हरिद्वार: पूरे देश के साथ ही धर्मनगरी हरिद्वार में भी गुरू पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. श्रद्धालुओं का सुबह से गंगा घाटों पर तांता लगा हुआ है, जहां उन्होंने गंगा स्नान कर पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की.
गौर हो कि आषाढ़ पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में अन्य सभी त्योहारों की अपेक्षा इसका महत्व अधिक माना गया है. इस दिन शिष्य अपने गुरू की पूजा करते हैं, इसलिए आज के दिन का काफी महत्व माना जाता है. गुरू पूर्णिमा के दिन आज चंद्रग्रहण भी है. वहीं हरिद्वार के हर की पैड़ी पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है.
मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करने और गंगा जल से अभिषेक करने से भगवान शिव अपने भक्तों पर अपनी अपार कृपा की बरसात करते हैं. पौराणिक मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव को गंगाजल से जलाभिषेक करना सबसे उत्तम माना जाता है. साथ ही मान्यता है कि सावन के एक माह तक भगवान शिव कैलाश से आकर अपनी ससुराल कनखल में निवास करते हैं.
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भगवान विष्णु के शयन में चले जाने के बाद सावन में भगवान शिव ही ब्रह्मांड की सत्ता का संचालन कनखल दक्ष मंदिर में रहकर ही करते हैं. इसलिए सावन में भगवान शिव की पूजा-अर्चना और गंगाजल से अभिषेक का महत्व है. गुरू पूर्णिमा से सावन का महीना शुरू हो रहा है, जो भगवान शिव को काफी पसंद है. पुराणों में मान्यता है कि गुरू पूर्णिमा से भगवान विष्णु शयन अवस्था में चले जाते हैं और वे अगले 4 महीने तक शयन में रहेंगे.
इन चार महीनों में शुभ काम वंचित माने जाते हैं. वहीं हरिद्वार हर की पैड़ी पर गुरू पूर्णिमा के दिन स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि आज के दिन गंगा स्नान करने और दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. आज के दिन गुरू की पूजा की जाती है, इसलिए हम गंगा स्नान करने यहां आए हैं. उन्होंने कहा कि स्नान के बाद मां गंगा भक्तों की मुराद पूरी करती हैं.