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CM के बाद अब विभागों के बंटवारे पर भी हाईकमान ले सकता है फैसला, चर्चाएं तेज

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Published : Mar 27, 2022, 4:54 PM IST

धामी सरकार में अभी तक मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया है. विभागों के बंटवारे में हो रही देरी के कारण कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि विभागों के बंटवारे को लेकर धामी सरकार केंद्रीय नेतृत्व से सलाह ले सकता है.

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CM के बाद अब विभागों के बंटवारे पर भी हाईकमान ले सकती है फैसला

देहरादून: प्रदेश में 10 मार्च को मतगणना के 23 मार्च को मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सस्पेंस खत्म हुआ. इसी दिन सीएम पुष्कर सिंह धामी से साथ 8 मंत्रियों ने शपथ ली. आज 4 दिनों बाद भी मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया है. कयास लगाए जा रहे हैं धामी सरकार केंद्रीय नेतृत्व से सलाह मशवरे के बाद ही प्रदेश में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर सकती है.

बता दें 23 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ पूर्व की उत्तराखंड सरकार ने 5 पुराने मंत्रियों सहित तीन नए मंत्रियों ने शपथ ली थी. वहीं, विधानसभा में पहली महिला अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी के निर्वाचन के बाद उम्मीद लगाई जा रही थी कि धामी के नए मंत्रिमंडल के पोर्टफोलियो भी 29 मार्च से होने वाले विधानसभा सत्र से पहले बंट जाएंगे, लेकिन अभी तक मंत्रियों के पोर्टफोलियो पर मुख्यमंत्री की ओर से निर्णय नहीं लिया गया है. जिसको लेकर प्रदेश में कई कयास लगाए जा रहे हैं.

CM के बाद अब विभागों के बंटवारे पर भी हाईकमान ले सकता है फैसला.

पढ़ें- हरदा ने किशोर को बताया हनुमान, बोले- 'लंका विजय के समय वो रावण के कक्ष में बैठे थे'

माना जा रहा है कि पुराने मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाने पर भाजपा में कई नेता नाराज चल रहे हैं. जिसमें बिशन सिंह चुफाल जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं. वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी से पार्टी बैकफुट पर है. जिसके कारण मंत्रियों के विभागों के बंटवारे में पार्टी कोई भी गलती नहीं करना चाहती है. सूत्रों की मानें तो विधानसभा सत्र के बाद ही मंत्रियों के पोर्टफोलियो बांट जा सकते हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड ने रचा इतिहास, प्रदेश की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने ली शपथ

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ जय सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड की विडंबना है कि यहां लोकतांत्रिक सरकार जनता चुनती है, लेकिन उसके बाद मुख्यमंत्री केंद्रीय नेतृत्व चुनता है. साथ ही इसके बाद मंत्रियों के पोर्टफोलियो को चुनने का जहां संवैधानिक अधिकार मुख्यमंत्री के पास रहता है तो देरी से यही लगता है कि मंत्रियों के विभाग भी केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय के बाद बांटे जाएंगे.

पढ़ें- हरदा ने किशोर को बताया हनुमान, बोले- 'लंका विजय के समय वो रावण के कक्ष में बैठे थे'

जय सिंह रावत बताते हैं कि हो सकता है कि धामी सरकार केंद्रीय नेतृत्व से सलाह मशवरे के बाद ही प्रदेश में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर सकती है. साथ ही विभागों के बंटवारे में भी नेताओं की वरिष्ठता को भी ध्यान में रखा जाएगा. दूसरी ओर प्रदेश में हमेशा से मंत्रिमंडल में दबाव की राजनीति में मलाईदार विभागों को दौड़ को लेकर भी लड़ाई रही है, शायद अब भाजपा सरकार स्वंय नहीं बल्कि एक बार फिर केंद्रीय नेतृत्व पर मंत्रिमंडल के पोर्टफोलियो के निर्णय के लिए इंतजार कर रही है.

देहरादून: प्रदेश में 10 मार्च को मतगणना के 23 मार्च को मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सस्पेंस खत्म हुआ. इसी दिन सीएम पुष्कर सिंह धामी से साथ 8 मंत्रियों ने शपथ ली. आज 4 दिनों बाद भी मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया है. कयास लगाए जा रहे हैं धामी सरकार केंद्रीय नेतृत्व से सलाह मशवरे के बाद ही प्रदेश में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर सकती है.

बता दें 23 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ पूर्व की उत्तराखंड सरकार ने 5 पुराने मंत्रियों सहित तीन नए मंत्रियों ने शपथ ली थी. वहीं, विधानसभा में पहली महिला अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी के निर्वाचन के बाद उम्मीद लगाई जा रही थी कि धामी के नए मंत्रिमंडल के पोर्टफोलियो भी 29 मार्च से होने वाले विधानसभा सत्र से पहले बंट जाएंगे, लेकिन अभी तक मंत्रियों के पोर्टफोलियो पर मुख्यमंत्री की ओर से निर्णय नहीं लिया गया है. जिसको लेकर प्रदेश में कई कयास लगाए जा रहे हैं.

CM के बाद अब विभागों के बंटवारे पर भी हाईकमान ले सकता है फैसला.

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माना जा रहा है कि पुराने मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाने पर भाजपा में कई नेता नाराज चल रहे हैं. जिसमें बिशन सिंह चुफाल जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं. वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी से पार्टी बैकफुट पर है. जिसके कारण मंत्रियों के विभागों के बंटवारे में पार्टी कोई भी गलती नहीं करना चाहती है. सूत्रों की मानें तो विधानसभा सत्र के बाद ही मंत्रियों के पोर्टफोलियो बांट जा सकते हैं.

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वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ जय सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड की विडंबना है कि यहां लोकतांत्रिक सरकार जनता चुनती है, लेकिन उसके बाद मुख्यमंत्री केंद्रीय नेतृत्व चुनता है. साथ ही इसके बाद मंत्रियों के पोर्टफोलियो को चुनने का जहां संवैधानिक अधिकार मुख्यमंत्री के पास रहता है तो देरी से यही लगता है कि मंत्रियों के विभाग भी केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय के बाद बांटे जाएंगे.

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जय सिंह रावत बताते हैं कि हो सकता है कि धामी सरकार केंद्रीय नेतृत्व से सलाह मशवरे के बाद ही प्रदेश में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर सकती है. साथ ही विभागों के बंटवारे में भी नेताओं की वरिष्ठता को भी ध्यान में रखा जाएगा. दूसरी ओर प्रदेश में हमेशा से मंत्रिमंडल में दबाव की राजनीति में मलाईदार विभागों को दौड़ को लेकर भी लड़ाई रही है, शायद अब भाजपा सरकार स्वंय नहीं बल्कि एक बार फिर केंद्रीय नेतृत्व पर मंत्रिमंडल के पोर्टफोलियो के निर्णय के लिए इंतजार कर रही है.

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