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देहरादून: डॉक्टरों ने ओपीडी बहिष्कार की दी चेतावनी, बढ़ सकती हैं मुश्किलें - डॉक्टरों ने दी हड़ताल की चेतावनी

इससे पहले भी डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का मन बनाया था, लेकिन तब सरकार से मिले आश्वासन के बाद डॉक्टरों ने अपना निर्णय वापस ले लिया था.

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Published : Sep 20, 2020, 6:36 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी डॉक्टर आपातकाल की इस स्थिति में भी आम लोगों की चिंता किए बिना अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटे हैं. इसी कड़ी में अब डॉक्टरों ने 23 सितंबर से ओपीडी बहिष्कार का फैसला लिया है.

ओपीडी का बहिष्कार.

बता दें कि प्रदेश में एक तरफ जहां 23 सितंबर को विधानसभा सत्र आहूत होना है, तो दूसरी तरफ डॉक्टरों ने कार्यबहिष्कार का बना लिया है. प्रांतीय चिकित्सक संघ ने राज्य ओपीडी के कार्य बहिष्कार की घोषणा कर दी है. 23 सितंबर को चिकित्सक ओपीडी का बहिष्कार कर अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे.

पढ़ें- उत्तराखंड: स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल कोरोना पॉजिटिव, मॉनसून सत्र पर 'संकट'

डॉक्टरों की मांग है कि उनके एक दिन के काटे जा रहे वेतन के फैसले को वापस लिया जाए. इसके अलावा एमएस करने वाले चिकित्सकों को घोषणा के अनुसार पूरा वेतन दिया जाए. अस्पतालों में निरीक्षण करने के लिए जिलाधिकारी से छोटे अधिकारियों को अनुमति न दी जाए और किसी भी मामले पर जांच के बाद यदि डॉक्टर के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की जाती है तो उसे एमसीआई को भेजा जाए.

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी डॉक्टर आपातकाल की इस स्थिति में भी आम लोगों की चिंता किए बिना अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटे हैं. इसी कड़ी में अब डॉक्टरों ने 23 सितंबर से ओपीडी बहिष्कार का फैसला लिया है.

ओपीडी का बहिष्कार.

बता दें कि प्रदेश में एक तरफ जहां 23 सितंबर को विधानसभा सत्र आहूत होना है, तो दूसरी तरफ डॉक्टरों ने कार्यबहिष्कार का बना लिया है. प्रांतीय चिकित्सक संघ ने राज्य ओपीडी के कार्य बहिष्कार की घोषणा कर दी है. 23 सितंबर को चिकित्सक ओपीडी का बहिष्कार कर अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे.

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डॉक्टरों की मांग है कि उनके एक दिन के काटे जा रहे वेतन के फैसले को वापस लिया जाए. इसके अलावा एमएस करने वाले चिकित्सकों को घोषणा के अनुसार पूरा वेतन दिया जाए. अस्पतालों में निरीक्षण करने के लिए जिलाधिकारी से छोटे अधिकारियों को अनुमति न दी जाए और किसी भी मामले पर जांच के बाद यदि डॉक्टर के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की जाती है तो उसे एमसीआई को भेजा जाए.

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