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ऊर्जा निगमों में कर्मचारी संगठन आए आमने-सामने, एमडी पद को लेकर चल रही कसरत - देहरादून न्यूज

ऊर्जा निगम में प्रबंध निदेशक का पद पिछले कुछ समय से लगातार चर्चाओं और विवादों में रहा है. प्रबंध निदेशक पद को लेकर कुछ अधिकारियों के नामों पर चर्चाएं जोर शोर से जारी है. इस बीच प्रबंध निदेशक पर चली कसरत को लेकर निगमों के कर्मचारी संगठन ही आपस में भिड़ गए हैं.

Uttarakhand Energy Corporation
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Published : Sep 2, 2021, 7:30 AM IST

Updated : Sep 2, 2021, 7:58 AM IST

देहरादून: ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक पद को लेकर इन दिनों कुछ अधिकारियों के नामों पर चर्चाएं जोर शोर से जारी है. इस बीच यूपीसीएल (Uttarakhand Power Corporation Limited) और पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) (Power Transmission Corporation Of Uttarakhand Limited) में कर्मचारी संगठनों का चिट्ठी लिखने का दौर भी चल रहा है. इस बीच प्रबंध निदेशक पर चली कसरत को लेकर निगमों के कर्मचारी संगठन ही आपस में भिड़ गए हैं.

बता दें कि, ऊर्जा निगमों में यूपीसीएल और पिटकुल के प्रबंध निदेशक के तौर पर आईएएस दीपक रावत (IAS Deepak Rawat) को नियुक्त किया गया है. लेकिन प्रबंध निदेशक पद पर ऊर्जा निगम के ही कुछ अधिकारी हैं जो लगातार नजर बनाए हुए हैं. ऊर्जा निगम में प्रबंध निदेशक की स्थाई नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया चल रही है. लेकिन कुछ अधिकारी है जो नियम शर्तों में खरे नहीं उतरते, लिहाजा पिछले दिनों ऊर्जा निगम में प्रभारी प्रबंध निदेशक के पद पर किसी अधिकारी को नियुक्ति किए जाने की भी खूब चर्चाएं रही. तभी से ऊर्जा निगम में कर्मचारी संगठनों ने ऊर्जा मंत्री और सरकार पर दबाव बनाते हुए नियम शर्तों का पालन करने को लेकर चिट्टियां लिखनी शुरू कर दी है.

इन चिट्ठियों में सीधे तौर पर नियमों के अनुसार किसी इंजीनियर को ही प्रबंध निदेशक बनाए जाने की पैरवी की गई. लेकिन चिट्ठियों का दौर यहीं पर नहीं रूक रहा है. नियमों के तहत प्रबंध निदेशक न बन पाने वाले अधिकारी प्रभारी प्रबंध निदेशक के जरिए इस पद को पाने की जुगत में थे, उनके पक्ष में भी निगम के ही दूसरे संगठनों ने चिट्ठी लिखकर माहौल बनाने की कोशिश की. इन्हीं में एक ऊर्जा ऑफिसर संगठन भी है. जिसके पूर्व में निदेशक पीसी ध्यानी पदाधिकारी रह चुके हैं. साथ ही कई अधिकारी हैं जो इस संगठन के पदाधिकारी रहे हैं.

पढ़ें: ग्रामीणों ने फाड़े MLA भरत चौधरी के पोस्टर, विधायक ने दी जेल भेजने की धमकी

इंजीनियर संगठन में भी कई अधिकारी सदस्य रहे हैं. प्रबंध निदेशक के बहाने अधिकारी और ऊर्जा निगमों के संगठन अब आमने-सामने आते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसके लिए बकायदा क्षेत्रीयता तक का एजेंडा भी चलाया जा रहा है. दूसरा संगठन नियमों को आगे रखकर गैर इंजीनियर को प्रबंध निदेशक नहीं बनाने के रूप में मोर्चा खोले हुए हैं. हालांकि खबर यह भी है कि अब आईएएस दीपक रावत भी इन दोनों निगमों में पूरी तरह से रम गए हैं और वह खुद भी अब प्रबंध निदेशक बने रहना चाहते हैं.

क्या कहती है ऊर्जा निगम की नियमावली: पूर्व में ऊर्जा निगम में प्रबंध निदेशक के तौर पर किसी भी निदेशक को तैनाती दी जा सकती थी. इसके लिए कोई खास पैरामीटर तय नहीं किए गए थे. लेकिन ऊर्जा निगम की जरूरतों को देखते हुए इस पर कैबिनेट द्वारा पारित प्रबंध निदेशक अर्हता नियमावली अस्तित्व में लाई गई, जिसके तहत तकनीकी क्षेत्र में स्नातक करने वाले अधिकारी को ही प्रबंध निदेशक बनाया जा सकता है. यानी कोई इंजीनियर ही इस पद पर आसीन हो सकता है.

