देहरादून: प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने के सरकार ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण निदेशालय का गठन कर दिया है. निदेशालय बनने के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि समय की मांग और बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से इस निदेशालय का गठन किया गया है. हालांकि, पहले से राज्य में पर्यावरण बोर्ड काम कर रहा था, लेकिन पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यक्रम तय नहीं हो पाते थे.
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वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और जलवायु परिवर्तन भी देखने को मिल रहा है. जिसके चलते पानी के समस्या और पर्यावरण दूषित हो रहा है. ऐसे में सरकार भविष्य को लेकर चिंतित है. पूरे देश में जैव विविधता को बनाए रखने में प्रदेश का अहम योगदान है. इसलिए उत्तराखंड में यदि पर्यावरण के दृष्टिगत कुछ भी घटित होता है उसकाअसर इस प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश और दुनिया पर भी पड़ता है.
बता दें कि राज्य गठन से पूर्व उत्तरप्रदेश में वन के साथ पर्यावरण मंत्रालय भी होता था. कई बार इसके मंत्री अलग भी होते थे. लेकिन इसका कोई ढांचा नहीं हुआ करता था और न ही कोई निदेशालय था. सिर्फ एक पर्यावरण बोर्ड था. जिसका कार्य कानूनी प्रक्रिया को चलाना था. लेकिन विकास कार्यक्रमों के तहत शोध करना या प्लानिंग की अब तक राज्य में कोई व्यवस्था नहीं थी. वहीं, मंत्रालय के साथ-साथ पर्यावरण विभाग का भी अलग से गठन किया गया है.
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दरअसल, पर्यावरण और जलवायु जैसे गंभीर विषयों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय का गठन कर दिया गया है. जिससे राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन संबंधित मामलों का समाधान हो सके.