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हरदा की पीड़ा- 'हार का सबसे ज्यादा दंड मुझे ही क्यों भुगतना पड़ता है? गंगा किनारे क्षमा मांगने को तैयार' - उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022

लालकुआं के चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर हैं. ऐसे में हरीश रावत सोशल मीडिया के जरिए अपना दर्द बंया कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि आखिर उन्हें ही चुनावी हार का सबसे ज्यादा दंड भुगतना पड़ता है? हरीश रावत अपनी गलतियों के क्षमा भी मागने को तैयार हैं.

Harish Rawat
हरीश रावत
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Published : Mar 26, 2022, 5:06 PM IST

देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इन दिनों अपना दर्द-ए-दिल सोशल मीडिया के जरिए बंया कर रहे हैं. 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जो करारी हार का सामना करना पड़ा है, उसकी वजह से हरदा इन दिनों काफी परेशान नजर आ रहे हैं. हरीश रावत ने खुद इस बात का जिक्र किया है कि चुनाव में सर्वाधिक दंड उन्हें ही भुगतना पड़ता है.

गलतियों के लिए क्षमा मांगेंगे हरदा: हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर जो पोस्ट की उसमें लिखा कि उनके मन में यही चल रहा है कि वे पहले अपने गांव मोहनरी जाएं या फिर मां गंगा के किनारे हरिद्वार में जाकर 10 दिनों तक एक कुटिया में प्रवास करें. हरीश रावत ने आगे लिखा कि वो मां गंगा के जल से भगवान दक्षेश्वर का जलाभिषेक कर अपनी उन गलतियों के लिए क्षमा मांगेंगे, जिनके कारण हर चुनाव में सर्वाधिक दंड उन्हें ही भुगतना पड़ता है.
पढ़ें- हरदा ने किशोर को बताया हनुमान, बोले- 'लंका विजय के समय वो रावण के कक्ष में बैठे थे'

लालकुआं की हार का दर्द: हरीश रावत ने कहा कि कितना अजीब है कि उन्होंने पूरी पार्टी के लिए उत्तराखंडियत का एक कवच तैयार किया, जिसे बीजेपी भेद नहीं पाई है. प्रधानमंत्री को खुद टोपी पहनकर उत्तराखंडियत के महत्व को स्वीकारना पड़ा, फिर भी वे उत्तराखंडियत के मायके लालकुआं में बुरी तरीके से पराजित हो गए. हरीश रावत ने अपना दर्द बंया करते हुए कहा कि लालकुआं में ऐसा लग रहा था कि जैसे चुनकर के बूथ दर बूथ उन्हें दंडित करने का जनता इंतजार कर रही थी. हालांकि, जीत-हार होती है, मगर विचार की हार नहीं होनी चाहिए.

हरीश रावत ने कहा कि उनका मानना है कि जो विचार 2014 में उन्होंने आगे बढ़ाएं, वही विचार उत्तराखंड में पलायन, बेरोजगारी, गरीबी और खाली होते गांवों की जिंदगी आदि का समाधान है. उन्हें कोई भी हरिद्वार, उधमसिंह नगर और सीमांता जिलों के लिए ऐसा नया विचार लेकर आगे बढ़ता हुआ नहीं दिख रहा है, जिसके आधार पर वे कह सकें कि उत्तराखंड इस पर बढ़ते हुए अपनी चुनौतियों का समाधान निकालेगा.
पढ़ें- हरीश रावत ने धामी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होने की बताई वजह, आलोचना से आह

हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे हरदा: हरीश रावत ने कहा कि वे तो मां गंगा और भगवास शिव से यह प्रार्थना जरूर करेंगे कि भगवन आप गंगा के जल से जलाभिषेशित होकर जरा मार्गदर्शन करिए, कहीं जिन बातों को मैं कह रहा हूं, उनसे इतर तो कुछ समाधान उत्तराखंड की समस्याओं का नहीं है. शरीर भी कमजोर हो रहा है. चाहता हूं 8-10 दिन हनुमान जी की मूर्ति के सामने मैं हनुमान चालीसा का पाठ भी पढ़ूं.

बता दें 2017 और 2022 के दो विधानसभा चुनाव में हरीश रावत को लगातार हार का सामना करना पड़ा है. 2017 का चुनाव तो हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस ने लड़ा था और उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित किया था, लेकिन 2017 में सीएम होते हुए भी हरीश रावत हरिद्वार की ग्रामीण और उधमसिंह नगर की किच्छा सीट से हार गए थे.
पढ़ें- उत्तराखंड ने रचा इतिहास, प्रदेश की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने ली शपथ

वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में भी हरीश रावत ने खुद को सीएम फेस घोषित कर दिया था. हालांकि, पार्टी हाईकमान की फटकार के बाद उन्होंने अपना ये बयान वापस ले लिया था. लेकिन इस बार भी उन्हें लालकुआं विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा है. इसी वजह से वह बीजेपी के साथ-साथ अपने ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर भी है. यही कारण है कि आज कल हरीश रावत सोशल मीडिया पर अपने दर्द बंया कर हैं और पूछ रहे हैं कि आखिर उनसे गलती कहां हुई है. क्यों उन्हें ही चुनाव की हार का सबसे ज्यादा दंड भुगतना पड़ रहा है.

देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इन दिनों अपना दर्द-ए-दिल सोशल मीडिया के जरिए बंया कर रहे हैं. 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जो करारी हार का सामना करना पड़ा है, उसकी वजह से हरदा इन दिनों काफी परेशान नजर आ रहे हैं. हरीश रावत ने खुद इस बात का जिक्र किया है कि चुनाव में सर्वाधिक दंड उन्हें ही भुगतना पड़ता है.

गलतियों के लिए क्षमा मांगेंगे हरदा: हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर जो पोस्ट की उसमें लिखा कि उनके मन में यही चल रहा है कि वे पहले अपने गांव मोहनरी जाएं या फिर मां गंगा के किनारे हरिद्वार में जाकर 10 दिनों तक एक कुटिया में प्रवास करें. हरीश रावत ने आगे लिखा कि वो मां गंगा के जल से भगवान दक्षेश्वर का जलाभिषेक कर अपनी उन गलतियों के लिए क्षमा मांगेंगे, जिनके कारण हर चुनाव में सर्वाधिक दंड उन्हें ही भुगतना पड़ता है.
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लालकुआं की हार का दर्द: हरीश रावत ने कहा कि कितना अजीब है कि उन्होंने पूरी पार्टी के लिए उत्तराखंडियत का एक कवच तैयार किया, जिसे बीजेपी भेद नहीं पाई है. प्रधानमंत्री को खुद टोपी पहनकर उत्तराखंडियत के महत्व को स्वीकारना पड़ा, फिर भी वे उत्तराखंडियत के मायके लालकुआं में बुरी तरीके से पराजित हो गए. हरीश रावत ने अपना दर्द बंया करते हुए कहा कि लालकुआं में ऐसा लग रहा था कि जैसे चुनकर के बूथ दर बूथ उन्हें दंडित करने का जनता इंतजार कर रही थी. हालांकि, जीत-हार होती है, मगर विचार की हार नहीं होनी चाहिए.

हरीश रावत ने कहा कि उनका मानना है कि जो विचार 2014 में उन्होंने आगे बढ़ाएं, वही विचार उत्तराखंड में पलायन, बेरोजगारी, गरीबी और खाली होते गांवों की जिंदगी आदि का समाधान है. उन्हें कोई भी हरिद्वार, उधमसिंह नगर और सीमांता जिलों के लिए ऐसा नया विचार लेकर आगे बढ़ता हुआ नहीं दिख रहा है, जिसके आधार पर वे कह सकें कि उत्तराखंड इस पर बढ़ते हुए अपनी चुनौतियों का समाधान निकालेगा.
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हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे हरदा: हरीश रावत ने कहा कि वे तो मां गंगा और भगवास शिव से यह प्रार्थना जरूर करेंगे कि भगवन आप गंगा के जल से जलाभिषेशित होकर जरा मार्गदर्शन करिए, कहीं जिन बातों को मैं कह रहा हूं, उनसे इतर तो कुछ समाधान उत्तराखंड की समस्याओं का नहीं है. शरीर भी कमजोर हो रहा है. चाहता हूं 8-10 दिन हनुमान जी की मूर्ति के सामने मैं हनुमान चालीसा का पाठ भी पढ़ूं.

बता दें 2017 और 2022 के दो विधानसभा चुनाव में हरीश रावत को लगातार हार का सामना करना पड़ा है. 2017 का चुनाव तो हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस ने लड़ा था और उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित किया था, लेकिन 2017 में सीएम होते हुए भी हरीश रावत हरिद्वार की ग्रामीण और उधमसिंह नगर की किच्छा सीट से हार गए थे.
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वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में भी हरीश रावत ने खुद को सीएम फेस घोषित कर दिया था. हालांकि, पार्टी हाईकमान की फटकार के बाद उन्होंने अपना ये बयान वापस ले लिया था. लेकिन इस बार भी उन्हें लालकुआं विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा है. इसी वजह से वह बीजेपी के साथ-साथ अपने ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर भी है. यही कारण है कि आज कल हरीश रावत सोशल मीडिया पर अपने दर्द बंया कर हैं और पूछ रहे हैं कि आखिर उनसे गलती कहां हुई है. क्यों उन्हें ही चुनाव की हार का सबसे ज्यादा दंड भुगतना पड़ रहा है.

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