देहरादून: उत्तराखंड के 4 बड़े शहरों- देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और काशीपुर में नगर निकाय के विस्तार के बाद जीआईएस बेस्ड प्रॉपर्टी एनालिसिस सर्वे करवाया जा रहा है. शहरी विकास विभाग वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर ये अभियान चला रहा है. इस अभियान के पहले चरण में उत्तराखंड के 4 बड़े शहरों में हायर रेजुलेशन सेटेलाइट मैप का क्रॉस वेरिफिकेशन ड्रोन के माध्यम से करवाया जाएगा, जिसकी मदद से निकायों में महीन स्केल पर संपत्तियों का ब्यौरा निकाय के साथ साथ शहरी विकास विभाग को भी मिल पाएगा.
ड्रोन सर्वे से मिल रही बड़ी मदद: निदेशक शहरी विकास नवनीत पांडे ने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत कई नई जानकारियां विभाग को मिल रही हैं. देहरादून में ही ड्रोन से किए गए सर्वे में कई ऐसी संपत्तियां सामने आई हैं जिनकी कोई पहचान नहीं है. उन्होंने कहा कि निकाय क्षेत्र में आने वाली तमाम ऐसी अज्ञात संपत्तियों की जानकारी के लिए यह सर्वे बेहद लाभकारी साबित होगा. शहरी विकास विभाग को उम्मीद है कि इस तरह के एसेसमेंट के बाद प्रॉपर्टी टैक्स में 30 से 40 फीसदी का इजाफा यानी सीधा-सीधा राजस्व का लाभ सरकार को मिल सकता है. वहीं, वर्ल्ड बैंक में सैद्धांतिक स्वीकृति दी है कि 4 बड़े शहरों के बाद उत्तराखंड के 10 अन्य महत्वपूर्ण शहरों में भी इसी तरह से प्रॉपर्टी का ड्रोन से सर्वे कर एनालिसिस करवाया जाएगा.
अवैध निर्माण पर भी लगेगी नकेल: इस पूरे मामले पर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि शहरी विकास विभाग ने यह फैसला लिया है कि अपने सभी निकायों में लैंड बैंक तैयार करें और ड्रोन के माध्यम से पूरे निकाय में निगरानी की जाए. इसके साथ ही इस सर्वे के माध्यम से निकाय को जानकारी मिलेगी कि कहां पर कितनी संपत्ति है. अवैध निर्माण और अवैध संपत्तियों की भी जानकारी निकाय को मिल पाएगी.
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इसके अलावा इस तरह सर्वे करके और भी कई सारी जानकारियां सरकार को मिल पाएंगी. यह प्रक्रिया एक व्यवस्थित विकास में भी सहयोगी साबित होगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सभी शहरी निकायों में अब लैंड बैंक बनाने की कवायद तेज हो गई है. शहरी क्षेत्र में अवैध निर्माण कार्य पर रोक लगाने के लिए सैटेलाइट से निगरानी करने का भी निर्णय लिया गया है. यानी जल्द ही प्रदेश के सभी शहरी क्षेत्रों में अब सेटेलाइट के जरिए निगरानी की जाएगी.