें. उन्होंने कहा राज्य सरकार की भर्तियों को लेकर यही मंशा है. उन्होंने भर्ती में हाइट का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें उत्तराखंडी मूल का एक कन्फ्यूजन पैदा किया गया है, क्योंकि सत्य तो यह है कि सेना में भर्ती के लिए हाइट 163 सेंटीमीटर रखी जाती है. जबकि लेखपाल और पटवारी के लिए राज्य सरकार ने 168 सेंटीमीटर कर दी है. 2015 में यह भर्तियां 155 सेंटीमीटर पर हुई थी.

पढ़ें- उत्तराखंड में आज कोरोना कर्फ्यू को लेकर होगा मंथन, राहत मिलने की उम्मीद

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर ऐसा क्या अंतर आया कि उत्तराखंडवासियों की हाइट बढ़ गई. ऐसे में क्या कोई स्टडी है? जिस कारण सरकार ने ऊंचाई को लेकर इतना बड़ा परिवर्तन किया है. उसमें मूल निवासी के नाम पर 5 सेंटीमीटर की छूट दी गई है. जिसको लेकर एक बड़ा भ्रम पैदा हो गया है.

पढ़ें- कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कसी कमर

हरीश रावत का कहना है कि मामला उलझने से भ्रम पैदा हो रहा है और हो सकता है लोग इस भ्रम के निवारण के लिए कोर्ट जाएं. उतना ही बड़ा भ्रम कट ऑफ को लेकर भी पैदा हुआ है. 1 साल पीछे की कट ऑफ डेट के आधार पर मुख्यमंत्री भर्ती करवा रहे हैं, जो उचित नहीं है.

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत(Harish Rawat) ने एक बार फिर सरकार पर हमला बोला है. इस बार उन्होंने पटवारी और लेखपाल भर्ती (Patwari and Lekhpal Recruitment) को लेकर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है. हरीश रावत ने सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार पर पटवारी और लेखपाल भर्ती निकाले जाने में हुई देरी को मुद्दा बनाया है. उन्होंने लिखा 'बड़ी देर कर दी मेहरबां आते आते'. उन्होंने कहा बीते 2015 में यह भर्तियां राज्य में हुई थी. आज राज्य सरकार को 6 साल बाद इनकी याद आई है.

हरीश रावत का कहना है कि सरकार ने इस मामले को इतना उलझा दिया है कि लोग न्यायालय की शरण में जाएं, ताकि यह सरकार पर किसी तरह से भर्तियों को लेकर सवाल न उठें. उन्होंने कहा राज्य सरकार की भर्तियों को लेकर यही मंशा है. उन्होंने भर्ती में हाइट का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें उत्तराखंडी मूल का एक कन्फ्यूजन पैदा किया गया है, क्योंकि सत्य तो यह है कि सेना में भर्ती के लिए हाइट 163 सेंटीमीटर रखी जाती है. जबकि लेखपाल और पटवारी के लिए राज्य सरकार ने 168 सेंटीमीटर कर दी है. 2015 में यह भर्तियां 155 सेंटीमीटर पर हुई थी.

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उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर ऐसा क्या अंतर आया कि उत्तराखंडवासियों की हाइट बढ़ गई. ऐसे में क्या कोई स्टडी है? जिस कारण सरकार ने ऊंचाई को लेकर इतना बड़ा परिवर्तन किया है. उसमें मूल निवासी के नाम पर 5 सेंटीमीटर की छूट दी गई है. जिसको लेकर एक बड़ा भ्रम पैदा हो गया है.

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हरीश रावत का कहना है कि मामला उलझने से भ्रम पैदा हो रहा है और हो सकता है लोग इस भ्रम के निवारण के लिए कोर्ट जाएं. उतना ही बड़ा भ्रम कट ऑफ को लेकर भी पैदा हुआ है. 1 साल पीछे की कट ऑफ डेट के आधार पर मुख्यमंत्री भर्ती करवा रहे हैं, जो उचित नहीं है.

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