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गरीबों का राशन डकारने वाले अधिकारियों की आई शामत, दोषियों से होगी ₹1.44 करोड़ की रिकवरी

साल 2018 में सरकारी गोदामों से रखे गरीबों के राशन पर हाथ साफ कर अपना घर भरने वाले अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ने वाली है. खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव सचिन कुर्वे और कैबिनेट मंत्री ने इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों से एक करोड़ 44 लाख रुपए की रिकवरी के आदेश दिए हैं.

Rekha Arya
रेखा आर्य
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Published : May 20, 2022, 5:25 PM IST

देहरादून: साल 2018 में सरकारी गोदाम से गायब हुए 12,000 से अधिक राशन के बोरों के मामले में सरकार और शासन ने सख्त रूख अपना लिया है. शासन ने सरकारी अधिकारियों से इस अनाज की रिकवरी के आदेश दे दिए हैं. उत्तराखंड में खाद्य आपूर्ति विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य और सचिव सचिन कुर्वे ने साफ किया है कि इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों और कर्मचारियों से अनाज की पूरी कीमत करीब एक करोड़ 44 लाख वसूली जाएगी.

क्या है मामला: दरअसल, देहरादून के ट्रांसपोर्ट नगर में खाद्य विभाग का गोदाम था. साल 2018 में यहां से अधिकारी का ट्रांसफर हुआ था. उसकी जगह गोदाम का चार्ज लेने के लिए दूसरे अधिकारियों को भेजा गया. चार्ज लेने से पहले जब दूसरे अधिकारी ने गोदाम में रखे माल की जानकारी ली तो उसमें बड़ा घालमेल सामने आया. उस अधिकारी ने इस पूरे मामले की जानकारी अपने उच्च अधिकारियों को दी.
पढ़ें- चंपावत में फिर हुआ विवाद, बच्चों ने अनुसूचित जाति की भोजनमाता के हाथों से बना खाना खाने से किया इनकार

प्राथमिक जांच में सामने आया कि अधिकारी और कर्मचारी आपस में मिलीभगत करके गोदाम में रखे सरकारी राशन को बाजार में औने पौने दामों पर बेच रहे हैं. इसके बाद इस पूरे मामले की विस्तृत जांच कराई गई. शुरुआती जांच में ये सामने आया था कि अकेले देहरादून के गोदाम से ही करीब राशन के 12 हजार बोरे गायब थे, जिसमें से 2,408 चावल और 8,484 गेहूं के थे.

शुरूआती जांच में ही ये साफ कर दिया गया था कि अधिकारियों ने सरकारी गोदाम में रखे गरीबों के राशन पर हाथ साफ किया है. ऐसे में तत्काल प्रभाव से चार कर्मचारियों सहित एक अधिकारी को निलंबित किया गया. मामले की जांच उस वक्त आरएससी कुमाऊं से करवाई गई थी.
पढ़ें- हरिद्वार में ब्रह्मकुंड के पास बिक रहा नॉन वेज, प्रशासन बेखबर, VIDEO वायरल

बाद में कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कुमाऊं की जिस टीम से जांच करवाई जा रही है, वह जानबूझकर गलत तथ्यों को पेश कर रही है. ऐसे में शासन में इस पूरी जांच का जिम्मा तत्कालीन देहरादून जिला अधिकारी को सौंप दिया था. देहरादून जिलाधिकारी की जांच में भी यह साफ हो गया कि सरकारी गोदामों में रखे राशन को बाजार में बेचा गया है.

जांच रिपोर्ट आने के बाद अभी सरकार और शासन की तरफ से साफ किया गया है कि इस मामले में दोषी पाए गए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से एक करोड़ 44 लाख रुपए की रिकवरी की जाएगी. इस मामले में विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि ये मामला केवल सरकारी नौकरी और पैसे के दुरुपयोग की ही नहीं है, बल्कि गरीबों का हक मारने का भी है. इसीलिए सरकार ने फैसला लिया है कि वो दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करेगी. पहले इन लोगों से पूरे घोटले की रिकवरी की जाएगी और उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. कोई भी कर्मचारी या अधिकारी गलत काम करेगा तो उसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
पढ़ें- जेल से रिहा होने के बाद जीवनदीप आश्रम पहुंचे जितेंद्र नारायण त्यागी, महामंडलेश्वर से लिया आशीर्वाद

बता दें कि इस मामले में वरिष्ठ अधिकारी कैलाश चंद पांडे से 50 फीसदी, जबकि निरीक्षक अमित कुमार सिंह से 20 प्रतिशत, अधिकारी इशरत अजीम से 20 प्रतिशत और सहायक अधिकारी दिनेश लाल से 10 प्रतिशत की वसूली की जाएगी.

