देहरादून: कोरोना के घटते ग्राफ के बीच प्रदेश सरकार ने अगस्त माह से 6 से लेकर 12वीं तक के छात्रों के लिए स्कूलों को दोबारा पढ़ाई के लिए खोल चुकी है. लेकिन स्कूलों में अभी महज 45 फीसदी छात्र ही पहुंच रहे हैं. इसका असर सीधा असर उन कारोबारियों पर पड़ रहा है, जिनका कारोबार सीधे तौर पर स्कूलों से जुड़ा हुआ है. इसमें मुख्य रूप से स्कूल वैन संचालक, स्टेशनरी एवं बुक स्टोर संचालक और स्कूल यूनिफार्म विक्रेता शामिल हैं.
दोबारा स्कूल खुलने से स्टेशनरी, बुक स्टोर संचालक और स्कूल यूनिफार्म विक्रेताओं के व्यापार में कुछ सुधार तो हुआ है. लेकिन यह सुधार महज 15 से 20 फीसदी तक का ही है. बुक स्टोर संचालक पंकज का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में सरकार ने स्कूल तो बंद कर दिए थे, लेकिन बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज जारी रहीं. इस स्थिति में छात्रों ने अपने परिचितों से ही किताबों का इंतजाम कर लिया. अब स्कूलों के साथ-साथ स्टेशनरी और बुक स्टोर भी खुल तो रहे हैं, लेकिन अभिभावक सीमित संख्या में खरीदारी को पहुंच रहे हैं.
वहीं, कुछ ऐसा ही हाल स्कूल यूनिफार्म विक्रेताओं का भी है. शहर के स्कूल यूनिफार्म विक्रेता राजेश विज और कुशाल सिंह बताते हैं कि कोविड ने उनकी आर्थिकी की कमर पूरी तरह से तोड़ दी है. स्थिति ऐसी हो चुकी है कि उनके पास अपने कारीगरों को देने के लिए भी अब पैसा नहीं रह गया है. स्कूल खुलने के बावजूद कम संख्या में छात्रों का स्कूल पहुंचना भी सीधे तौर पर उनके कारोबार पर असर डाल रहा है. जब छात्र स्कूल ही नहीं जाएंगे, तो उन्हें यूनिफार्म की क्या जरूरत होगी. हालांकि, अब सर्दी का सीजन करीब है, ऐसे में कई अभिभावक अपने बच्चों के लिए सर्दियों की यूनिफार्म खरीदने के इंतजार में हैं. ऐसे में उनका कारोबार जोर नहीं पकड़ रहा है.
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हालांकि स्टेशनरी, बुक स्टोर संचालकों और स्कूल यूनिफार्म विक्रेताओं के कारोबार में कोविड कर्फ्यू में राहत के बाद से कुछ 15 से 20 फीसदी तक सुधार हुआ है, लेकिन वैन संचालक अभी भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. वैन संचालक गगन ढींगरा बताते हैं कि देहरादून शहर में 600 से ज्यादा स्कूल वैन संचालक हैं. लेकिन अभी तक उनका काम पटरी पर नहीं लौटा है. जिसकी वजह से स्कूल वैन संचालकों के सामने रोजी रोटी का संकट गहराता जा रहा है. हालांकि, स्कूल वैन संचालक सरकार से वाहन टैक्स और इंश्योरेंस में राहत देने की मांग कर रहे हैं. लेकिन अब सरकार ने उन्हें कोई राहत नहीं दी है.