ETV Bharat / state

वन अनुसंधान केंद्र ने बनाई तुलसी वाटिका, 24 किस्मों का हो रहा संरक्षण - तुलसी के पौधों का संरक्षित

वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं विलुप्त हो रहे तुलसी के पौधों को संरक्षित करने का काम कर रहा है. जिसके तहत तुलसी वाटिका की स्थापना कर उसमें तुलसी के पौधों को स्थापित करने का काम कर रहा है. जिससे कि उनकी औषधीय गुणों की पहचान हो सके.

Tulsi plants
Tulsi plants
author img

By

Published : Jul 15, 2021, 12:31 PM IST

Updated : Jul 15, 2021, 12:36 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र (Uttarakhand Forest Research Center) कई विलुप्त प्रजातियों के पौधों को संरक्षित कर उनकी पहचान दिलाने का काम किया है. इसी के तहत वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं (Forest Research Center Lalkuan) ने देश-विदेश के विलुप्त हो रहे तुलसी के पौधों को संरक्षित करने का काम कर रहा है. जिसके तहत तुलसी वाटिका (Tulsi Vatika) की स्थापना कर उसमें तुलसी के पौधों को स्थापित करने का काम कर रहा है. जिससे कि उनकी औषधीय गुणों की पहचान हो सके.

वाटिका के माध्यम से अनुसंधान केंद्र विलुप्त हो रहे 24 प्रजातियों के तुलसी के पौधों को संरक्षित करने का काम कर रहा है.

वन अनुसंधान केंद्र ने बनाई तुलसी वाटिका.

वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि अनुसंधान केंद्र विलुप्त हो रहे कई पौधों को संरक्षित करने का काम किया है. इसके अलावा कई अन्य वाटिका के माध्यम से कई प्रजातियों के पौधों को उनकी पहचान भी दिला रहा है. अब तुलसी वाटिका के स्थापना की है जिसके तहत अभी तक 24 प्रजातियों के देश-विदेश के तुलसी के पौधे लाकर यहां पर संरक्षित किया गया है.

इसके अलावा वर्तमान समय में और भी विलुप्त हो रहे तुलसी के प्रजातियों के पौधों को संरक्षित करने का काम किया जाएगा. जिससे कि तुलसी के विलुप्त हो रहे प्रजातियों के अस्तित्व को बचाया जा सकें. साथ ही उनके औषधीय गुणों को भी पहचान बनी रहे.

पढ़ें: वन अनुसंधान केंद्र सगंध पौधों से करेगा कमाई, 132 प्रजातियों से निकालेगा तेल

उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से श्यामा तुलसी, लेमन तुलसी, नींबू तुलसी, रुद्रा तुलसी, लोंग तुलसी, रामा तुलसी, कपूर तुलसी, वन तुलसी, काली तुलसी के आना अलावा 24 प्रजातियों के तुलसी के पौधे लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के काम में आता है और इसके कई औषधीय गुण भी हैं, जो कई बीमारियों के लिए रामबाण इलाज है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र (Uttarakhand Forest Research Center) कई विलुप्त प्रजातियों के पौधों को संरक्षित कर उनकी पहचान दिलाने का काम किया है. इसी के तहत वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं (Forest Research Center Lalkuan) ने देश-विदेश के विलुप्त हो रहे तुलसी के पौधों को संरक्षित करने का काम कर रहा है. जिसके तहत तुलसी वाटिका (Tulsi Vatika) की स्थापना कर उसमें तुलसी के पौधों को स्थापित करने का काम कर रहा है. जिससे कि उनकी औषधीय गुणों की पहचान हो सके.

वाटिका के माध्यम से अनुसंधान केंद्र विलुप्त हो रहे 24 प्रजातियों के तुलसी के पौधों को संरक्षित करने का काम कर रहा है.

वन अनुसंधान केंद्र ने बनाई तुलसी वाटिका.

वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि अनुसंधान केंद्र विलुप्त हो रहे कई पौधों को संरक्षित करने का काम किया है. इसके अलावा कई अन्य वाटिका के माध्यम से कई प्रजातियों के पौधों को उनकी पहचान भी दिला रहा है. अब तुलसी वाटिका के स्थापना की है जिसके तहत अभी तक 24 प्रजातियों के देश-विदेश के तुलसी के पौधे लाकर यहां पर संरक्षित किया गया है.

इसके अलावा वर्तमान समय में और भी विलुप्त हो रहे तुलसी के प्रजातियों के पौधों को संरक्षित करने का काम किया जाएगा. जिससे कि तुलसी के विलुप्त हो रहे प्रजातियों के अस्तित्व को बचाया जा सकें. साथ ही उनके औषधीय गुणों को भी पहचान बनी रहे.

पढ़ें: वन अनुसंधान केंद्र सगंध पौधों से करेगा कमाई, 132 प्रजातियों से निकालेगा तेल

उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से श्यामा तुलसी, लेमन तुलसी, नींबू तुलसी, रुद्रा तुलसी, लोंग तुलसी, रामा तुलसी, कपूर तुलसी, वन तुलसी, काली तुलसी के आना अलावा 24 प्रजातियों के तुलसी के पौधे लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के काम में आता है और इसके कई औषधीय गुण भी हैं, जो कई बीमारियों के लिए रामबाण इलाज है.

Last Updated : Jul 15, 2021, 12:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.