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परमार्थ निकेतन में भारतीय संस्कृति से रूबरू हुए विदेशी सैलानी, पर्यावरण संरक्षण का लिया संकल्प

तीर्थनगर स्थित परमार्थ निकेतन में मेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, ब्राजील सहित विश्व के अनेक देशों से आये दल ने भारतीय संस्कृति को आत्मसात किया.

परमार्थ निकेतन
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Published : Nov 17, 2019, 10:13 AM IST

ऋषिकेशः विश्व के अनेक देशों से आये सैलानियों के दल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात की. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, ब्राजील सहित विश्व के अनेक देशों से आये दल के सदस्य परमार्थ निकेतन में रहकर योग, ध्यान, प्राणायाम, भारतीय संगीत और दर्शन को आत्मसात कर रहे हैं. स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि योग, आयुर्वेद, ध्यान एवं भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने के साथ यहां से पर्यावरण और नदियों के संरक्षण का संदेश लेकर जाएं.

मानसिक स्वास्थ्य के लिये योग अत्यंत महत्वपूर्ण है. पतंजलि योग सूत्र कहता है कि योग चित्तवृति निरोध तथा गीता में कहा गया है कि 'समत्वम् योगमुच्यते' सामान्य अर्थों में योग का तात्पर्य मेल से है तथा विचारों और कार्यो के बीच संतुलन, तन और मन के बीच समावेशी दृष्टिकोण के साथ ऊर्जा के उपयोग का माध्यम.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड में प्रदूषण पर लगेगी लगाम, इन शहरों के लिए तैयार हुई कार्ययोजना

स्वामी ने उन्हें पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने के लिये प्रेरित किया और कहा कि वैश्विक स्तर पर घटता भूजल स्तर और प्रदूषित होती प्राणवायु ऑक्सीजन के लिये मिलकर कार्य करने की जरूरत है. योग जीवन पद्धति है तथा जल और वायु जीवन है. वर्तमान समय में प्रदूषित होती वायु और घटता जल स्तर भविष्य में जीवन पर आने वाले संकट का संदेश दे रहा है इसलिए अपनी-अपनी सामर्थ एवं तकनीकी के आधार पर इस दिशा में कार्य करें.

प्रकृति के साथ जुड़े और जोड़ें तो निश्चित ही विलक्षण परिणाम प्राप्त होंगे. दल के सभी सदस्यों ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया तथा विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति होती रहे. इस भावना के साथ वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की और सभी ने पर्यावरण एवं नदियों के लिये मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया.

ऋषिकेशः विश्व के अनेक देशों से आये सैलानियों के दल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात की. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, ब्राजील सहित विश्व के अनेक देशों से आये दल के सदस्य परमार्थ निकेतन में रहकर योग, ध्यान, प्राणायाम, भारतीय संगीत और दर्शन को आत्मसात कर रहे हैं. स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि योग, आयुर्वेद, ध्यान एवं भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने के साथ यहां से पर्यावरण और नदियों के संरक्षण का संदेश लेकर जाएं.

मानसिक स्वास्थ्य के लिये योग अत्यंत महत्वपूर्ण है. पतंजलि योग सूत्र कहता है कि योग चित्तवृति निरोध तथा गीता में कहा गया है कि 'समत्वम् योगमुच्यते' सामान्य अर्थों में योग का तात्पर्य मेल से है तथा विचारों और कार्यो के बीच संतुलन, तन और मन के बीच समावेशी दृष्टिकोण के साथ ऊर्जा के उपयोग का माध्यम.

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स्वामी ने उन्हें पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने के लिये प्रेरित किया और कहा कि वैश्विक स्तर पर घटता भूजल स्तर और प्रदूषित होती प्राणवायु ऑक्सीजन के लिये मिलकर कार्य करने की जरूरत है. योग जीवन पद्धति है तथा जल और वायु जीवन है. वर्तमान समय में प्रदूषित होती वायु और घटता जल स्तर भविष्य में जीवन पर आने वाले संकट का संदेश दे रहा है इसलिए अपनी-अपनी सामर्थ एवं तकनीकी के आधार पर इस दिशा में कार्य करें.

प्रकृति के साथ जुड़े और जोड़ें तो निश्चित ही विलक्षण परिणाम प्राप्त होंगे. दल के सभी सदस्यों ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया तथा विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति होती रहे. इस भावना के साथ वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की और सभी ने पर्यावरण एवं नदियों के लिये मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया.

Intro:ऋषिकेश--विश्व के अनेक देशों से आये सैलानियों के दल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात किया। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, ब्राजील सहित विश्व के अनेक देशों से आये दल के सदस्य परमार्थ निकेतन में रहकर योग, ध्यान, प्राणायाम, भारतीय संगीत और दर्शन को आत्मसात कर रहे है।


Body:वी/ओ--स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि योग, आयुर्वेद, ध्यान एवं भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने के साथ यहां से पर्यावरण और नदियों के संरक्षण का संदेश लेकर जायें। मानसिक स्वास्थ्य के लिये योग अत्यंत महत्वपूर्ण है। पतंजलि योग सूत्र कहता है कि ’योगः चित्तवृति निरोधः’ तथा भगवद्गीता में कहा गया है कि ’समत्वम् योगमुच्यते’। सामान्य अर्थों में योग का तात्पर्य मेल से है तथा विचारों और कार्यो के बीच संतुलन, तन और मन के बीच समावेशी दृष्टिकोण के साथ ऊर्जा के उपयोग का माध्यम।
 स्वामी जी ने उन्हंे पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने के लिये प्रेरित किया और कहा कि वैश्विक स्तर पर घटता भूजल स्तर और प्रदूषित होती प्राणवायु आॅक्सीजन के लिये मिलकर कार्य करने की जरूरत है। योग जीवन पद्धति है तथा जल और वायुु जीवन है। वर्तमान समय में प्रदूषित होती वायु और घटता जल स्तर भविष्य में जीवन पर आने वाले संकट का संदेश दे रहा है इसलिये अपनी अपनी सामथ्र्य एवं तकनीकी के आधार पर इस दिशा में कार्य करे। प्रकृति के साथ जुड़े और जोड़े तो निश्चित ही विलक्षण परिणाम प्राप्त होगें। 
 


Conclusion:वी/ओ--दल के सभी सदस्यों ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया तथा विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति होती रहे इस भावना के साथ वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की और सभी ने पर्यावरण एवं नदियों के लिये मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया।
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