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भूकंप से बचने को बनाएं भूकंप रोधी मकान, अगर आ जाए आपदा तो करें ये काम

भूकंप आने पर होने वाले नुकसान से बचने के लिए आपदा विभाग ने संबंधित विभागों के एक्सपर्ट के साथ कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला में आपदा सचिव, आपदा एक्सपर्ट, देहरादून मेयर समेत तमाम पार्षद मौजूद रहे.

Dehradun Hindi News
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Published : Feb 3, 2020, 8:33 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते यहां भूकंप आना आम बात है. यही वजह है भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड को जोन चार और पांच में रखा गया है. ऐसे में राज्य में भूकंप आने पर होने वाले नुकसान से बचाने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने संबंधित विभागों के एक्सपर्ट के साथ कार्यशाला का आयोजन किया. जिसमें किस तरह से भूकंपरोधी भवनों का निर्माण कराया जाए, इस विषय पर चर्चा की गयी. इसके साथ ही भूकंपरोधी भवन बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों को जागरुक भी किया.

राजधानी देहरादून के एक निजी होटल में आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में आपदा सचिव, आपदा एक्सपर्ट, देहरादून मेयर समेत तमाम पार्षद मौजूद रहे. इसके साथ ही एसडीआरएफ और रुड़की संस्था के कई वैज्ञानिक भी शामिल रहे. कार्यशाला में शामिल सभी जनप्रतिनिधियों और स्थानीय पार्षदों को बताया कि किस तरह से भूकंपरोधी घरों का निर्माण कराया जाए.

जनप्रतिनिधियों को किया गया जागरुक.

पढ़ें- उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच को CM ने बैठक के लिए बुलाया, मांगों पर किया जाएगा विचार

आपदा प्रबंधन विभाग के अधिशासी निदेशक पीयूष रोतेला ने बताया कि राज्य में भूकंप कि वजह से कई बार पहले भी बड़े नुकसान हो चुके हैं. इस तरह के बड़े नुकसान से बचने के लिए लोगों को खुद ही जागरुक होना पड़ेगा और मकान बनाने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है, ताकि भूकंप से होने वाले नुकसान से बचा जा सके. साथ ही बताया कि जो पुराने भवन हैं उसको नई तकनीकी रिट्रोफिटिंग के माध्यम से रिपेयर कर सुरक्षित बनाया जा सकता है.

देहरादून: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते यहां भूकंप आना आम बात है. यही वजह है भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड को जोन चार और पांच में रखा गया है. ऐसे में राज्य में भूकंप आने पर होने वाले नुकसान से बचाने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने संबंधित विभागों के एक्सपर्ट के साथ कार्यशाला का आयोजन किया. जिसमें किस तरह से भूकंपरोधी भवनों का निर्माण कराया जाए, इस विषय पर चर्चा की गयी. इसके साथ ही भूकंपरोधी भवन बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों को जागरुक भी किया.

राजधानी देहरादून के एक निजी होटल में आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में आपदा सचिव, आपदा एक्सपर्ट, देहरादून मेयर समेत तमाम पार्षद मौजूद रहे. इसके साथ ही एसडीआरएफ और रुड़की संस्था के कई वैज्ञानिक भी शामिल रहे. कार्यशाला में शामिल सभी जनप्रतिनिधियों और स्थानीय पार्षदों को बताया कि किस तरह से भूकंपरोधी घरों का निर्माण कराया जाए.

जनप्रतिनिधियों को किया गया जागरुक.

पढ़ें- उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच को CM ने बैठक के लिए बुलाया, मांगों पर किया जाएगा विचार

आपदा प्रबंधन विभाग के अधिशासी निदेशक पीयूष रोतेला ने बताया कि राज्य में भूकंप कि वजह से कई बार पहले भी बड़े नुकसान हो चुके हैं. इस तरह के बड़े नुकसान से बचने के लिए लोगों को खुद ही जागरुक होना पड़ेगा और मकान बनाने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है, ताकि भूकंप से होने वाले नुकसान से बचा जा सके. साथ ही बताया कि जो पुराने भवन हैं उसको नई तकनीकी रिट्रोफिटिंग के माध्यम से रिपेयर कर सुरक्षित बनाया जा सकता है.

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उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते भूकंप आना आम बात है। यही वजह है भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड को जोन चार और पांच में रखा गया है। ऐसे में राज्य में भूकंप आने पर होने वाले नुकसान से बचाने के लिए आपदा विभाग ने संबंधित विभागों के एक्सपोर्ट के साथ कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमे किस तरह से भूकंपरोधी भवनों का निर्माण कराया जाए। इस विषय पर चर्चा किया गया, इसके साथ ही भूकंपरोधी भवन बनाने के प्रति जनप्रतिनिधियों को जागरुक भी किया


Body:राजधानी देहरादून के एक निजी होटल में आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में आपदा सचिव, आपदा एक्सपर्ट, देहरादून मेयर समेत तमाम पार्षद मौजूद रहे। इसके साथ ही एसडीआरएफ और रुड़की संस्था के कई वैज्ञानिकों को भी शामिल रहे। कार्यशाला में शामिल सभी जनप्रतिनिधियों और स्थानीय पार्षदों को बताया कि किस तरह से भूकंपरोधी घरों का निर्माण कराया जाए। 


आपदा प्रबंधन विभाग के अधिशासी निदेशक पीयूष रोतेला ने बताया कि राज्य में भूकंप कि वजह से कई बार पहले भी बड़े नुकसान हो चुके है इस तरह के बड़े नुकसान से बचने के लिए लोगो को खुद ही जागरूक होना पड़ेगा और मकान बनाने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है। ताकि भूकंप से होने वाले नुकसान से भवन को बचाया जा सके। साथ ही बताया कि जो पुराने भवन है उसको नई तकनीकी रिट्रोफिटिंग के माध्यम से रिपेयर कर सुरक्षित बनाया जा सकता है।

बाइट - पीयूष रोतेला, निदेशक आपदा प्रबंधन विभाग





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