देहरादून: उत्तराखंड को ड्रग्स फ्री स्टेट (Uttarakhand drugs free state ) बनाने के उद्देश्य से प्रदेश भर में शीघ्र ही ‘ड्रग्स फ्री देवभूमि 2025 अभियान’ चलाया जायेगा. इस अभियान के तहत प्रत्येक माह शिक्षण संस्थानों, सार्वजनिक स्थानों, अनाथालयों, जिला कारागारों एवं सरकारी कार्यालयों में जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा. सभी शिक्षण संस्थानों में एंटी ड्रग्स सेल का गठन अनिवार्य रूप से करना होगा. राज्य सरकार शीघ्र ही एंटी ड्रग्स एंड रिहैबिलिटेशन पॉलिसी लाने जा रही है.
एंटी ड्रग्स एंड रिहैबिलिटेशन पॉलिसी की तैयारी: पॉलिसी का ड्राफ्ट स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है. इसके लिये सभी संबंधित विभागों से दो सप्ताह के भीतर सुझाव देने को कहा गया है. स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय स्थित एफआरडीसी सभागार में उत्तराखंड को ड्रग्स फ्री स्टेट बनाने को लेकर मैराथन बैठक हुई. बैठक में डॉक्टर रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तराखंड को साल 2025 तक ड्रग्स फ्री स्टेट बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके लिए शीघ्र ही एंटी ड्रग्स एंड रिहैबिलिटेशन पॉलिसी (Anti Drugs and Rehabilitation Policy) अस्तित्व में आ जायेगी.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को बनाया नोडल: राज्य में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को इस अभियान का नोडल बनाया गया है. पुलिस, समाज कल्याण, श्रम, सेवा योजन एवं कौशल विकास, विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृषि शिक्षा एवं आयुष शिक्षा आदि विभागों को भी अभियान में शामिल किया गया है. डॉक्टर रावत ने बताया कि अभियान के अंतर्गत प्रत्येक माह राज्य से लेकर ब्लॉक स्तर तक राजकीय एवं निजी विद्यालयों, महाविद्यालयों, निजी उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, सार्वजनिक स्थानों, जिला कारागारों, अनाथालयों एवं सरकारी कार्यालयों में ड्रग्स के दुष्प्रभावों को लेकर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.
कैंपेन में पंचायतों निकायों को भी करेंगे शामिल: अभियान में ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों, जिला पंचायतों, नगर निकायों को भी शामिल किया जायेगा. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभियान के साथ ही जो युवा ड्रग्स की चपेट में आ चुके हैं, उनके पुनर्वास के लिये समुचित व्यवस्था की जायेगी. इसके तहत राज्य सरकार के मानसिक चिकित्सालयों को उच्चीकृत करने के साथ ही काउंसलर एवं मनोचिकित्सक की तैनाती की जायेगी. इसके साथ ही जो एनजीओ इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उनके माध्यम से भी पुनर्वास का कार्य कराया जायेगा.
प्रत्येक जिले में बनेंगे रिहैबिलिटेशन सेंटर: साथ ही ऐसे एनजीओ को स्टेट मेंटल हेल्थ आथॉरिटी में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. ताकि समय समय इनके द्वारा किये जा रहे कार्यों का निरीक्षण किया जा सके. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ऐसे युवाओं के पुनर्वास एवं उपचार के लिए निःशुल्क दवा, टेलीमेडिसिन के माध्यम से काउंसिलिंग की व्यवस्था उपलब्ध है. पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि प्रत्येक जिले में रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाया जाना चाहिये. साथ ही जो लोग इस धंधे में लिप्त हैं, उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान भी किया जाना आवश्यक है.
निजी शिक्षण संस्थानों में भी लागू होंगे प्रावधान: इसके साथ ही जो एनजीओ सरकार के सहयोग से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उनके लिये भी नियम बनाये जाने जरूरी हैं. ताकि सरकारी सहयोग लेने के उपरांत सही ढंग से काम न करने वाले एनजीओ के विरुद्ध भी कार्रवाई की जा सके. बैठक में सचिव कृषि शिक्षा बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में ड्रग्स को रोकने के लिये जो प्रावधान तैयार किये जायेंगे, उनको सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों के साथ ही निजी शिक्षण संस्थानों में भी लागू किया जाना चाहिये.
ये भी पढ़ें: काशीपुर में नशा तस्कर गिरफ्तार, आरोपी के पास से मिला 10 किलो से ज्यादा गांजा
ड्रग्स एवं उसके दुष्प्रभाव का पावर प्वाइंट पेश किया: स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि एंटी ड्रग्स एंड रिहैबिलिटेशन पॉलिसी का प्रारूप लगभग तैयार कर दिया गया है. एक बार संबंधित विभागों को ड्राफ्ट का प्रारूप भेजकर सुझाव आमंत्रित किये जायेंगे. उसके पश्चात ड्राफ्ट को अंतिम रूप देकर स्वीकृति के लिये कैबिनेट में लाया जायेगा. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की ओर डॉक्टर मयंक बडोला ने ड्रग्स एवं उसके दुष्प्रभाव को लेकर एक पावर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुतीकरण भी दिया.