देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में गैरसैंण हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा है. बावजूद इसके लिए धामी सरकार ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को काफी उदासीन दिखाई दे रही है. ये बात ऐसे ही नहीं कही जा रहा है, बल्कि इसके पीछे की बड़ी वजह भी है. क्योंकि त्रिवेंद्र सरकार के जाने के बाद बाद पिछले करीब एक साल में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में कोई भी विधानसभा सत्र आहुत नहीं कराया है. हालांकि, इस बार में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के विधायक का तर्क बड़ा ही अजीबो गरीब है.
बीजेपी की पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर बड़ा ऐलान किया था, लेकिन त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में एक विधानसभा सत्र नहीं हुआ है. जबकि गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाने के लिए करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया गया है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर वहां सब कुछ जीरो है. यही कारण है कि सत्र के अलावा कोई विधायक या मंत्री गैरसैंण की तरफ जाने को भी तैयार नहीं होता है.
इतना ही नहीं इतने बड़े भवन में कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या में तैनाती भी नहीं दी गयी है. यह बात खुद बीजेपी के नेता और विधायक मानते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार से जुड़े लोग जो तर्क दे रहे हैं, वह काफी चौंकाने वाला है. क्योंकि उनकी तरफ से चारधाम यात्रा का भारी दबाव होने के कारण सत्र को गैरसैंण में नहीं किए जाने की बात कही जा रही है. जबकि, सभी जानते हैं कि गर्मियों में हर साल चारधाम यात्रा होती है. ऐसे में यह तर्क काफी अजीब लग रहा है.
राज्य में गैरसैंण को लेकर वैसे तो सत्ताधारी दल कई दावे करता रहता है, लेकिन सत्र कराने तक में परहेज करने वाली सरकार से इसको लेकर बहुत उम्मीद करना बेमानी है. विपक्षी दल कांग्रेस भी कुछ यही बात कह रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण महारा की मानें तो भाजपा केवल नौटंकी कर गैरसैंण का मामला उठाती है, जबकि गैरसैंण से सरकार को कोई मतलब नहीं है, तभी तो सरकार सत्र गैरसैंण में होने की बात कहकर केवल लोगों को भ्रमित कर रही है.