ऋषिकेश: इंडोनेशिया के बाली से 20 विदुषियों (महिला आचार्यों) का दल पुत्री गिरींद्रा के मार्गदर्शन के लिए ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन पहुंचा. जहां उन्होंने बाली संस्कृति के प्रतीक पद्मासना मन्दिर में विशेष पूजा अर्चना की. जिसके बाद विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती में सहभाग भी किया. परमार्थ निकेतन में ही बाली-इण्डोनेशिया से आए दल के सदस्यों ने विशेष मंत्रों के साथ पूजन किया.
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने बताया कि हमें सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक मूल्यों को बढ़ाने के साथ आपसी भाईचारे को विकसित करना होगा. उन्होंने कहा कि हम अपनी संस्कृति के माध्यम से आज की वैश्विक समस्याओं, प्रदूषण, घटता जलस्तर, पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिग जैसे अनेक समस्याओं पर खुलकर चर्चा कर सकते हैं. इन समस्याओं के समाधान के लिये भाईचारा और दोस्ती को एक सशक्त माध्यम के रूप में उपयोग करना बेहतर होगा. हम विश्व की संस्कृतियों को आपस में जोड़कर विविधता में एकता को विकसित कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: नवरात्रि से पहले नए रूप में दिखेगा बदरीनाथ धाम, लगाई जा रही विशेष टाइल्स
बाली-इंडोनेशिया से आयी पुत्री गिरींद्रा ने बताया कि इस वर्ष परमार्थ निकेतन में ये उनकी तीसरी यात्रा है. दो बार वो अपने परिवार के साथ आईं थी. इस बार भारत, बाली संस्कृति के आदान-प्रदान के लिये वो 20 विदुषियों के साथ परमार्थ गंगा तट पर स्थित पद्मासना और मां गंगा के दर्शन के लिये आई हैं. उन्होंने बताया कि इसी वर्ष नवम्बर माह में परमार्थ निकेतन में उनकी पांच दिवसीय विजिट रहेगी. वास्तव में भारत, भारत की संस्कृति, भारतीयों की आत्मीयता और परमार्थ निकेतन के अतिथि सत्कार करने का तरीका अद्भुत है.