देहरादूनः क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड में साल 2019 को बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद से ही विरोध देखा जा रहा है. हालांकि अभी तक यह विरोध एसोसिएशन के भीतर तक ही सीमित था. लेकिन मुख्य कोच वसीम जाफर के इस्तीफा देने के बाद ये लड़ाई स्टेडियम से सड़क तक पहुंच गई है. एसोसिएशन से जुड़े सदस्यों के सुर अब तीखे होने लगे हैं. खिलाड़ियों के चयन प्रक्रिया से लेकर भी एसोसिएशन की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े होने लगे हैं. लिहाजा अगर एसोसिएशन की स्थिति ऐसी ही रही तो इसमें कोई चौंकाने वाली बात नहीं कि इसका असर आने वाले समय में खिलाड़ियों के भविष्य पर असर पड़ता दिखाई देगा.
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड की नींव रखने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री और एसोसिएशन के सदस्य हीरा सिंह बिष्ट खुद काफी मायूम हैं और नाराज भी. उन्होंने एसोसिएशन पर वन मैन शो और मनमानी करने का आरोप लगाया है. ईटीवी भारत से बातचीत में हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड के भीतर क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए जो हो सका, उन्होंने पहले किया और अब उसकी कमान नौजवानों के हाथ में सौंप दी है. लेकिन अब जो बातें सामने आ रही है उन बातों से उन्हें काफी तकलीफ हो रही है.
एसोसिएशन के भीतर वन मैन आर्मी शो
हीरा सिंह बिष्ट कहते हैं कि वर्तमान समय में एसोसिएशन के भीतर वन मैन आर्मी शो चल रहा है. यही वजह है कि एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारी इकट्ठे नहीं बैठ पा रहे हैं. और सलाह नहीं कर पा रहे हैं कि किसे बतौर कोच नियुक्त करना है. ऐसे में हम खुद ही एसोसिएशन के विनाश की लीला रच रहे हैं. इससे एसोसिएशन की बदनामी हो रही है. ऐसे में चाहिए कि समय रहते एसोसिएशन को संभाल लिया जाए, क्योंकि एसोसिएशन के बीच विवाद लंबे समय से चल रहा है.
हाईजेक हुआ एसोसिएशन
हीरा सिंह बिष्ट ने बताया कि वर्तमान समय में एसोसिएशन क्लबों के अधीन हो गया है, जो एसोसिएशन के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. क्योंकि एसोसिएशन के अंडर क्लब होने चाहिए, लेकिन अब उल्टा हो रहा है. वे कहते हैं कि इस एसोसिएशन को तमाम लोग मिलकर पिछले 40 साल से सींचते हुए आ रहे हैं. लेकिन अब जब नहीं संभाल पा रहे हैं तो ये उनकी ही कमी है. उन्होंने एसोसिएशन को हाईजैक कर लिया है.
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वसीम जाफर ने क्यों दिया इस्तीफा
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव महिम वर्मा ने बताया कि वसीम जाफर को बुलाया गया था ताकि उत्तराखंड सीनियर टीम को और मजबूत बनाने के साथ ही खिलाड़ी खेल की कुछ बारीकियां वसीम जाफर से सीख सकें. लेकिन सलेक्शन कमेटी और वसीम जाफर के बीच जो विवाद हुआ, वो सबके सामने है. इस विवाद को मैनेज करने की कोशिश भी की गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
सांप्रदायिकता का आरोप गलत
महिम वर्मा ने बताया कि एसोसिएशन में सांप्रदायिकता की जो बात सामने आ रही है, उसमें कोई सच्चाई नहीं है. क्योंकि अगर ऐसा होता तो वसीम जाफर को क्यों लेकर आते. यही नहीं, वर्तमान समय में सलेक्शन कमेटी के चेयरमैन रिजवान शमशाद हैं. जूनियर सलेक्शन कमेटी का जिम्मा जावेद खान के पास है. इसके साथ ही तमाम लोग टीम में भी शामिल हैं. ऐसे में इस तरह का आरोप लगाना बेहद गलत है.
परफॉर्मेंस के आधार पर खिलाड़ियों का चयन
महिम वर्मा ने बताया कि खिलाड़ियों के सलेक्शन में धांधली के आरोप लगाए जा रहे हैं. लेकिन टीम में खिलाड़ियों को सलेक्ट करने में एसोसिएशन के सचिव का कोई खास रोल नहीं होता है. क्योंकि खिलाड़ियों का चयन सलेक्शन कमेटी ही करती है. खिलाड़ियों के चयन के लिए ओपन ट्रायल किए जाते हैं. जो खिलाड़ी बेहतर परफॉर्मेंस करता है उसका चयन होता है.