देहरादून: साल 2018 में सरकारी गोदाम से गायब हुए 12,000 से अधिक राशन के बोरों के मामले में सरकार और शासन ने सख्त रूख अपना लिया है. शासन ने सरकारी अधिकारियों से इस अनाज की रिकवरी के आदेश दे दिए हैं. उत्तराखंड में खाद्य आपूर्ति विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य और सचिव सचिन कुर्वे ने साफ किया है कि इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों और कर्मचारियों से अनाज की पूरी कीमत करीब एक करोड़ 44 लाख वसूली जाएगी.

क्या है मामला: दरअसल, देहरादून के ट्रांसपोर्ट नगर में खाद्य विभाग का गोदाम था. साल 2018 में यहां से अधिकारी का ट्रांसफर हुआ था. उसकी जगह गोदाम का चार्ज लेने के लिए दूसरे अधिकारियों को भेजा गया. चार्ज लेने से पहले जब दूसरे अधिकारी ने गोदाम में रखे माल की जानकारी ली तो उसमें बड़ा घालमेल सामने आया. उस अधिकारी ने इस पूरे मामले की जानकारी अपने उच्च अधिकारियों को दी.
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प्राथमिक जांच में सामने आया कि अधिकारी और कर्मचारी आपस में मिलीभगत करके गोदाम में रखे सरकारी राशन को बाजार में औने पौने दामों पर बेच रहे हैं. इसके बाद इस पूरे मामले की विस्तृत जांच कराई गई. शुरुआती जांच में ये सामने आया था कि अकेले देहरादून के गोदाम से ही करीब राशन के 12 हजार बोरे गायब थे, जिसमें से 2,408 चावल और 8,484 गेहूं के थे.

शुरूआती जांच में ही ये साफ कर दिया गया था कि अधिकारियों ने सरकारी गोदाम में रखे गरीबों के राशन पर हाथ साफ किया है. ऐसे में तत्काल प्रभाव से चार कर्मचारियों सहित एक अधिकारी को निलंबित किया गया. मामले की जांच उस वक्त आरएससी कुमाऊं से करवाई गई थी.
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बाद में कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कुमाऊं की जिस टीम से जांच करवाई जा रही है, वह जानबूझकर गलत तथ्यों को पेश कर रही है. ऐसे में शासन में इस पूरी जांच का जिम्मा तत्कालीन देहरादून जिला अधिकारी को सौंप दिया था. देहरादून जिलाधिकारी की जांच में भी यह साफ हो गया कि सरकारी गोदामों में रखे राशन को बाजार में बेचा गया है.

जांच रिपोर्ट आने के बाद अभी सरकार और शासन की तरफ से साफ किया गया है कि इस मामले में दोषी पाए गए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से एक करोड़ 44 लाख रुपए की रिकवरी की जाएगी. इस मामले में विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि ये मामला केवल सरकारी नौकरी और पैसे के दुरुपयोग की ही नहीं है, बल्कि गरीबों का हक मारने का भी है. इसीलिए सरकार ने फैसला लिया है कि वो दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करेगी. पहले इन लोगों से पूरे घोटले की रिकवरी की जाएगी और उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. कोई भी कर्मचारी या अधिकारी गलत काम करेगा तो उसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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बता दें कि इस मामले में वरिष्ठ अधिकारी कैलाश चंद पांडे से 50 फीसदी, जबकि निरीक्षक अमित कुमार सिंह से 20 प्रतिशत, अधिकारी इशरत अजीम से 20 प्रतिशत और सहायक अधिकारी दिनेश लाल से 10 प्रतिशत की वसूली की जाएगी.

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