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न ट्रेनिंग-न आधुनिक हथियार, वनकर्मी कैसे करेंगे जंगल सुरक्षित जब खुद ही 'लाचार'

विभागीय लापरवाही के कारण ही वन्यजीवों से संघर्ष के दौरान वनकर्मियों की अकाल मौत हो रही है. कई दफा वनकर्मी उपकरणों के अभाव में आग बुझाते वक्त झुलस भी चुके हैं.

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Published : Feb 23, 2021, 2:01 PM IST

Updated : Feb 23, 2021, 4:15 PM IST

ऋषिकेश: राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के ही वन दारोगा दिनेश कोठियाल ने फॉरेस्ट कर्मियों की सुरक्षा के लिए सरकारी इंतजामों की हकीकत बयां की है. उनका कहना है कि वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने फारेस्ट कर्मियों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं कराए हैं, अभी भी दशकों पुरानी पद्धति पर ही काम चल रहा है. हैरानी की बात ये है कि वन्यजीव से सामना होने पर निपटने के लिए न तो वनकर्मियों को उम्दा प्रशिक्षण दिया गया है और न ही आधुनिक हथियार.

वनकर्मी कैसे करेंगे जंगल सुरक्षित जब खुद ही 'लाचार'.

वन दारोगा दिनेश कोठियाल के मुताबिक, विभागीय लापरवाही के कारण ही वन्यजीवों से संघर्ष के दौरान वनकर्मियों की अकाल मौत हो रही है. कई दफा वनकर्मी उपकरणों के अभाव में आग बुझाते वक्त झुलस भी चुके हैं, बावजूद इसके न तो सरकार और न ही महकमा इसपर गंभीर है. स्थिति ऐसी है कि किसी वन्यजीव से जंगल में सामना होने पर वनकर्मी फायर के लिए हथियार निकालते हैं, तो उससे सिर्फ एक ही गोली चलती है. दूसरी गोली चलाने के लिए अपलोडिंग में इतना वक्त लग जाता है कि तबतक जानवर हमला कर देता है.

पढ़ेंः गंगा से संबंधित मांगों को लेकर अनशन पर बैठे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद

उन्होंने सरकार से वनकर्मियों को आधुनिक हथियार उपलब्ध कराने के लिए कहा है. सिर्फ इतना ही नहीं, वन दारोगा ने विभागीय स्तर पर वन्यजीवों से संघर्ष होने पर उससे बचने और निपटने के लिए प्रशिक्षण दिए जाने की भी जरूरत बताई है.

ऋषिकेश: राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के ही वन दारोगा दिनेश कोठियाल ने फॉरेस्ट कर्मियों की सुरक्षा के लिए सरकारी इंतजामों की हकीकत बयां की है. उनका कहना है कि वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने फारेस्ट कर्मियों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं कराए हैं, अभी भी दशकों पुरानी पद्धति पर ही काम चल रहा है. हैरानी की बात ये है कि वन्यजीव से सामना होने पर निपटने के लिए न तो वनकर्मियों को उम्दा प्रशिक्षण दिया गया है और न ही आधुनिक हथियार.

वनकर्मी कैसे करेंगे जंगल सुरक्षित जब खुद ही 'लाचार'.

वन दारोगा दिनेश कोठियाल के मुताबिक, विभागीय लापरवाही के कारण ही वन्यजीवों से संघर्ष के दौरान वनकर्मियों की अकाल मौत हो रही है. कई दफा वनकर्मी उपकरणों के अभाव में आग बुझाते वक्त झुलस भी चुके हैं, बावजूद इसके न तो सरकार और न ही महकमा इसपर गंभीर है. स्थिति ऐसी है कि किसी वन्यजीव से जंगल में सामना होने पर वनकर्मी फायर के लिए हथियार निकालते हैं, तो उससे सिर्फ एक ही गोली चलती है. दूसरी गोली चलाने के लिए अपलोडिंग में इतना वक्त लग जाता है कि तबतक जानवर हमला कर देता है.

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उन्होंने सरकार से वनकर्मियों को आधुनिक हथियार उपलब्ध कराने के लिए कहा है. सिर्फ इतना ही नहीं, वन दारोगा ने विभागीय स्तर पर वन्यजीवों से संघर्ष होने पर उससे बचने और निपटने के लिए प्रशिक्षण दिए जाने की भी जरूरत बताई है.

Last Updated : Feb 23, 2021, 4:15 PM IST
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