देहरादून: प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है. बेकाबू हालातों में पूर्व सीएम हरीश रावत लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार का ध्यान बेड, आईसीयू, वेंटिलेटर जैसे संसाधनों की कमी को पूरा करने की ओर आकर्षित कर रहे हैं. अब हरीश रावत ने ग्राम प्रधानों की समस्याएं उठाते हुए सरकार से उन्हें कोरोना वॉरियर्स का दर्जा दिए जाने की मांग की है. साथ ही उनका बीमा और कोविड-19 वैक्सीन लगाने में प्राथमिकता दिए जाने का आग्रह किया है.
हरीश रावत का कहना है कि सरकार ने विपक्ष के सामूहिक सुझाव की अनदेखी करते हुए ग्राम प्रधानों को गांवों में कोरोना सेंटर्स के संचालन का जिम्मा सौंपा है. उन्होंने कहा कि संक्रमण की रोकथाम के लिए राज्य के एंट्री प्वाइंट जैसे कोटद्वार, रामनगर, हल्द्वानी, रुद्रपुर, टनकपुर हरिद्वार, ऋषिकेश, विकास नगर और देहरादून में क्वारंटाइन सेंटर खोले जाएं. उन सेंटर्स पर बाहर से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन किया जाए. उसके बाद सरकार वहां से उनको गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था करे. इससे गांव के अंदर पूर्ण रूप से सुरक्षित व्यक्ति प्रवेश कर पाएगा.
हरीश रावत ने ग्राम प्रधानों की समस्याएं भी उठाते हुए कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में सरकार ग्राम प्रधानों से काम ले रही है. ऐसे में उन्हें कोरोना वॉरियर्स का दर्जा दिया जाना चाहिए. हरदा ने कहा कि वो भी अब फ्रंटलाइन वॉरियर्स हैं. हालांकि उनका रोल चिकित्सकीय नहीं है, लेकिन संक्रमण की रोकथाम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान निरंतर संक्रमित लोगों के संपर्क में भी आएंगे, इसलिए उनको कोविड-19 वैक्सीन लगाने में प्राथमिकता दिए जाने के साथ ही उनका बीमा किया जाये. ताकि ग्राम प्रधान निर्भीक होकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें.
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हरीश रावत ने सरकार को कोविड-19 मरीजों के तीमारदारों को भी एक प्राथमिकता सर्टिफिकेट दिए जाने का सुझाव दिया है. ऐसे में उनकी उम्र को ध्यान में रखे बिना उन्हें भी कोविड-19 वैक्सीन लगाने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए. हरीश रावत ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि कुटुंब जन अपनी जान जोखिम में डालकर कोविड-19 मरीजों की तीमारदारी और देखरेख कर रहे हैं.