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देहरादून: माननीयों के आवास से चंद कदमों की दूरी पर स्थित स्कूल में लगा ताला, दावे हवा - School started by irrigation department

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जब से उत्तराखंड में शिक्षा के खराब हालातों को लेकर मुद्दा उठाया है, तभी से प्रदेश में शराब शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बहस शुरू हो गई है. राज्य में शिक्षा की बदहाली की चर्चा के बीच ईटीवी भारत एक ऐसे स्कूल से आपको बताने जा रहा है. जो भले ही मंत्रियों के आवास के कुछ कदम दूर हो लेकिन बावजूद इसके इस स्कूल पर ताला लगने से कोई नहीं रोक सका.

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स्कूल में लगा ताला
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Published : Jan 15, 2021, 5:57 PM IST

Updated : Jan 15, 2021, 6:02 PM IST

देहरादून : प्रदेश के पहाड़ी जिलों में ही नहीं बल्कि मैदानी जिलों में भी सरकारी स्कूल बद से बदतर हालात में हैं. खराब शैक्षणिक हालातों के बीच लगातार निजी स्कूलों की तरफ अभिभावकों और छात्रों का आकर्षण बढ़ रहा है. यही कारण है कि प्रदेश के कई सरकारी स्कूल या तो बंद हो चुके हैं या फिर बंदी की कगार पर है. ऐसे में ईटीवी भारत शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूल की बात नहीं बल्कि देहरादून के यमुना कॉलोनी स्थित उस स्कूल के हालातों को बताएंगे. जहां पिछले करीब 2 सालों से सन्नाटा पसरा हुआ है.

राजधानी में वीरान खंडहर सा दिखने वाला भवन कभी बच्चों की चहलकदमी से गुलजार हुआ करता था. दरअसल, ये भवन कभी यमुना बाल शिक्षा सदन नाम के स्कूल से जाना जाता था. जहां 400 से ज्यादा बच्चे और 20 से ज्यादा अध्यापक और कर्मचारी काम करते थे. स्कूल की खास बात यह थी कि इसे यमुना कॉलोनी में सिंचाई विभाग और हाइडिल विभाग की संस्था द्वारा चला जाता था.

स्कूल में लगा ताला.

राज्य के दो बड़े विभाग की संस्था द्वारा चलाए जाने के कारण आस-पास के जरूरतमंदों के लिए यह स्कूल कम फीस पर बेहतर शिक्षा की जगह बन गया था. इससे भी खास बात यह है कि चंद कदमों की दूरी पर सरकार के सभी मंत्रियों के आवास और प्रदेश अध्यक्षों के घर मौजूद है. आप समझ सकते हैं कि इस वीवीआईपी कॉलोनी में बने दो बड़े विभागों की संस्थाओं द्वारा चलाने वाले इस स्कूल का महत्व क्या होगा.

लेकिन जैसा कि उत्तराखंड में शिक्षा को लेकर उदासीनता दिखाई देती है वही हाल इस स्कूल के साथ भी हुआ. कई सालों तक चले आ रहे इस स्कूल को साल 2018 में ताला लग गया. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही थी. आरोप है कि इन दोनों विभागों की संस्थाओं और सरकार की इनायत न होने के चलते स्कूल आगे नहीं चल पाया और इसे संस्थान ही बंद कर डाला.

स्कूल भले ही सरकारी नहीं था, लेकिन यमुना कॉलोनी में सरकारी विभाग की संस्था द्वारा चलाए जाने के कारण लगातार इसको अशासकीय विद्यालय के रूप में परिवर्तित किए जाने की मांग उठती रही थी. हालांकि, इस पर ना तो सरकार ने ध्यान दिया और ना ही इन दोनों विभागों ने. स्कूल पर ताला लगने के बाद आस-पास के छात्रों को कम फीस पर शिक्षा का यह जरिया भी खत्म हुआ और साथ ही 20 से ज्यादा लोगों की नौकरियां भी चली गई.
ये भी पढ़ें : दूनवासियों को जल्द मिलेगी पहली स्मार्ट लाइब्रेरी की सौगात, यह होगी खासियत

मौजूदा समय में आम आदमी पार्टी प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सबसे ज्यादा आक्रामक रुख में दिख रही है और सरकार पर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता शिक्षा व्यवस्था के बदहाली को लेकर खूब आरोप भी लगा रहे हैं. मंत्रियों और प्रदेश अध्यक्षों पर आवाज से चंद कदम दूर इस स्कूल के मौजूदा हालात को देखकर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इस स्कूल को अपने उस अभियान में जोड़ा है, जो दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के प्रदेश में आने के बाद शुरू किया गया है. सेल्फी विद स्कूल के इस अभियान में स्कूलों के खराब हालात को लेकर पार्टी नेता और कार्यकर्ता अभियान छोड़े हुए हैं और उन्होंने मंत्रियों के घरों के पास किस स्कूल से ही इस अभियान की शुरुआत भी की है.

