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मछली पालन की इस विधि में कम पानी-जगह में ले ज्यादा उत्पादन, किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण

उत्तराखंड में कम पानी और कम जगह में मछली पालने के लिए बायोफ्लॉक विधि का उपयोग करने जा रही है. इसी क्रम में किसानों को जल्द इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा.

Biofloc Method in Fisheries
मछली पालन में बायोफ्लॉक विधि
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Published : Oct 4, 2020, 4:45 PM IST

देहरादून: कोरोना संकटकाल में अगर आप खुद कोई स्वरोजगार शुरू करने की सोच रहे हैं, तो आप के लिए मछली पालन एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. दरअसल, मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना शुरू की गई है. इस योजना के तहत बायोफ्लॉक तकनीक से आप कम खर्च में अपने घर की छत पर मछली पालन शुरू कर सकते हैं. जिसके लिए सरकार से आपको सब्सिडी भी दी जाएगी.

किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षण.

क्या है बायोफ्लॉक विधि

बायोफ्लॉक मछली पालन में एक नई विधि है. इसमें टैंकों में मछली पाली जाती है. टैंकों में मछलियां जो वेस्ट निकालती है. उसको बैक्टीरिया के द्वारा प्यूरीफाई किया जाता है. यह बैक्टीरिया मछली के 20 प्रतिशत मल को प्रोटीन में बदल देता हैं. मछली इस प्रोटीन को खा लेती हैं और बढ़ती जाती हैं. बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करने पर आपको 4 महीने में केवल एक ही बार पानी भरने या बदलने की जरूरत पड़ती है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली : हमला करने आए चार संदिग्ध आतंकी हथियारों संग गिरफ्तार

ईटीवी भारत से खास बातचीत में मत्स्य एवं पशुपालन राज्यमंत्री रेखा आर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत प्रदेश में जल्द बायोफ्लॉक तकनीक को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसके लिए पहले चरण में गदरपुर के बौर फिश फॉर्म में ट्रेनिंग सेंटर बनाया जा रहा है. इस योजना के तहत बायोफ्लॉक तकनीक से मत्स्य पालन शुरू करने वाले किसानों को केंद्र सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जाएगी. इसमें सामान्य वर्ग को 40%, एससी-एसटी और महिलाओं को 60% तक की सब्सिडी दी जाएगी.

देहरादून: कोरोना संकटकाल में अगर आप खुद कोई स्वरोजगार शुरू करने की सोच रहे हैं, तो आप के लिए मछली पालन एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. दरअसल, मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना शुरू की गई है. इस योजना के तहत बायोफ्लॉक तकनीक से आप कम खर्च में अपने घर की छत पर मछली पालन शुरू कर सकते हैं. जिसके लिए सरकार से आपको सब्सिडी भी दी जाएगी.

किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षण.

क्या है बायोफ्लॉक विधि

बायोफ्लॉक मछली पालन में एक नई विधि है. इसमें टैंकों में मछली पाली जाती है. टैंकों में मछलियां जो वेस्ट निकालती है. उसको बैक्टीरिया के द्वारा प्यूरीफाई किया जाता है. यह बैक्टीरिया मछली के 20 प्रतिशत मल को प्रोटीन में बदल देता हैं. मछली इस प्रोटीन को खा लेती हैं और बढ़ती जाती हैं. बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करने पर आपको 4 महीने में केवल एक ही बार पानी भरने या बदलने की जरूरत पड़ती है.

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ईटीवी भारत से खास बातचीत में मत्स्य एवं पशुपालन राज्यमंत्री रेखा आर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत प्रदेश में जल्द बायोफ्लॉक तकनीक को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसके लिए पहले चरण में गदरपुर के बौर फिश फॉर्म में ट्रेनिंग सेंटर बनाया जा रहा है. इस योजना के तहत बायोफ्लॉक तकनीक से मत्स्य पालन शुरू करने वाले किसानों को केंद्र सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जाएगी. इसमें सामान्य वर्ग को 40%, एससी-एसटी और महिलाओं को 60% तक की सब्सिडी दी जाएगी.

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