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Ankita Murder Case: फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनवाई पर संशय, जानिए क्या कहते हैं वरिष्ठ अधिवक्ता

अंकिता भंडारी केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होने को लेकर कानूनी पेंच फंसता नजर आ रहा है. वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि अधिकांश जनपदों के बार एसोसिएशन ने आरोपियों के पक्ष में केस लड़ने से मना कर दिया है. इस स्थिति में एक तरफा सुनवाई नहीं हो सकती है. ऐसे में आरोपियों को अगर कोई अधिवक्ता पैरवी के लिए नहीं मिलता, तो फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनवाई में समस्या आ सकती है.

Ankita Bhandari murder case
अंकिता भंडारी केस
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Published : Sep 30, 2022, 12:27 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में चर्चित अंकिता हत्याकांड केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होने को लेकर संशय नजर आ रहा है. कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक इसका पहला बड़ा कारण इस केस में आरोपियों के पक्ष में किसी भी अधिवक्ता का पैरवी न करने का निर्णय है क्योंकि अंकिता हत्याकांड को लेकर जिस तरह से प्रदेशवासियों में आक्रोश है, उसके चलते अभी तक अधिकांश जनपद बार एसोसिएशन ने आरोपियों के पक्ष में केस लड़ने का बहिष्कार किया है. ऐसी सूरत में एक तरफा सुनवाई नहीं हो सकती.

वहीं, दूसरी तरफ अगर आरोपियों को कोर्ट आदेशनुसार किसी तरह से अधिवक्ता मुहैया भी कराया जाता है तो उसका भी विरोध होता है तो विकल्प के तौर पर उच्च अदालत इस केस को पौड़ी जनपद या राज्य से बाहर ट्रांसफर कर सकती है. इस स्थिति में केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में ही जाए इस पर संशय है. अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा फायदा तकनीकी रूप में आरोपी पक्ष को हो सकता है.

फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनवाई पर संशय

ऐसे में आरोपियों को अगर राज्य से कोई अधिवक्ता पैरवी के लिए नहीं मिलता तो कानूनी जानकारों के मुताबिक फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनवाई में यह टेक्निकल समस्या आ सकती है. हालांकि, अभी यह विषय की पूरी तस्वीर साफ नहीं है. कानूनी जानकारों के मुताबिक राज्य सरकार प्रदेश वासियों के आक्रोश को देखते हुए पहले ही अंकिता हत्याकांड में इंसाफ को लेकर औपचारिक तौर पर इस केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने का बयान दे चुकी है. ऐसे में राज्य सरकार की दरख्वास्त के आधार पर ही सभी तरह के तकनीकी पहलुओं को देखते हुए फास्ट ट्रैक या रेगुलर कोर्ट में प्राथमिकता के आधार पर कोर्ट ट्रायल प्रक्रिया आदेश दे सकता है.
पढ़ें- अंकिता भंडारी हत्याकांड: पुलकित आर्य समेत तीनों आरोपी तीन दिन की पुलिस रिमांड में भेजे गए

उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि इस केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने के लिए सबसे पहले राज्य सरकार को एक प्रार्थना पत्र हाईकोर्ट में दाखिल करना होगा. इसके बाद हाईकोर्ट पौड़ी जनपद मुख्यालय में मौजूद फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस ट्रांसफर करने के साथ ही विशेष तौर पर न्यायाधीश नियुक्त कर सकता है. लेकिन इन सब प्रक्रिया के बीच अभी आरोपियों की पैरवी किसी अधिवक्ता द्वारा न करने का पेंच फंसा है. हालांकि, इसका भी परिस्थितियों के मुताबिक हल निकाला जा सकता.
पढ़ें- अंकिता मर्डर केस: आरोपियों को लेकर लक्ष्मणझूला में रीक्रिएट होगा क्राइम सीन, पटवारी हिरासत में

चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक अंकिता हत्याकांड में आरोपियों को सजा दिलाने के लिए पुलिस की जांच पड़ताल के एविडेंस बेहद महत्वपूर्ण है. उसी के आधार पर कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ ट्रायल मजबूती से आगे बढ़ सकती है. अगर इस केस की जांच कर रही एसआईटी फॉरेंसिक सहित अन्य पुख्ता साक्ष्य अपनी चार्जशीट में दाखिल करती है, तो इसकी प्रबल संभावना है कि अंकिता को इंसाफ मिले और आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके. इस केस में अब सब कुछ पुलिस की इन्वेस्टिगेशन ही निर्भर है. उसी के आधार पर इस केस की दिशा पहले दिन से तय हो जाएगी.

