देहरादूनः 2020 के कड़वी यादों को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत अपने आवास पर 1 घंटे का सांकेतिक उपवास रखा. इस दौरान उन्होंने भाजपा सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि, अर्थव्यवस्था धीमी पड़ जाने से बेरोजगारी बढ़ी है और ना जाने कितने लोग हैं जो आधा पेट खाना खाकर सो रहे हैं. इस वर्ष को विदा करने के लिए यह सोचा कि मैं भी सत्याग्रह का रास्ता अपनाऊं इसलिए इस वर्ष की कटु स्मृतियों से संतप्त मन को शांति देने के लिए उन्होंने मौन उपवास रखा.
पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि, सत्ता के अहंकार और जुल्म के शिकार विपक्ष हो या आम नागरिक हो उनके पास सिर्फ एक हथियार है, वह है सत्याग्रह. क्योंकि गांधी जी हम सब को यह रास्ता दिखा कर गए हैं. उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों का भी जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली के दरवाजे पर हजारों किसान अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर अपनी खेती व अपने जीवन को बचाने के लिए खड़े हैं. लेकिन केंद्र सरकार उनकी मांगें मानने से इंकार कर रही है. इस बीच 45 किसान अपनी जिंदगी गवा चुके हैं और ना जाने कितने और किसानों का बलिदान सरकार चाह रही है.
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उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के किसान जब आंदोलन में भाग लेने के लिए निकले तो उन पर मुकदमें दर्ज करा दिए गए. वहीं हरिद्वार में मासूम बच्ची के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी जाती है. आक्रोशित लोग जब सड़कों पर निकलकर हत्यारों को फांसी देने की मांग कर रहे हैं तो सरकार उन पर भी आपराधिक धाराओं में मुकदमे लगवा रही है. 2020 की कड़वी यादों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह वर्ष बहुत सारी कड़वी यादें छोड़ कर जा रहा है. हमने व समाज ने कोरोना महामारी में कई अपनों को खोया है और यह संक्रमण आज भी साक्षात खतरे के रूप में विद्यमान है.
इसके साथ ही हरीश रावत ने अर्थव्यवस्था के रसातल में जाने और बढ़ती बेरोजगारी पर्व पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि इस वर्ष को विदा करने के लिए उन्होंने सोचा कि वह भी सत्याग्रह का रास्ता अपनाएंगे इसलिए उन्होंने गुरुवार को 1 घंटे का मौन उपवास रखा और इस इस वर्ष की कटु स्मृतियों और संतप्त मन को शांति देने का काम किया.