देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में इन दिनों सबसे चर्चित मामलों में से एक गोविंद पशु विहार का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार चर्चा उस अधिकारी को लेकर है जिसने गोविंद पशु विहार में निर्माण कार्यो में गड़बड़ी की रिपोर्ट तैयार की. जिसके बाद उस अधिकारी का न केवल स्थानांतरित कर दिया गया है, बल्कि उसके खिलाफ जांच के आदेश भी दे दिये गये हैं.
दरअसल, मामला गोविंद पशु विहार का सुर्खियों में छाने का सिलसिया डिप्टी डायरेक्टर के रूप में कोमल सिंह के पद संभालने के बाद से शुरू हुआ. इस दौरान इस वन क्षेत्र में कई निर्माण कार्य किए गए. विवाद तब शुरू हुआ जब इसको लेकर यहां तैनात रेंजर ज्वाला प्रसाद ने निर्माण कार्यों को लेकर अपनी निगेटिव रिपोर्ट देनी शुरू की.
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ज्वाला प्रसाद की दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार वन क्षेत्र में 7 कार्यों की सूची बिंदुवार दी गई है. जिसमें लिखा गया है कि इन सभी कार्यों को पूरा नहीं किया गया है, जबकि इन कार्यों का भुगतान कर दिया गया है.
सबसे पहला सवाल तो यही है कि बिना कार्य के पूरा हुए किसी भी कार्य पर भुगतान कैसे कर दिया गया? रेंजर ज्वाला प्रसाद द्वारा इस तरह की रिपोर्ट बनाए जाने के बाद कोमल सिंह की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल के चलते विवाद बढ़ता चला गया. इसके बाद डिप्टी डायरेक्टर कोमल सिंह का यहां से तबादला कर दिया गया.
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डिप्टी डायरेक्टर कोमल सिंह के तबादले के बाद गोविंद पशु विहार में पाया गया कि कुछ उपकरण जिनकी खरीदारी की गई थी, वे गायब थे. जिसकी लिखित जानकारी नए डिप्टी डायरेक्टर की तरफ से वन मुख्यालय को भी भेजी गई. वैसे कोमल सिंह पर बस यही एक आरोप नहीं है. विभाग में उन पर कई तरह के आरोप लगे हैं. उन शिकायतों के आधार पर जांच भी की गई है. बहरहाल, इस बार विभाग ने उनका तबादला तो कर दिया है. लेकिन उन पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है.
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बता दें कि इस मामले में विभाग ने अब गोविंद पशु विहार क्षेत्र में निर्माण कार्य में गड़बड़ी की रिपोर्ट तैयार करने वाले रेंजर ज्वाला प्रसाद का भी तबादला कर दिया है. ज्वाला प्रसाद को अब गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क उत्तरकाशी भेजा गया है. जारी किए गए आदेश में लिखा गया है कि पूर्व डिप्टी डायरेक्टर कोमल सिंह की तरफ से रेंजर ज्वाला प्रसाद के खिलाफ कई शिकायतें की गई हैं. इसके अलावा शांति भंग की स्थिति न बने इसके लिए उनका तबादला किया गया है.
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इस मामले में ईटीवी भारत ने जब राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डीके सिंह से बात की तो उन्होंने कहा शांति भंग लिखने की वजह क्षेत्रीय नेताओं और ठेकेदारों द्वारा रेंजर का विरोध करना था. जिस कारण से कभी भी शांति भंग की स्थिति बन सकती थी. उधर डीके सिंह ने ज्वाला प्रसाद के खिलाफ की गई शिकायत की जांच कराने के लिए वन मुख्यालय को भी पत्र लिखा है.
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वैसे इस मामले में वैसे तो जांच के बाद ही कोई भी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. लेकिन पहली नजर में तो वन क्षेत्राधिकारी के निर्माण कार्य में गड़बड़ी पकड़ने के बाद उनका तबादला किया गया है, ऐसा प्रतीत हो रहा है. हालांकि इस मामले में अब जल्द वन क्षेत्राधिकारी ज्वाला प्रसाद के खिलाफ भी जांच शुरू किए जाने की संभावना हैं. ऐसी स्थिति में कोमल सिंह और ज्वाला प्रसाद की सही जांच रिपोर्ट सामने आ पाएगी इसकी उम्मीद की जानी चाहिए. साथ ही कोमल सिंह के खिलाफ पुरानी जांचों को भी वन विभाग सामने लाएगा. यह भी अधिकारियों को सुनिश्चित करना होगा.