ETV Bharat / state

ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी से जूझ रहा FDA, पुलिस के भरोसे चल रही छापेमारी - ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी से जूझ रहा FDA

उत्तराखंड खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ड्रग इंसपेक्टरों की कमी से जुझ रहा है. जिसकी वजह से एफडीए को छापेमारी के लिए पुलिस पर निर्भर रहना पड़ता है. जबकि, प्रदेश में कुल 25 पद ड्रग इंस्पेक्टर की स्वीकृत हैं, लेकिन 13 जिले वाले उत्तराखंड में मात्र 6 ड्रग इंस्पेक्टर ही कार्यरत हैं.

Food safety and Drug Administration
ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी से जूझ रहा FDA
author img

By

Published : Nov 22, 2022, 3:46 PM IST

Updated : Nov 22, 2022, 3:52 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में एक ओर जहां अवैध शराब कारोबार और खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी (food adulteration) के मामले सामने आते रहते हैं. वहीं, प्रदेश में नकली दवाओं का व्यापार (trade in counterfeit drugs) भी तेजी से फल-फूल रहा है. समय-समय पर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (Food safety and Drug Administration) द्वारा की गई छापेमारी में देहरादून समेत कई जगहों पर नकली दवाओं के साथ कई आरोपी गिरफ्तार हुए हैं, लेकिन औषधि नियंत्रक विभाग को कर्मचारियों की कमी के चलते रेगुलर अभियान चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी से जूझ रहा FDA

दरअसल, औषधि नियंत्रक विभाग (drug control department) के पास पर्याप्त मात्रा में ड्रग इंस्पेक्टर ना होने के चलते एफडीए को पुलिस विभाग के अधीन रहना पड़ रहा है. इसके चलते छापेमारी की कार्रवाई उतनी नहीं हो पा रही है, जितनी होनी चाहिए. क्योंकि, औषधि नियंत्रण विभाग में ड्रग इंस्पेक्टर के 25 पद सृजित हैं, लेकिन 6 ड्रग इंस्पेक्टर ही कार्यरत हैं. यानी 19 ड्रग इंस्पेक्टर के पद खाली चल रहे हैं. ऐसे में देखा जाए प्रदेश की 13 जिलों पर मात्र 6 ड्रग इंस्पेक्टर कार्यरत हैं.
ये भी पढ़ें: युवक पर लगा नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप, जांच में जुटी रुड़की पुलिस

औषधि नियंत्रण विभाग से मिली जानकारी अनुसार पिछले 2 साल के भीतर कुछ जगहों पर ही छापेमारी की गई है. जिसमें 31 लोगों को ही गिरफ्तार किया जा सका है. उत्तराखंड औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह भी मान रहे हैं कि ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी के चलते रेगुलर छापेमारी करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, खाली पड़े ड्रग इंस्पेक्टरों के पदों को भरने के लिए लोक सेवा आयोग को पत्र भेजा जा चुका है.

देहरादून: उत्तराखंड में एक ओर जहां अवैध शराब कारोबार और खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी (food adulteration) के मामले सामने आते रहते हैं. वहीं, प्रदेश में नकली दवाओं का व्यापार (trade in counterfeit drugs) भी तेजी से फल-फूल रहा है. समय-समय पर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (Food safety and Drug Administration) द्वारा की गई छापेमारी में देहरादून समेत कई जगहों पर नकली दवाओं के साथ कई आरोपी गिरफ्तार हुए हैं, लेकिन औषधि नियंत्रक विभाग को कर्मचारियों की कमी के चलते रेगुलर अभियान चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी से जूझ रहा FDA

दरअसल, औषधि नियंत्रक विभाग (drug control department) के पास पर्याप्त मात्रा में ड्रग इंस्पेक्टर ना होने के चलते एफडीए को पुलिस विभाग के अधीन रहना पड़ रहा है. इसके चलते छापेमारी की कार्रवाई उतनी नहीं हो पा रही है, जितनी होनी चाहिए. क्योंकि, औषधि नियंत्रण विभाग में ड्रग इंस्पेक्टर के 25 पद सृजित हैं, लेकिन 6 ड्रग इंस्पेक्टर ही कार्यरत हैं. यानी 19 ड्रग इंस्पेक्टर के पद खाली चल रहे हैं. ऐसे में देखा जाए प्रदेश की 13 जिलों पर मात्र 6 ड्रग इंस्पेक्टर कार्यरत हैं.
ये भी पढ़ें: युवक पर लगा नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप, जांच में जुटी रुड़की पुलिस

औषधि नियंत्रण विभाग से मिली जानकारी अनुसार पिछले 2 साल के भीतर कुछ जगहों पर ही छापेमारी की गई है. जिसमें 31 लोगों को ही गिरफ्तार किया जा सका है. उत्तराखंड औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह भी मान रहे हैं कि ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी के चलते रेगुलर छापेमारी करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, खाली पड़े ड्रग इंस्पेक्टरों के पदों को भरने के लिए लोक सेवा आयोग को पत्र भेजा जा चुका है.

Last Updated : Nov 22, 2022, 3:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.