देहरादून: उत्तराखंड के राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद रिक्त चल रहे पद पर कांग्रेस आलाकमान ने प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया है. वहीं, गणेश गोदियाल को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी सौंपी है. जिसके बाद सियासी पंडित इसके कई मायने निकाल रहे हैं.
एक महीने लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार आलाकमान ने नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष और चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है. लिहाजा, अब कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी देते हुए प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष, गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है.
वैसे प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद हरदा ने एक बड़ा दांव खेलते हुए प्रदेश कांग्रेस की पूरी कमान अपने हाथों में ले ली है. यह बात समझना जरूरी है कि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के रहते हुए हरदा जो काम, प्रदेश कांग्रेस के जरिए करना चाहते थे, वह नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में चुनाव से पहले ही हरदा ने बड़ा दांव खेलते हुए चुनाव से पहले ही प्रीतम सिंह को साइडलाइन कर अपना 'पावर गेम' दिखा दिया है.
वहीं, गणेश गोदियाल जिन्हें प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वह हरीश रावत गुट से हैं और दोनों के बीचे काफी अच्छे संबंध हैं. ऐसे में अब प्रदेश संगठन में हरदा जो बदलाव करना चाहते हैं, वह आसानी से कर सकेंगे. कुल मिलाकर देखें तो प्रदेश कांग्रेस के भीतर हुए इस बड़े बदलाव के सूत्रधार हरीश रावत ही हैं. जिन्होंने चुनाव से पहले ही पार्टी के अंदर अपने प्रतिनिधि को किनारे कर दिया है.
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कांग्रेस आलाकमान को हरदा ने यह भरोसा दिलाया है कि उनके बिना कांग्रेस प्रदेश में चुनाव नहीं जीत सकती. हालांकि, समय-समय पर अपने बयानों को लेकर हरीश रावत चर्चाओं में रहते हैं. साल 2017 में दोनों विधानसभा सीट से चुनाव हारने के बावजूद हरदा चुप नहीं बैठे, वह लगातार अपने ही अंदाज में राज्य सरकार को चुनौती देते रहे हैं.
प्रदेश की राजनीतिक पर अपनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत की मानें तो हरीश रावत एक मंझे हुए खिलाड़ी हैं. वह कोई भी काम जल्दबाजी में नहीं करते, बल्कि वह पूरी प्लानिंग के साथ चीजों को अंजाम तक पहुंचाते हैं. जिसका जीता जगता उदाहरण उत्तराखंड कांग्रेस में देखने को मिला है.
जय सिंह रावत ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस में दो गुट शुरू से ही मुख्य रूप से देखे जाते रहे हैं. पहला इंदिरा हृदयेश एवं प्रीतम सिंह का गुट और दूसरा हरीश रावत का गुट. हालांकि, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद अब प्रदेश कांग्रेस में एकमात्र चेहरा हरीश रावत का ही बचा है. जिनके बलबूते कांग्रेस प्रदेश में चुनाव जीत सकती है. यही कारण है कि प्रदेश में आलाकमान के सभी फैसलों को हरीश रावत ने अपने पक्ष में कर लिया है.
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वहीं, कांग्रेस आलाकमान हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे में यह स्पष्ट हो गया है कि हरीश रावत जिसको चाहेंगे उस उम्मीदवार को टिकट दिया जाएगा. नेता प्रतिपक्ष के चुनाव में देरी और फिर प्रदेश कांग्रेस में इस बदलाव के सूत्रधार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ही हैं.
जय सिंह रावत का कहना है कि पंजाब कांग्रेस में जो फेरबदल कर नवजोत सिद्धू को जो प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है, उसकी रिपोर्ट भी हरदा ने ही आलाकमान को दी. इसी तरह उत्तराखंड में आगामी चुनाव को लेकर आलाकमान ने हरदा पर ही दांव खेला है. यानी यह स्पष्ट हो गया है कि अगर 2022 विधानसभा चुनाव कांग्रेस जीतती है तो मुख्यमंत्री हरीश रावत ही बनेंगे. क्योंकि, अपने प्रतिद्वंदियों को हरीश रावत ने पहले ही साइडलाइन कर दिया है.
बहरहाल, गणेश गोदियाल भी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. साल 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में गोदियाल ने रमेश पोखरियाल निशंक को पटखनी दी थी. जो बीजेपी की ओर से संभावित मुख्यमंत्री थे. वहीं, गणेश गोदियाल बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान जहां प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल गढ़वाल क्षेत्र को संभालेंगे. वहीं, हरदा कुमाऊं क्षेत्र में कांग्रेस को और मजबूत करने का काम करेंगे.