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सूबे में पर्यावरण एवं जल संरक्षण निदेशालय का गठन, जलवायु परिवर्तन को लेकर होगा शोध

राज्य गठन से पूर्व उत्तरप्रदेश में वन के साथ पर्यावरण मंत्रालय भी होता था. कई बार इसके मंत्री अलग भी होते थे. लेकिन इसका कोई ढांचा नहीं हुआ करता था और न ही कोई निदेशालय था. सिर्फ एक पर्यावरण बोर्ड था. जिसका कार्य कानूनी प्रक्रिया को चलाना था. लेकिन विकास कार्यक्रमों के तहत शोध करना या प्लानिंग की अब तक राज्य में कोई व्यवस्था नहीं थी.

वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत का
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Published : Aug 24, 2019, 10:25 AM IST

देहरादून: प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने के सरकार ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण निदेशालय का गठन कर दिया है. निदेशालय बनने के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि समय की मांग और बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से इस निदेशालय का गठन किया गया है. हालांकि, पहले से राज्य में पर्यावरण बोर्ड काम कर रहा था, लेकिन पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यक्रम तय नहीं हो पाते थे.

पढ़ें:महज 23 साल की उम्र में शहीद हुए थे दीवान सिंह बिष्ट, 74वीं पुण्य पर किया गया याद

वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और जलवायु परिवर्तन भी देखने को मिल रहा है. जिसके चलते पानी के समस्या और पर्यावरण दूषित हो रहा है. ऐसे में सरकार भविष्य को लेकर चिंतित है. पूरे देश में जैव विविधता को बनाए रखने में प्रदेश का अहम योगदान है. इसलिए उत्तराखंड में यदि पर्यावरण के दृष्टिगत कुछ भी घटित होता है उसकाअसर इस प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश और दुनिया पर भी पड़ता है.

सूबे में पर्यावरण एवं जल संरक्षण निदेशालय का गठन.

बता दें कि राज्य गठन से पूर्व उत्तरप्रदेश में वन के साथ पर्यावरण मंत्रालय भी होता था. कई बार इसके मंत्री अलग भी होते थे. लेकिन इसका कोई ढांचा नहीं हुआ करता था और न ही कोई निदेशालय था. सिर्फ एक पर्यावरण बोर्ड था. जिसका कार्य कानूनी प्रक्रिया को चलाना था. लेकिन विकास कार्यक्रमों के तहत शोध करना या प्लानिंग की अब तक राज्य में कोई व्यवस्था नहीं थी. वहीं, मंत्रालय के साथ-साथ पर्यावरण विभाग का भी अलग से गठन किया गया है.

पढ़ें:संडे मार्केट को लेकर हाई कोर्ट में याचिका, राज्य सरकार और नगर निगम से जवाब तलब

दरअसल, पर्यावरण और जलवायु जैसे गंभीर विषयों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय का गठन कर दिया गया है. जिससे राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन संबंधित मामलों का समाधान हो सके.

देहरादून: प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने के सरकार ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण निदेशालय का गठन कर दिया है. निदेशालय बनने के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि समय की मांग और बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से इस निदेशालय का गठन किया गया है. हालांकि, पहले से राज्य में पर्यावरण बोर्ड काम कर रहा था, लेकिन पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यक्रम तय नहीं हो पाते थे.

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वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और जलवायु परिवर्तन भी देखने को मिल रहा है. जिसके चलते पानी के समस्या और पर्यावरण दूषित हो रहा है. ऐसे में सरकार भविष्य को लेकर चिंतित है. पूरे देश में जैव विविधता को बनाए रखने में प्रदेश का अहम योगदान है. इसलिए उत्तराखंड में यदि पर्यावरण के दृष्टिगत कुछ भी घटित होता है उसकाअसर इस प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश और दुनिया पर भी पड़ता है.

सूबे में पर्यावरण एवं जल संरक्षण निदेशालय का गठन.

बता दें कि राज्य गठन से पूर्व उत्तरप्रदेश में वन के साथ पर्यावरण मंत्रालय भी होता था. कई बार इसके मंत्री अलग भी होते थे. लेकिन इसका कोई ढांचा नहीं हुआ करता था और न ही कोई निदेशालय था. सिर्फ एक पर्यावरण बोर्ड था. जिसका कार्य कानूनी प्रक्रिया को चलाना था. लेकिन विकास कार्यक्रमों के तहत शोध करना या प्लानिंग की अब तक राज्य में कोई व्यवस्था नहीं थी. वहीं, मंत्रालय के साथ-साथ पर्यावरण विभाग का भी अलग से गठन किया गया है.

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दरअसल, पर्यावरण और जलवायु जैसे गंभीर विषयों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय का गठन कर दिया गया है. जिससे राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन संबंधित मामलों का समाधान हो सके.

Intro:प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने और पर्यावरण और जल को संरक्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण निदेशालय का गठन करने का शासनादेश जारी कर दिया है। निदेशालय बनने के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि समय की मांग को देखते हुए और बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से इस निदेशालय का गठन किया गया है हालांकि पहले पर्यावरण बोर्ड काम कर रहा था लेकिन पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए प्रोग्राम तय नहीं हो पाते थे ।


Body:वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि जिस तरह से समय की मांग है और जिस प्रकार से ग्लेशियर पिघल रहे हैं तो वहीं जलवायु परिवर्तन भी देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही जल का अभाव होने के साथ ही पर्यावरण भी दूषित हो रहा है । ऐसे मे सरकार कल के भविष्य को लेकर चिंतित है । दरअसल इस परिपेक्ष में उत्तराखंड राज्य की विशेष भूमिका है क्योंकि पूरे देश की जैव विविधता को बनाए रखने में 28 योगदान इस प्रदेश का है। इसलिए उत्तराखंड में यदि पर्यावरण के दृष्टिगत कुछ भी घटित होता है उसका असर इस प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश और दुनिया पर भी इसका असर पड़ता है। इसलिए उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में रहते हुए वन के साथ पर्यावरण मंत्रालय होता था, और कई बार इसके मंत्री अलग भी होते थे। लेकिन इसका कोई ढांचा नहीं हुआ करता था, और ना ही कोई निदेशालय था। सिर्फ एक पर्यावरण बोर्ड था जिसका कार्य कानूनी प्रक्रिया को चलाना था। लेकिन विकास कार्यक्रमों के तहत शोध करना या प्लानिंग की कोई अब तक व्यवस्था नहीं थी, आज मंत्रालय के साथ-साथ पर्यावरण विभाग का भी अलग से गठन किया गया है।

बाईट- हरक सिंह रावत ,वन एवं पर्यावरण मंत्री


Conclusion: दरअसल पर्यावरण और जलवायु जैसे गंभीर विषयों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड में राज्य पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय का गठन कर दिया गया है किससे राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन संबंधित मामलों के समाधान में आसानी होगी। निदेशालय के गठन से राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन जैसे मसलों के समाधान होने में आसानी होगी।
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