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Organic Farming: उत्तराखंड में इस तरह होगी जैविक खेती, जर्मन एक्सपर्ट्स की राय जानिए - चौलाई की खेती

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में ऑर्गेनिक फार्मिंग यानी जैविक खेती की अपार संभावनाएं हैं. आप भी जैविक खेती के जरिए अपनी आय बढ़ा सकते हैं. जैविक खेती करने पर भूमि, जल और वायु प्रदूषण कम होता है. इतना ही नहीं इस खेती से पौष्टिक और जहर मुक्त भोजन का उत्पादन होता है, जो आज के मिलावटी दौर में तंदुरुस्त रखता है. लिहाजा, उत्तराखंड में जैविक खेती को लेकर ईटीवी भारत ने जर्मन एक्सपर्ट्स से खास बातचीत की. उन्होंने जैविक खेती के फायदे गिनाए.

Organic Farming in Uttarakhand
उत्तराखंड में जैविक खेती
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Published : Jan 24, 2023, 5:10 PM IST

Updated : Jan 24, 2023, 6:05 PM IST

उत्तराखंड में इस तरह होगी जैविक खेती.

देहरादून: इंटरनेशनल एग्रीकल्चर संस्था IFOAM जर्मनी से आए एक्सपर्ट गाबोर फिगेक्स्की (Gabor Figeczky) और पेट्रिका फ्लोर्स (Patricia Flores) ने उत्तराखंड ऑर्गेनिक सेक्टर से जुड़े लोगों को ऑर्गेनिक फार्मिंग से जुड़े वर्ल्ड क्लास स्टैंडर्ड को लेकर तमाम जानकारियां साझा की. इसके साथ ही वो उत्तराखंड के एक ऑर्गेनिक गांव में दौरा भी करेंगे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

पिछले कुछ सालों में 2% से बढ़कर 34% हुआ ऑर्गेनिक सेक्टर: उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में ऑर्गेनिक खेती पर काफी फोकस किया जा रहा है. वहीं ऑर्गेनिक खेती की दिशा में हो रही यह चर्चाएं बेहतर आउटपुट भी लेकर आ रही हैं. यही वजह है कि बीते सालों में उत्तराखंड ने विदेशों में होने वाले ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट काफी मात्रा में बढ़ाया है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए उत्तराखंड ऑर्गेनिक बोर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर विनय कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में ऑर्गेनिक खेती की अपार संभावनाओं के बदौलत ही कुछ सालों में उत्तराखंड में ऑर्गेनिक खेती का सेक्टर 2% से बढ़कर 34% हो गया है. उन्होंने बताया की साल 2003 से ही राज्य ने ऑर्गेनिक को लेकर काम शुरू कर दिया था और राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार उत्तराखंड के नाम हुए हैं.

इस तरह से उत्तराखंड राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक पहचान बना चुका है. अब मौका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने का है. इसी दिशा में विश्वस्तरीय एक ऑर्गेनिक संस्था के साथ उत्तराखंड ऑर्गेनिक कमोडिटी बोर्ड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने के लिए प्लान तैयार कर रहा है जिसके एक्सपर्ट जर्मनी से उत्तराखंड आए हैं.

जर्मनी के ऑर्गेनिक विशेषज्ञों से खास बातचीत: उत्तराखंड सरकार द्वारा जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय ऑर्गेनिक संस्था आइफॉम (IFOAM) के साथ करार किया गया है. 1972 से ऑर्गेनिक के क्षेत्र में स्टैबलिश आइफॉम संस्था ने 1980 से पूरे विश्व में ऑर्गेनिक खेती के प्रति युद्ध स्तर पर जागरूकता फैलाई है. यह संस्था 114 अलग-अलग देशों में इस वक्त ऑर्गेनिक के क्षेत्र में काम कर रही है.
ये भी पढ़ेंः ऑर्गेनिक खेती कर रोजगार को नई बुलंदियां दे रहे अनिल, मुनाफा कमाने के बताए टिप्स

आइफॉम (IFOAM) की ग्लोबल एकेडमी मैनेजर पेट्रिका फ्लोर्स (Patricia Flores) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि उन्हें मौका मिला है कि वो अंतरराष्ट्रीय स्तर की जानकारी और जागरूकता को उत्तराखंड में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल करें. उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक के प्रति लोगों को जागरूक करना और इसको एक समाधान की तरह इस्तेमाल करना पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती है और इसमें पर्वतीय क्षेत्र अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

उन्होंने बताया कि ऑर्गेनिक का इस्तेमाल करके हम अपनी धरती की सुरक्षा कर सकते हैं, अपने आप की सुरक्षा कर सकते हैं साथ ही साथ हम स्थानीय कृषकों के साथ भी एक अच्छा संबंध स्थापित कर सकते हैं. उन्होंने कहा है कि उन्हें भरोसा है कि हम ऑर्गेनिक को धरातल पर उतारने में सफल होंगे और कम से कम 20% ऑर्गेनिक क्षेत्र को यहां पर बढ़ावा देने में कारगर साबित होंगे. यह एक अच्छी गुणवत्ता वाली ऑर्गेनिक कृषि को भी बढ़ावा देगा.

