देहरादूनः देश दुनिया में जिस रफ्तार से जीवाश्म ईंधन (डीजल और पेट्रोल) का इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसे में आने वाले कुछ दशकों में ही जीवाश्म ईंधन की कमी महसूस होने लगेगी. यही वजह है कि अब कई देश जीवाश्म ईंधन से इतर अन्य ऊर्जा पर विशेष ध्यान दे रहे हैं, ताकि समय के अनुसार नए ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल किया जा सके. ऐसे ही ऊर्जा स्रोत के रूप में गैस हाइड्रेट पर फोकस किया जा रहा है.
गैस हाइड्रेट भविष्य का ईंधन: हालांकि, भारत देश में भी जहां हमारी निर्भरता डीजल, पेट्रोल, कोयला और गैस आदि पर काफी अधिक है, ऐसे में भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ ही ई-20 (इथेनॉल मिक्स पेट्रोल) पर जोर दे रही है. वहीं, वैज्ञानिकों को इन तमाम ईंधनों से अलग गैस हाइड्रेट की भी तलाश की है जो भविष्य में एक मुख्य ईंधन के रूप में भूमिका निभा सकते हैं.
वायु प्रदूषण में आएगी कमी: दरअसल, देश दुनिया के लिए जीवाश्म ईंधन की समाप्ति न सिर्फ एक बड़ी समस्या है, बल्कि इन जीवाश्म ईंधन से पर्यावरण को हो रहा नुकसान भी एक बड़ी चिंता है. दरअसल, जीवाश्म ईंधन न सिर्फ अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज करते हैं, बल्कि इनके समाप्त होने के बाद इनसे चलने वाली तकनीक भी पूरी तरह ठप पड़ जाएगी. यही वजह है कि देश दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देने के साथ ही हाइड्रोजन वाहनों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. वैज्ञानिक गैस हाइड्रेट पर इसलिए भी जोर दे रहे हैं, क्योंकि ये काफी अधिक मात्रा में मौजूद है. इसका इस्तेमाल लंबे समय तक पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए किया जा सकता है और साथ ही भविष्य में एक मुख्य ईंधन के रूप में भूमिका निभा सकता है.
गैस हाइड्रेट निकालने की तकनीकी पर कार्य: वहीं, भारी मात्रा में इस्तेमाल हो रहे जीवाश्म ईंधन से अलग वैज्ञानिक अन्य ऊर्जा के स्रोतों की खोज में जुटे हुए हैं. इसी क्रम में वैज्ञानिकों को ऊर्जा के स्रोत का बड़ा खजाना भी हाथ लगा है. दरअसल, मुख्य रूप से 5 देश- भारत, जापान, चीन, यूएसए और कनाडा में गैस हाइड्रेट काफी अधिक मात्रा में मौजूद है. इन देशों में सबसे पहले जापान और चीन ने टेस्टिंग के तौर पर इसपर काम करना शुरू किया लेकिन वो सफल नहीं हो सका.
क्या है गैस हाइड्रेट? गैस हाइड्रेट, मीथेन और पानी का मिश्रण है, जो देखने में बर्फ की तरह होता है. यह फोम की तरह का पानी होता है जो ठोस अवस्था में पाया जाता है. गैस हाइड्रेट एक फ्यूचर एनर्जी रिसोर्स है, जिसमें 99.9 प्रतिशत मीथेन गैस और 0.1 प्रतिशत पानी होता है लेकिन एक पर्टिकुलर प्रेशर एंड टेंपरेचर में सॉलिड फॉर्म में पाया जाता है. मुख्य रूप से गैस हाइड्रेट, समुद्रतल से करीब 100 मीटर से अधिक की गहराई में पाया जाता है.
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जियो साइंटिफिक स्टडी से गैस हाइड्रेट के मौजूदगी का चला है पताः देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एंड जियोलॉजी के डायरेक्टर कालाचंद साईं ने बताया कि जियोफिजिक्स, जियोलॉजिकल, जियोफिजिकल, जियोकेमिकल और माइक्रोबायोलॉजी समेत अन्य जियो साइंटिफिक स्टडी से गैस हाइड्रेट के मौजूद होने पता लगा है. फिर इंडियन नेशनल गैस हाइड्रेट प्रोग्राम के जरिए, जिन-जिन जगहों पर गैस हाइड्रेट की मौजूदगी का पता लगाया गया उन जगह पर ड्रिल कर गैस हाइड्रेट को बाहर निकालकर जांचा भी गया. गैस हाइड्रेट को निकालने के लिए अभी फिलहाल किसी भी देश के पास टेक्नोलॉजी मौजूद नहीं है, जिसके तहत पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना गैस हाइड्रेट से मीथेन प्राप्त किया जा सके.
