देहरादून: 17 नवम्बर को 4th गढ़वाल राइफल युद्ध दिवस के रूप में 'नूरानांग डे' मनाने जा रही है. गढ़ी कैंट के डिफेंस सैनिक इंस्टिट्यूट में मनाए जाने वाले इस शौर्य दिवस के पीछे की क्या कहानी है, आइये आपको बताते हैं.
गढ़वाल राइफल के पराक्रमी सैनिकों द्वारा 1962 में चाइना से लड़ी गई अरुणाचल प्रदेश की नूरानांग पहाड़ी पर लड़ाई को हर साल 17 नवम्बर को गढ़वाल राइफल "नूरानांग डे" के रुप में मनाता है. इस मौके पर गढ़वाल राइफल अपने वीर योद्धा महावीर चक्र प्राप्त मेजर जसवंत सिंह के साथ-साथ इस लड़ाई में रहे तमाम पराक्रमी सैनिकों को याद करते हैं.
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गौरतलब है कि साल 1962 में चीनी सेना के चार डिवीजन सैनिकों ने अरुणाचल (तवांग जंग) में हमला किया था. उस वक्त भारतीय बटालियन 4th गढ़वाल राइफल के वीर योद्धा महावीर चक्र जसवंत सिंह के नेतृत्व में नूरानांग घाटी में तैनात थे. चीनी सेना ने लगातार पांच हमले किए. जिसे भारतीय सेना ने विफल कर दिया था. इस दौरान चीनी सेना के कई सैनिक मारे गए. साथ ही भारतीय जांबाजों ने चीनी सैनिकों को आगे बढ़ने से भी रोक दिया. इस युद्ध में गढ़वाल राइफल बटालियन को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा. बटालियन के कई सैनिक शहीद हुए थे. तब से शहीदों की याद में नूरानांग डे मनाया जाता है.