देहरादून: उत्तराखंड में चर्चित अंकिता हत्याकांड केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होने को लेकर संशय नजर आ रहा है. कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक इसका पहला बड़ा कारण इस केस में आरोपियों के पक्ष में किसी भी अधिवक्ता का पैरवी न करने का निर्णय है क्योंकि अंकिता हत्याकांड को लेकर जिस तरह से प्रदेशवासियों में आक्रोश है, उसके चलते अभी तक अधिकांश जनपद बार एसोसिएशन ने आरोपियों के पक्ष में केस लड़ने का बहिष्कार किया है. ऐसी सूरत में एक तरफा सुनवाई नहीं हो सकती.

वहीं, दूसरी तरफ अगर आरोपियों को कोर्ट आदेशनुसार किसी तरह से अधिवक्ता मुहैया भी कराया जाता है तो उसका भी विरोध होता है तो विकल्प के तौर पर उच्च अदालत इस केस को पौड़ी जनपद या राज्य से बाहर ट्रांसफर कर सकती है. इस स्थिति में केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में ही जाए इस पर संशय है. अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा फायदा तकनीकी रूप में आरोपी पक्ष को हो सकता है.

फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनवाई पर संशय

ऐसे में आरोपियों को अगर राज्य से कोई अधिवक्ता पैरवी के लिए नहीं मिलता तो कानूनी जानकारों के मुताबिक फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनवाई में यह टेक्निकल समस्या आ सकती है. हालांकि, अभी यह विषय की पूरी तस्वीर साफ नहीं है. कानूनी जानकारों के मुताबिक राज्य सरकार प्रदेश वासियों के आक्रोश को देखते हुए पहले ही अंकिता हत्याकांड में इंसाफ को लेकर औपचारिक तौर पर इस केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने का बयान दे चुकी है. ऐसे में राज्य सरकार की दरख्वास्त के आधार पर ही सभी तरह के तकनीकी पहलुओं को देखते हुए फास्ट ट्रैक या रेगुलर कोर्ट में प्राथमिकता के आधार पर कोर्ट ट्रायल प्रक्रिया आदेश दे सकता है.
पढ़ें- अंकिता भंडारी हत्याकांड: पुलकित आर्य समेत तीनों आरोपी तीन दिन की पुलिस रिमांड में भेजे गए

उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि इस केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने के लिए सबसे पहले राज्य सरकार को एक प्रार्थना पत्र हाईकोर्ट में दाखिल करना होगा. इसके बाद हाईकोर्ट पौड़ी जनपद मुख्यालय में मौजूद फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस ट्रांसफर करने के साथ ही विशेष तौर पर न्यायाधीश नियुक्त कर सकता है. लेकिन इन सब प्रक्रिया के बीच अभी आरोपियों की पैरवी किसी अधिवक्ता द्वारा न करने का पेंच फंसा है. हालांकि, इसका भी परिस्थितियों के मुताबिक हल निकाला जा सकता.
पढ़ें- अंकिता मर्डर केस: आरोपियों को लेकर लक्ष्मणझूला में रीक्रिएट होगा क्राइम सीन, पटवारी हिरासत में

चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक अंकिता हत्याकांड में आरोपियों को सजा दिलाने के लिए पुलिस की जांच पड़ताल के एविडेंस बेहद महत्वपूर्ण है. उसी के आधार पर कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ ट्रायल मजबूती से आगे बढ़ सकती है. अगर इस केस की जांच कर रही एसआईटी फॉरेंसिक सहित अन्य पुख्ता साक्ष्य अपनी चार्जशीट में दाखिल करती है, तो इसकी प्रबल संभावना है कि अंकिता को इंसाफ मिले और आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके. इस केस में अब सब कुछ पुलिस की इन्वेस्टिगेशन ही निर्भर है. उसी के आधार पर इस केस की दिशा पहले दिन से तय हो जाएगी.

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