इसके अलावा जर्मनी से आए दूसरे एक्सपर्ट आईफॉम (IFOAM) के हेड ऑफ ग्लोबल पॉलिसी गाबोर फिगेक्स्की (Gabor Figeczky) ने बताया कि पूरे विश्व में उनके 700 सदस्य हैं. उन्होंने उत्तराखंड में ऑर्गेनिक खेती को लेकर आने वाली चुनौतियों पर अपनी राय देते हुए कहा कि यही चुनौतियां हैं जो विश्व में कई देशों में अवसर में बदलती देखी गई हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड संभावनाओं से भरा एक बेहद महत्वपूर्ण Biodiversity प्रदेश है.
ये भी पढ़ेंः कृषि भूमि नुकसान के बावजूद क्यों बढ़ रहा उत्पादन? जानिए वजह....

उन्होंने कहा कि खेती के लिए उपयोग में आने वाली इकोलॉजिकल कंडीशन यहां पर ऑर्गेनिक फार्मिंग को चार चांद लगाएगी. उत्तराखंड के तमाम ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड पहले से ही ऑर्गेनिक के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहा है. यह उत्तराखंड के लिए और उत्तराखंड के किसानों के लिए एक बेहतर कंप्लीमेंट है.

वो पहले से इस तरह का काम कर रहे हैं और बस इसी काम को रफ्तार देनी है. उत्तराखंड के इन यूनीक और विशेष प्रोडक्ट को अब ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर लेकर जाना है. उन्होंने कहा कि हमारे पास एक पूरा ग्लोबल मार्केट है और वहां पर जानकारियों का भंडार है. जिसका निश्चित तौर से उत्तराखंड के ऑर्गेनिक कृषकों को लाभ मिलेगा.

पर्यावरण, स्वास्थ्य और आर्थिकी का एक जवाब है ऑर्गेनिक खेती: ऑर्गेनिक खेती को लेकर पिछले 19 सालों से देश-विदेशों में ऑर्गेनिक के क्षेत्र में काम कर रही ICCOA संस्था के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मनोज कुमार मेनन ने उत्तराखंड में ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर कहा कि उत्तराखंड राज्य पहले से ही ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर जागरूक है. उत्तराखंड की परंपराओं में ऑर्गेनिक फार्मिंग विद्यमान है.

अब इसे ग्लोबल मार्केट के साथ-साथ यहां पर वर्ल्ड क्लास स्टैंडर्ड के साथ ऑर्गेनिक फार्मिंग की दिशा में काम की शुरुआत की जा रही है, जिसको लेकर जर्मनी के एक्सपर्ट्स और देश के एक्सपर्ट्स साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक आज के दौर में एक बेहतर पर्यावरण, एक बेहतर स्वास्थ्य और एक मजबूत आर्थिकी का एक संयुक्त विकल्प है.
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उत्तराखंड में इस तरह होगी जैविक खेती.

देहरादून: इंटरनेशनल एग्रीकल्चर संस्था IFOAM जर्मनी से आए एक्सपर्ट गाबोर फिगेक्स्की (Gabor Figeczky) और पेट्रिका फ्लोर्स (Patricia Flores) ने उत्तराखंड ऑर्गेनिक सेक्टर से जुड़े लोगों को ऑर्गेनिक फार्मिंग से जुड़े वर्ल्ड क्लास स्टैंडर्ड को लेकर तमाम जानकारियां साझा की. इसके साथ ही वो उत्तराखंड के एक ऑर्गेनिक गांव में दौरा भी करेंगे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

पिछले कुछ सालों में 2% से बढ़कर 34% हुआ ऑर्गेनिक सेक्टर: उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में ऑर्गेनिक खेती पर काफी फोकस किया जा रहा है. वहीं ऑर्गेनिक खेती की दिशा में हो रही यह चर्चाएं बेहतर आउटपुट भी लेकर आ रही हैं. यही वजह है कि बीते सालों में उत्तराखंड ने विदेशों में होने वाले ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट काफी मात्रा में बढ़ाया है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए उत्तराखंड ऑर्गेनिक बोर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर विनय कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में ऑर्गेनिक खेती की अपार संभावनाओं के बदौलत ही कुछ सालों में उत्तराखंड में ऑर्गेनिक खेती का सेक्टर 2% से बढ़कर 34% हो गया है. उन्होंने बताया की साल 2003 से ही राज्य ने ऑर्गेनिक को लेकर काम शुरू कर दिया था और राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार उत्तराखंड के नाम हुए हैं.

इस तरह से उत्तराखंड राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक पहचान बना चुका है. अब मौका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने का है. इसी दिशा में विश्वस्तरीय एक ऑर्गेनिक संस्था के साथ उत्तराखंड ऑर्गेनिक कमोडिटी बोर्ड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने के लिए प्लान तैयार कर रहा है जिसके एक्सपर्ट जर्मनी से उत्तराखंड आए हैं.

