देहरादून: उत्तराखंड में भू कानून(Uttarakhand Land Law) को लेकर बनाई गई कमेटी जल्द ही भू कानून से जुड़े ड्राफ्ट को अंतिम रूप दे देगी. इसी को लेकर आज इस कमेटी की बैठक (Land Law Committee meeting in Uttarakhand) बुलाई गई. जिसमें तैयार किए गए ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने के लिए चर्चा की गई, जबकि इसी महीने में होने वाली भू कानून समिति की बैठक (Land Law Committee meeting in Uttarakhand) में इसे फाइनल रूप दे दिया जाएगा.
उत्तराखंड में भू कानून तैयार करने को लेकर राज्य सरकार ने जिस कमेटी का गठन किया था, उसने इस कानून के लिए एक ड्राफ्ट का प्रारूप तैयार कर लिया है. इसी प्रारूप के लिए आज समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई. बैठक में इस कानून के ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने की दिशा में बातचीत की गई. जिसमें तय किया गया की अगली बैठक 23 अप्रैल को की जाएगी. जिसमें ड्राफ्ट को फाइनल रूप दे दिया जाएगा.
खास बात यह है कि इस ड्राफ्ट के फाइनल होते ही इसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा जाएगा. जिसके बाद सरकार प्रदेश में भू कानून की दिशा में कदम आगे बढ़ा सकेगी. भू कानून समिति के सदस्य अजेंद्र अजय कहते हैं कि समिति की तरफ से इस कानून के प्रारूप को लेकर अंतिम तैयारियां कर ली गई हैं. समिति भू कानून को लेकर अंतिम बैठक के बाद अपना प्रस्ताव मुख्यमंत्री को सौंप देगी. इस दौरान प्रारूप को तैयार करते समय इस बात का ख्याल रखा गया कि कानून में प्रदेश में आने वाले इन्वेस्टर्स पर कोई असर ना पड़े. साथ ही अवैध जमीन खरीद-फरोख्त को कैसे रोका जाये इसका भी ख्याल रखा गया है.
क्या है भू कानून समिति: भू कानून समिति में अध्यक्ष समेत कुल पांच सदस्य हैं. इसमें समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार हैं. सदस्य के तौर पर दो रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डीएस गर्ब्याल और अरुण कुमार ढौंडियाल शामिल हैं. डेमोग्राफिक चेंज होने की शिकायत करने वाले अजेंद्र अजय भी इसके सदस्य हैं. उधर, सदस्य सचिव के रूप में राजस्व सचिव आनंद वर्धन फिलहाल इस समिति में हैं.
हिमाचल के भू कानून की दिखेगी छवि: उम्मीद की जा रही है कि समिति की तरफ से जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, उसमें हिमाचल के कानून की भी कुछ झलक दिख सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तराखंड में नए कानून को हिमाचल की तर्ज पर बनाए जाने की मांग उठती रही है. समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार हिमाचल से ही ताल्लुक रखते हैं. यही नहीं, इस समिति की तरफ से हिमाचल के भू कानून का अध्ययन किया गया है. समिति की तरफ से इस कानून के लिए मांगे गए सुझावों में करीब 200 सुझाव मिले थे. इनमें अधिकतर में उत्तराखंड की तरह ही भौगोलिक परिस्थितियां होने के कारण हिमाचल के भू कानून को प्रदेश में लागू करने के सुझाव मिले थे.