देहरादून : प्रदेश के पहाड़ी जिलों में ही नहीं बल्कि मैदानी जिलों में भी सरकारी स्कूल बद से बदतर हालात में हैं. खराब शैक्षणिक हालातों के बीच लगातार निजी स्कूलों की तरफ अभिभावकों और छात्रों का आकर्षण बढ़ रहा है. यही कारण है कि प्रदेश के कई सरकारी स्कूल या तो बंद हो चुके हैं या फिर बंदी की कगार पर है. ऐसे में ईटीवी भारत शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूल की बात नहीं बल्कि देहरादून के यमुना कॉलोनी स्थित उस स्कूल के हालातों को बताएंगे. जहां पिछले करीब 2 सालों से सन्नाटा पसरा हुआ है.

राजधानी में वीरान खंडहर सा दिखने वाला भवन कभी बच्चों की चहलकदमी से गुलजार हुआ करता था. दरअसल, ये भवन कभी यमुना बाल शिक्षा सदन नाम के स्कूल से जाना जाता था. जहां 400 से ज्यादा बच्चे और 20 से ज्यादा अध्यापक और कर्मचारी काम करते थे. स्कूल की खास बात यह थी कि इसे यमुना कॉलोनी में सिंचाई विभाग और हाइडिल विभाग की संस्था द्वारा चला जाता था.

स्कूल में लगा ताला.

राज्य के दो बड़े विभाग की संस्था द्वारा चलाए जाने के कारण आस-पास के जरूरतमंदों के लिए यह स्कूल कम फीस पर बेहतर शिक्षा की जगह बन गया था. इससे भी खास बात यह है कि चंद कदमों की दूरी पर सरकार के सभी मंत्रियों के आवास और प्रदेश अध्यक्षों के घर मौजूद है. आप समझ सकते हैं कि इस वीवीआईपी कॉलोनी में बने दो बड़े विभागों की संस्थाओं द्वारा चलाने वाले इस स्कूल का महत्व क्या होगा.

लेकिन जैसा कि उत्तराखंड में शिक्षा को लेकर उदासीनता दिखाई देती है वही हाल इस स्कूल के साथ भी हुआ. कई सालों तक चले आ रहे इस स्कूल को साल 2018 में ताला लग गया. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही थी. आरोप है कि इन दोनों विभागों की संस्थाओं और सरकार की इनायत न होने के चलते स्कूल आगे नहीं चल पाया और इसे संस्थान ही बंद कर डाला.

स्कूल भले ही सरकारी नहीं था, लेकिन यमुना कॉलोनी में सरकारी विभाग की संस्था द्वारा चलाए जाने के कारण लगातार इसको अशासकीय विद्यालय के रूप में परिवर्तित किए जाने की मांग उठती रही थी. हालांकि, इस पर ना तो सरकार ने ध्यान दिया और ना ही इन दोनों विभागों ने. स्कूल पर ताला लगने के बाद आस-पास के छात्रों को कम फीस पर शिक्षा का यह जरिया भी खत्म हुआ और साथ ही 20 से ज्यादा लोगों की नौकरियां भी चली गई.
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मौजूदा समय में आम आदमी पार्टी प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सबसे ज्यादा आक्रामक रुख में दिख रही है और सरकार पर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता शिक्षा व्यवस्था के बदहाली को लेकर खूब आरोप भी लगा रहे हैं. मंत्रियों और प्रदेश अध्यक्षों पर आवाज से चंद कदम दूर इस स्कूल के मौजूदा हालात को देखकर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इस स्कूल को अपने उस अभियान में जोड़ा है, जो दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के प्रदेश में आने के बाद शुरू किया गया है. सेल्फी विद स्कूल के इस अभियान में स्कूलों के खराब हालात को लेकर पार्टी नेता और कार्यकर्ता अभियान छोड़े हुए हैं और उन्होंने मंत्रियों के घरों के पास किस स्कूल से ही इस अभियान की शुरुआत भी की है.

Last Updated : Jan 15, 2021, 6:02 PM IST
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