देहरादून: प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर लगातार पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आगे आते रहते हैं. जिनसे उनका प्रेम किसी से छुपा नहीं है. हरीश रावत को जब भी मौका मिलता है वो पहाड़ी व्यंजनों और फलों का स्वाद लेते दिखाई देते हैं साथ ही लोगों को भी पहाड़ी व्यंजनों की पार्टी देते रहते हैं. लेकिन चुनाव निपटने के बाद हरीश रावत फुर्सत के पलों में अपने गांव में नमक और तेल लगे काफल खाना चाहते हैं. हरीश रावत ने ट्वीट कर लिखा है कि कुछ दिनों से मेरा मन अपने गांव में नमक और तेल लगे काफल खाने को कह रहा है. मन के एक हिस्से में यह भी भाव है कि रोटी के साथ प्याज का थेचुआ और चुआरू की चटनी का स्वाद लिया जाय, मगर इसके लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा.
हरीश रावत ने आगे लिखा है कि मैं इस बार गांव में काफल को ड्राई करके भी स्वादिष्ट बनाए रखा जा सकता है या नहीं, या प्रिजर्वेटिव डालकर कितने दिनों तक उसके स्वाद व गुणों को बरकरार रखा जा सकता है, उस पर भी काम करना चाहता हूं.यही काम में हिंसालू और किल्मोड़ा पर भी करना चाहता हूं. पहले जब मैं गांव जाता था तो मार्च-अप्रैल में मुझे कैरूवे की सब्जी बहुत खाने को मिलती थी, ऐसा लग रहा है कि कैरूवा धीरे-धीरे प्रचलन से बाहर हो रहा है, जबकि वह एक बहुत ही जुडिशस् सब्जी है. इसी बीच हरीश रावत हार का ठीकरा फोड़े जाने से काफी आहत दिखाई दिए, जिसका जिक्र उन्होंने अपने पोस्ट में किया है.
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बता दें कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर लगातार पहाड़ी उत्पादों की ब्रांडिंग करते दिखाई देते हैं. काफल, आम, लीची, भुट्टा, नींबू पार्टी के अलावा खिचड़ी, मशरूम भोज कार्यक्रम आयोजित करके पूर्व सीएम हरीश रावत ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं. इसके अलावा मंडुआ, कोदा, झंगोरा जैसे उत्पादों को जमकर प्रमोट करते आ रहे हैं.