देहरादून: शारदीय नवरात्रि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, जो आज से शुरू हो रहे हैं.नवरात्रि में मां शक्ति के 9 स्वरूपों की उपासना की जाती है. मां शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है, इसलिए इनकी उपासना पहले दिन की जाती है. मार्केण्डय पुराण के अनुसार मां शैलपुत्री का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर हुआ था और इसी के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. मान्यता है कि मां की सच्चे मन से उपासना करने से हर मुराद और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
गौर हो कि नवरात्रि का हर दिन देवी के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरूप की कृपा से अलग-अलग तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. नवरात्रि के नौ दिन मां भगवती के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
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मान्यता है कि मां भगवती के नौ रूपों की उपासना से भक्तों को सुख-समृद्धि, शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है. नवरात्रि में मां शक्ति के नौ रूप जिस में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है.
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार राजा दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया. जिसमें उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया लेकिन भगवान शिव और माता उमा को आमंत्रित नहीं किया गया. जब यह बात राजा दक्ष प्रजापति की बेटी (माता उमा) व भगवान शिव ने सुनी तो मां के मन में यज्ञ में जाने की लालसा जागी. लेकिन भगवान शिव ने बिना बुलाए निमंत्रण में न जाने को कहा, लेकिन माता उमा नहीं मानी. साथ ही भगवान शिव से हठ करने लगी.
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भगवान शिव शंकर ने उन्हें काफी समझाया और जाने से मना किया, लेकिन फिर भी वो उस यज्ञ में पहुंच गईं. जब मां उमा उस यज्ञ में पहुंची तो उनका सभी ने अनादर किया यहां तक कि राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान भी किया. अपने पति का अनादर देकर मां क्रोधित हो गई और जलते कुंड में कूद गई. जब भगवान शिव को इसकी जानकारी मिली वे क्रोधित हो गए और तांडव करने लगे. जिसके बाद भयंकर संहार हुआ. मान्यता है कि मां उमा अपने अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया. इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है.
मां शक्ति के नौ दिन पूजा
17 अक्टूबर यानी आज- मां शैलपुत्री पूजा, कलश स्थापना
18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा