देहरादून: उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. चुनावी हार के बाद कांग्रेस में मुस्लिम यूनिवर्सिटी मामला सुर्खियों में बना है. पार्टी के कई नेता ही इस मामले को विधानसभा चुनाव में हार का कारण मान रहे हैं. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मुस्लिम यूनिवर्सिटी शब्द को भाजपा द्वारा गढ़ा बता रहे हैं. वहीं पार्टी की हार के बाद हरीश रावत अब पोस्ट कर अपनी सफाई पेश करने में जुटे हैं.
हरीश रावत ने ताजा पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि भाजपा की दुष्प्रचारक ब्रिगेड, जिस तरीके से मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर एक झूठ को गढ़ने के बाद अब उस झूठ के चारों तरफ विद्वेष ताना-बाना बुन रही है. मुझे, वो यह सिद्ध करने पर लगे हैं कि जो उनका वर्तमान बहुमत है, वह मुस्लिम यूनिवर्सिटी के दुष्प्रचार के गर्भ से पैदा हुआ है. कब तक दुष्प्रचार के गर्भ से सरकारें बनेंगी! उपनल सहित हजारों सरकारी पदों पर आरूढ़ नौजवानों का भविष्य चौपट दिखाई दे रहा है, पर्यावरण की रक्षा, एक स्वस्थ शहरी विकास की नीति, महंगाई, बेरोजगारी, विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी कई-कई समस्याएं हैं, कब चुनाव परिणामों का कारक बनेगी! काश हम अपने जीवन काल में ऐसा कर पाएं, लगे रहो मुन्ना भाई! बुरा न मानो होली है, आप सबको होली की बहुत-बहुत बधाई.
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यहां से उठा मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा: दरअसल, पूर्व में उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का एक वीडियो वायरल हुआ था. वायरल वीडियो में अकील अहमद कह रहे है कि उन्होंने सहसपुर विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनसे वादा किया है कि अगर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुस्लिम छात्रों के लिए एक विश्वविद्यालय बनाया जाएगा. इसलिए उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया.
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अकील अहमद की सफाई: वायरल वीडियो वाले बयान पर अकील अहमद ने सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने हरीश रावत से मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने के लिए बात जरूर की है, लेकिन हरीश रावत ने उनसे कोई वादा नहीं किया है. अकील अहमद ने कहा कि राज्य में 18 प्रतिशत मुस्लिम हैं. उनके लिए यूनिवर्सिटी बननी चाहिए. हालांकि कांग्रेस ने इस पर कोई सहमति नहीं जताई.