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आज 'नूरानांग डे' मनाएगी गढ़वाल राइफल, 1962 में इसी दिन चीन को चटाई थी धूल

17 नवंबर को 4th गढ़वाल रायफल नूरानांग डे मनाएगी. ये दिन 1962 में भारत-चीन युद्ध की याद दिलाता है.

17 नवंबर को 'नूरानांग डे' मनाएगा 4th गढ़वाल रायफल
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Published : Nov 16, 2019, 10:47 PM IST

Updated : Nov 16, 2019, 11:57 PM IST

देहरादून: 17 नवम्बर को 4th गढ़वाल राइफल युद्ध दिवस के रूप में 'नूरानांग डे' मनाने जा रही है. गढ़ी कैंट के डिफेंस सैनिक इंस्टिट्यूट में मनाए जाने वाले इस शौर्य दिवस के पीछे की क्या कहानी है, आइये आपको बताते हैं.

गढ़वाल राइफल के पराक्रमी सैनिकों द्वारा 1962 में चाइना से लड़ी गई अरुणाचल प्रदेश की नूरानांग पहाड़ी पर लड़ाई को हर साल 17 नवम्बर को गढ़वाल राइफल "नूरानांग डे" के रुप में मनाता है. इस मौके पर गढ़वाल राइफल अपने वीर योद्धा महावीर चक्र प्राप्त मेजर जसवंत सिंह के साथ-साथ इस लड़ाई में रहे तमाम पराक्रमी सैनिकों को याद करते हैं.

पढ़ेंः डोइवाला BSF सेंटर नहीं होगा शिफ्ट, गृह मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार को लिखा पत्र

गौरतलब है कि साल 1962 में चीनी सेना के चार डिवीजन सैनिकों ने अरुणाचल (तवांग जंग) में हमला किया था. उस वक्त भारतीय बटालियन 4th गढ़वाल राइफल के वीर योद्धा महावीर चक्र जसवंत सिंह के नेतृत्व में नूरानांग घाटी में तैनात थे. चीनी सेना ने लगातार पांच हमले किए. जिसे भारतीय सेना ने विफल कर दिया था. इस दौरान चीनी सेना के कई सैनिक मारे गए. साथ ही भारतीय जांबाजों ने चीनी सैनिकों को आगे बढ़ने से भी रोक दिया. इस युद्ध में गढ़वाल राइफल बटालियन को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा. बटालियन के कई सैनिक शहीद हुए थे. तब से शहीदों की याद में नूरानांग डे मनाया जाता है.

देहरादून: 17 नवम्बर को 4th गढ़वाल राइफल युद्ध दिवस के रूप में 'नूरानांग डे' मनाने जा रही है. गढ़ी कैंट के डिफेंस सैनिक इंस्टिट्यूट में मनाए जाने वाले इस शौर्य दिवस के पीछे की क्या कहानी है, आइये आपको बताते हैं.

गढ़वाल राइफल के पराक्रमी सैनिकों द्वारा 1962 में चाइना से लड़ी गई अरुणाचल प्रदेश की नूरानांग पहाड़ी पर लड़ाई को हर साल 17 नवम्बर को गढ़वाल राइफल "नूरानांग डे" के रुप में मनाता है. इस मौके पर गढ़वाल राइफल अपने वीर योद्धा महावीर चक्र प्राप्त मेजर जसवंत सिंह के साथ-साथ इस लड़ाई में रहे तमाम पराक्रमी सैनिकों को याद करते हैं.

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गौरतलब है कि साल 1962 में चीनी सेना के चार डिवीजन सैनिकों ने अरुणाचल (तवांग जंग) में हमला किया था. उस वक्त भारतीय बटालियन 4th गढ़वाल राइफल के वीर योद्धा महावीर चक्र जसवंत सिंह के नेतृत्व में नूरानांग घाटी में तैनात थे. चीनी सेना ने लगातार पांच हमले किए. जिसे भारतीय सेना ने विफल कर दिया था. इस दौरान चीनी सेना के कई सैनिक मारे गए. साथ ही भारतीय जांबाजों ने चीनी सैनिकों को आगे बढ़ने से भी रोक दिया. इस युद्ध में गढ़वाल राइफल बटालियन को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा. बटालियन के कई सैनिक शहीद हुए थे. तब से शहीदों की याद में नूरानांग डे मनाया जाता है.

Intro:एंकर- कल यानी 17 नवम्बर को 4th गढ़वाल राइफल युद्ध दिवस के रूप में 'नूरानांग डे' मनाने जा रहा है। कल गढ़ी केंट के डिफेंस सैनिक इंस्टिट्यूट में मनाए जाने इस शौर्य दिवस की के पीछे की क्या कहानी है आइये आपको बताते हैं।


Body:वीओ- गढ़वाल राइफल के पराक्रमी सेनिको द्वारा 1962 में चाइना से लड़ी गई अरूणाचल प्रदेश की नूरानांग पहाड़ी पर लड़ाई को हर साल 17 नवम्बर को गढ़वाल राइफल "नूरानांग डे" मनाता है। इस मौके पर गढ़वाल राइफल अपने वीर योद्धा महावीर चक्र प्राप्त मेजर जसवंत सिंह के साथ-साथ इस लड़ाई में रहे तमाम पराक्रमी सैनिकों को याद करते हैं।

इसलिए मनाया जाता है नूरानांग डे---
आपको बता दें कि भारत के सुदूर पूर्व में जो कि आज का अरुणाचल प्रदेश है वंहा 1962 में चीनी सेना ने चार डिवीजन सैनिकों से अरुणाचल (तवांग जंग) में हमला किया था। उस वक्त हमारी बटालियन 4th गढ़वाल राइफल के वीर योद्धा महावीर चक्र जसवंत सिंह की बटालियन सेला पास से आगे नूरानांग घाटी में तैनात की गई थी। चीनी सेना ने लगातार पांच हमले किए जिसको हमारी सेना ने विफल कर दिया। चीनी सेना के कई सैनिक मारे गए साथ ही चीनी सैनिकों की आगे बढ़ने की क्षमता पर ब्रेक लग गया। इस युद्ध में गढ़वाल राइफल बटालियन को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा जिसमें कई सैनिकों की शहीद हो गए।


Conclusion:
Last Updated : Nov 16, 2019, 11:57 PM IST
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