कृष्णा, गोदावरी और महानदी बेसिन में मौजूद है गैस हाइड्रेटः वैज्ञानिकों में सीस्मिक स्टडी से तमाम जगहों पर स्टडी किया था कि किन-किन जगहों पर गैस हाइड्रेट मौजूद है. सीस्मिक स्टडी में पता चला कि कृष्णा, गोदावरी, बंगाल की खाड़ी के महानदी बेसिन, कावेरी समेत अंडमान द्वीप समूह में बहुत अधिक मात्रा में गैस हाइड्रेट मौजूद है. गैस हाइड्रेट अंडमान द्वीप समूह के समुद्री सतह से 600 मीटर नीचे मौजूद है. यानी मौजूदा समय में इतना गैस हाइड्रेट मौजूद है जो वर्तमान समय में मौजूद नेचुरल गैस से करीब 1500 गुना अधिक है.
भारत में करीब 1900 ट्रिलियन क्यूबिक मीटर गैस हाइड्रेट है मौजूदः भारत देश में गैस हाइड्रेट भारी मात्रा में मौजूद है. मात्र 10 परसेंट गैस हाइड्रेट से अगले 100 से अधिक सालों तक एनर्जी रिक्वायरमेंट प्रॉब्लम को सॉल्व किया जा सकता है. हालांकि, अभी फिलहाल जियो साइंटिफिक स्टडी के जरिए यह मैपिंग की जा चुकी है कि किन जगहों पर कितनी मात्रा में गैस हाइड्रेट मौजूद है.
वाडिया के डायरेक्टर डॉ कालाचंद साईं के अनुसार, वर्तमान में जितनी उर्जा मौजूद है उससे करीब 1500 से 1600 गुना ज्यादा एनर्जी गैस हाइड्रेट के रूप में मौजूद है. यानी भारत में करीब-करीब 1900 ट्रिलियन क्यूबिक मीटर गैस हाइड्रेट मौजूद है.
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गैस हाइड्रेट से पर्यावरण को बहुत कम होगा नुकसानः गैस हाइड्रेट से ऊर्जा उत्पन्न करने में बहुत कम मात्रा में कार्बन रिलीज होगा, जो कहीं न कहीं पर्यावरण के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है. हालांकि, फिलहाल जो नेचुरल गैस हैं उन्हें जलाने पर अधिक मात्रा में कार्बन रिलीज होता है लेकिन वर्तमान समय में गैस हाइड्रेट का डोमेस्टिक रूप में इस्तेमाल करने के लिए कोई टेक्नोलॉजी मौजूद नहीं है.
पर्यावरण में सीधे मीथेन गैस जाने से पर्यावरण को होगा नुकसानः गैस हाइड्रेट का इस्तेमाल करने में एक सबसे बड़ी समस्या ये भी है कि गैस हाइड्रेट में 99.9 प्रतिशत मीथेन गैस है. मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस है. अगर मीथेन गैस पर्यावरण में चली गई तो वो कार्बन डाई ऑक्साइड से 25 गुना अधिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगी. ऐसे में जब गैस हाइड्रेट के इस्तेमाल करने की टेक्निक विकसित होगी, तो उस दौरान इस बात की सावधानी बरतनी होगी कि किसी भी मात्रा में मीथेन गैस पर्यावरण में न जाए.
डॉ कालाचंद साईं ने बताया कि गैस हाइड्रेट रिजर्वर से मीथेन निकालने के लिए जापान, चीन, यूएसए और कनाडा देशों ने कोशिश की और पूरी दुनिया को बताया कि गैस हाइड्रेट रिजर्वर से मिथेन गैस को निकाला जा सकता है. लेकिन यह अभी इकोनॉमिकली व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि इसका प्रोडक्शन कॉस्ट बहुत अधिक है. हालांकि, उम्मीद है कि भविष्य में गैस हाइड्रेट का सही ढंग से इस्तेमाल किए जाने की टेक्नोलॉजी उपलब्ध हो पाएगी, जिससे मीथेन गैस का डोमेस्टिक रूप से इस्तेमाल किया जा सकेगा.
आने वाले समय में ऊर्जा ही होगी देश दुनिया के लिए बड़ी चुनौतीः वहीं, पर्यावरणविद अनिल जोशी का कहना है कि वर्तमान से सारी दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि जो आज का रेगुलर फ्यूल (पेट्रोल और डीजल) है वो ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है. हालांकि, चिंता का विषय यही है कि जहां एक ओर ये खत्म होने के कगार पर है तो वहीं, इसने कार्बन उत्सर्जन काफी अधिक है. ऐसे में वैज्ञानिक नए विकल्पों की खोज कर रहे हैं, जिसमें एक गैस हाइड्रेट भी शामिल है. इसके अलावा सोलर और हाइड्रोजन की भी बात की जा रही है. साथ ही भारत सरकार ने ई-20 की बात भी की है. लिहाजा आने वाले समय में देश दुनिया के लिए ऊर्जा की ही एक बड़ी चुनौती होगी.