जर्मनी के ऑर्गेनिक विशेषज्ञों से खास बातचीत: उत्तराखंड सरकार द्वारा जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय ऑर्गेनिक संस्था आइफॉम (IFOAM) के साथ करार किया गया है. 1972 से ऑर्गेनिक के क्षेत्र में स्टैबलिश आइफॉम संस्था ने 1980 से पूरे विश्व में ऑर्गेनिक खेती के प्रति युद्ध स्तर पर जागरूकता फैलाई है. यह संस्था 114 अलग-अलग देशों में इस वक्त ऑर्गेनिक के क्षेत्र में काम कर रही है.
ये भी पढ़ेंः ऑर्गेनिक खेती कर रोजगार को नई बुलंदियां दे रहे अनिल, मुनाफा कमाने के बताए टिप्स

आइफॉम (IFOAM) की ग्लोबल एकेडमी मैनेजर पेट्रिका फ्लोर्स (Patricia Flores) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि उन्हें मौका मिला है कि वो अंतरराष्ट्रीय स्तर की जानकारी और जागरूकता को उत्तराखंड में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल करें. उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक के प्रति लोगों को जागरूक करना और इसको एक समाधान की तरह इस्तेमाल करना पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती है और इसमें पर्वतीय क्षेत्र अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

उन्होंने बताया कि ऑर्गेनिक का इस्तेमाल करके हम अपनी धरती की सुरक्षा कर सकते हैं, अपने आप की सुरक्षा कर सकते हैं साथ ही साथ हम स्थानीय कृषकों के साथ भी एक अच्छा संबंध स्थापित कर सकते हैं. उन्होंने कहा है कि उन्हें भरोसा है कि हम ऑर्गेनिक को धरातल पर उतारने में सफल होंगे और कम से कम 20% ऑर्गेनिक क्षेत्र को यहां पर बढ़ावा देने में कारगर साबित होंगे. यह एक अच्छी गुणवत्ता वाली ऑर्गेनिक कृषि को भी बढ़ावा देगा.

इसके अलावा जर्मनी से आए दूसरे एक्सपर्ट आईफॉम (IFOAM) के हेड ऑफ ग्लोबल पॉलिसी गाबोर फिगेक्स्की (Gabor Figeczky) ने बताया कि पूरे विश्व में उनके 700 सदस्य हैं. उन्होंने उत्तराखंड में ऑर्गेनिक खेती को लेकर आने वाली चुनौतियों पर अपनी राय देते हुए कहा कि यही चुनौतियां हैं जो विश्व में कई देशों में अवसर में बदलती देखी गई हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड संभावनाओं से भरा एक बेहद महत्वपूर्ण Biodiversity प्रदेश है.
ये भी पढ़ेंः कृषि भूमि नुकसान के बावजूद क्यों बढ़ रहा उत्पादन? जानिए वजह....

उन्होंने कहा कि खेती के लिए उपयोग में आने वाली इकोलॉजिकल कंडीशन यहां पर ऑर्गेनिक फार्मिंग को चार चांद लगाएगी. उत्तराखंड के तमाम ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड पहले से ही ऑर्गेनिक के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहा है. यह उत्तराखंड के लिए और उत्तराखंड के किसानों के लिए एक बेहतर कंप्लीमेंट है.

वो पहले से इस तरह का काम कर रहे हैं और बस इसी काम को रफ्तार देनी है. उत्तराखंड के इन यूनीक और विशेष प्रोडक्ट को अब ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर लेकर जाना है. उन्होंने कहा कि हमारे पास एक पूरा ग्लोबल मार्केट है और वहां पर जानकारियों का भंडार है. जिसका निश्चित तौर से उत्तराखंड के ऑर्गेनिक कृषकों को लाभ मिलेगा.

पर्यावरण, स्वास्थ्य और आर्थिकी का एक जवाब है ऑर्गेनिक खेती: ऑर्गेनिक खेती को लेकर पिछले 19 सालों से देश-विदेशों में ऑर्गेनिक के क्षेत्र में काम कर रही ICCOA संस्था के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मनोज कुमार मेनन ने उत्तराखंड में ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर कहा कि उत्तराखंड राज्य पहले से ही ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर जागरूक है. उत्तराखंड की परंपराओं में ऑर्गेनिक फार्मिंग विद्यमान है.

अब इसे ग्लोबल मार्केट के साथ-साथ यहां पर वर्ल्ड क्लास स्टैंडर्ड के साथ ऑर्गेनिक फार्मिंग की दिशा में काम की शुरुआत की जा रही है, जिसको लेकर जर्मनी के एक्सपर्ट्स और देश के एक्सपर्ट्स साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक आज के दौर में एक बेहतर पर्यावरण, एक बेहतर स्वास्थ्य और एक मजबूत आर्थिकी का एक संयुक्त विकल्प है.
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Last Updated : Jan 24, 2023, 6:05 PM IST
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