देहरादून: ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक पद को लेकर इन दिनों कुछ अधिकारियों के नामों पर चर्चाएं जोर शोर से जारी है. इस बीच यूपीसीएल (Uttarakhand Power Corporation Limited) और पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) (Power Transmission Corporation Of Uttarakhand Limited) में कर्मचारी संगठनों का चिट्ठी लिखने का दौर भी चल रहा है. इस बीच प्रबंध निदेशक पर चली कसरत को लेकर निगमों के कर्मचारी संगठन ही आपस में भिड़ गए हैं.

बता दें कि, ऊर्जा निगमों में यूपीसीएल और पिटकुल के प्रबंध निदेशक के तौर पर आईएएस दीपक रावत (IAS Deepak Rawat) को नियुक्त किया गया है. लेकिन प्रबंध निदेशक पद पर ऊर्जा निगम के ही कुछ अधिकारी हैं जो लगातार नजर बनाए हुए हैं. ऊर्जा निगम में प्रबंध निदेशक की स्थाई नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया चल रही है. लेकिन कुछ अधिकारी है जो नियम शर्तों में खरे नहीं उतरते, लिहाजा पिछले दिनों ऊर्जा निगम में प्रभारी प्रबंध निदेशक के पद पर किसी अधिकारी को नियुक्ति किए जाने की भी खूब चर्चाएं रही. तभी से ऊर्जा निगम में कर्मचारी संगठनों ने ऊर्जा मंत्री और सरकार पर दबाव बनाते हुए नियम शर्तों का पालन करने को लेकर चिट्टियां लिखनी शुरू कर दी है.

इन चिट्ठियों में सीधे तौर पर नियमों के अनुसार किसी इंजीनियर को ही प्रबंध निदेशक बनाए जाने की पैरवी की गई. लेकिन चिट्ठियों का दौर यहीं पर नहीं रूक रहा है. नियमों के तहत प्रबंध निदेशक न बन पाने वाले अधिकारी प्रभारी प्रबंध निदेशक के जरिए इस पद को पाने की जुगत में थे, उनके पक्ष में भी निगम के ही दूसरे संगठनों ने चिट्ठी लिखकर माहौल बनाने की कोशिश की. इन्हीं में एक ऊर्जा ऑफिसर संगठन भी है. जिसके पूर्व में निदेशक पीसी ध्यानी पदाधिकारी रह चुके हैं. साथ ही कई अधिकारी हैं जो इस संगठन के पदाधिकारी रहे हैं.

पढ़ें: ग्रामीणों ने फाड़े MLA भरत चौधरी के पोस्टर, विधायक ने दी जेल भेजने की धमकी

इंजीनियर संगठन में भी कई अधिकारी सदस्य रहे हैं. प्रबंध निदेशक के बहाने अधिकारी और ऊर्जा निगमों के संगठन अब आमने-सामने आते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसके लिए बकायदा क्षेत्रीयता तक का एजेंडा भी चलाया जा रहा है. दूसरा संगठन नियमों को आगे रखकर गैर इंजीनियर को प्रबंध निदेशक नहीं बनाने के रूप में मोर्चा खोले हुए हैं. हालांकि खबर यह भी है कि अब आईएएस दीपक रावत भी इन दोनों निगमों में पूरी तरह से रम गए हैं और वह खुद भी अब प्रबंध निदेशक बने रहना चाहते हैं.

क्या कहती है ऊर्जा निगम की नियमावली: पूर्व में ऊर्जा निगम में प्रबंध निदेशक के तौर पर किसी भी निदेशक को तैनाती दी जा सकती थी. इसके लिए कोई खास पैरामीटर तय नहीं किए गए थे. लेकिन ऊर्जा निगम की जरूरतों को देखते हुए इस पर कैबिनेट द्वारा पारित प्रबंध निदेशक अर्हता नियमावली अस्तित्व में लाई गई, जिसके तहत तकनीकी क्षेत्र में स्नातक करने वाले अधिकारी को ही प्रबंध निदेशक बनाया जा सकता है. यानी कोई इंजीनियर ही इस पद पर आसीन हो सकता है.

Last Updated : Sep 2, 2021, 7:58 AM IST
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