देहरादूनः पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के प्रतिष्ठानों पर विजिलेंस की छापेमारी के बाद सियासत गरमा गई है. हरक रावत ने स्पष्ट किया है कि उन पर विजिलेंस की ओर से करवाई राजनीति से प्रेरित है और सरकार के खिलाफ जिस तरह उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर आवाज उठाई थी, इससे बौखलाकर सरकार ने अब जांच एजेंसी से कार्रवाई करने का काम किया है. इसके अलावा त्रिवेंद्र रावत के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.
छापेमारी में जनरेटर मिलने पर क्या बोले हरक? विजिलेंस टीम की छापेमारी के दौरान हरक सिंह रावत के प्रतिष्ठानों से दो जनरेटर मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये जनरेटर कोरोना काल के दौरान वन विभाग ने खुद दिए थे. साल 2022 में ही उनके निजी सचिव (PS) ने इन जेनरेटर को वापस ले जाने के लिए भी पत्र लिखा था, लेकिन वन विभाग की तरफ से न तो कभी उन्हें जनरेटर वापस ले जाने के लिए कोई पत्र आया न ही वन विभाग इन्हें वापस ले गया.
त्रिवेंद्र रावत के 'पाप का घड़ा' बयान पर बोले हरक, कहां जुटाई संपत्ति? विजिलेंस की कार्रवाई के बाद हरक सिंह रावत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जो आक्रामक बयान दिया, उसे पर भी हरक सिंह रावत बोलते हुए नजर आए. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विजिलेंस की कार्रवाई के बाद पाप का घड़ा भरने की बात कही थी. इस पर हरक सिंह रावत ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत केवल दो बार विधायक रहे हैं और उनकी पत्नी प्राइमरी की शिक्षक हैं.
सूर्यधार झील में गड़बड़ी की कराएं सीबीआई जांचः हरक रावत ने कहा कि त्रिवेंद्र रावत की पत्नी को देहरादून में ही लगातार पोस्टिंग मिलती रहीं, क्या यह भ्रष्टाचार नहीं था. इसके अलावा उन्होंने जो संपत्ति जुटाया है, वो कैसे अर्जित की? इसके लिए भी सीबीआई जांच के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत को बोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते सूर्यधार झील में जो गड़बड़ी हुई, उस पर भी सीबीआई जांच करवानी चाहिए.
जब एक भ्रष्टाचारी को मंत्री बनाया तो मुख्यमंत्री भी भ्रष्टाचारी होगाः हरक सिंह रावत यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने कहा कि जो बीजेपी के नेता उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं, वो पहले ये बताएं कि उनकी सरकार में उन्हें 5 साल तक मंत्री क्यों बनाए रखा गया. त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार हो या तीरथ और पुष्कर सिंह धामी की सरकार इन सभी मुख्यमंत्री ने उन्हें अपनी टीम में रखा.
अब जब वो पार्टी छोड़कर चले गए हैं तो अब उन्हें भ्रष्टाचारी कहा जा रहा है. जबकि, 'यदि उनकी सरकार में एक भ्रष्टाचारी को मंत्री बनाया गया तो फिर उस सरकार का मुख्यमंत्री भी भ्रष्टाचारी ही होगा'. बरहाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह पर विजिलेंस के शिकंजे और तमाम बड़े नेताओं के बयान पर सूबे में सियासत गरमा गई है.
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क्या है सूर्यधार झील परियोजनाः गौर हो कि सूर्यधार झील का शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में 29 नवंबर 2020 को किया था. झील का निर्माण करीब 64 करोड़ की लागत से सिंचाई विभाग ने कराया था. इस झील के तैयार हो जाने से 19 गांवों में सिंचाई की समस्या को दूर करने की बात कही गई थी. साथ ही झील से करोड़ों रुपए की बिजली की बचत की बात भी कही गई थी.
झील के बनने के बाद पर्यटन क्षेत्र में भी गतिविधि बढ़ने और रोजगार के साधन उपलब्ध होने की बातें जनता के बीच बताई गई थी, लेकिन सूर्यधार झील में नाम मात्र का पानी जमा हुआ. वहीं, करोड़ों रुपए लगाने के बाद भी सूर्यधार झील को बनाने का मकसद पूरा होता नहीं दिखा. लिहाजा, इस झील को लेकर तमाम लोगों ने सवाल उठाए.
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कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने भी सूर्यधार झील के निर्माण कार्यों पर सवाल खड़े किए. उन्होंने झील के निर्माण में अनियमितता का आरोप लगाते हुए सिंचाई विभाग के अधिकारी डीके सिंह को निलंबित कर दिया था. इसके अलावा हरक सिंह रावत भी लगातार हमलावर हैं. हरीश रावत ने तो झील को खुद का कॉपीराइट होने का दावा तक कर दिया था. मामले में यूकेडी ने भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया.