देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक सहित अन्य सरकारी भर्ती घोटालों की जांच इन दिनों राज्य में सबसे ज्यादा चर्चाओं का विषय बना हुआ है. मुकदमा दर्ज होने के मात्र 43 दिनों में DGP अशोक कुमार (DGP Ashok Kumar ) के नेतृत्व उत्तराखंड STF ने UKSSSC पेपर लीक 2021 के मामले में 33 लोगों को गिरफ्तार कर अबतक जेल भेज दिया है. हालांकि अभी भी मामले की जांच जारी है. साथ ही अभी और गिरफ्तारियों की संभावना जताई गई है.
राज्य बनने के 22 साल में सरकारी सिस्टम में सेंधमारी करके किस तरह से नकल माफिया द्वारा सरकारी नौकरियों की बंदरबांट हुई, इसको लेकर STF ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है. हर भर्ती में इतने बड़े स्तर होने वाले गड़बड़ी में सरकारी सिस्टम से जुड़े बड़े लोगों की गिरफ्तारी न होने से हालांकि कई सवाल भी उठ रहे हैं. UKSSSC पेपर लीक सहित अन्य भर्ती घोटालों की जांच को लेकर डीजीपी अशोक कुमार से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की.
DGP अशोक कुमार के मुताबिक UKSSSC पेपर लीक की यह जांच इतने बड़े स्तर पर और इतने लंबे नेटवर्क तक जुड़ी होगी, इसका अनुमान शुरूआत से नहीं लगाया जा सका. जैसे-जैसे कड़ी दर कड़ी उत्तरकाशी से लेकर लखनऊ तक तार जुड़ते गए, उसी का परिणाम है कि मात्र 43 दिनों में 33 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
पुख्ता सबूतों के आधार पर होगी गिरफ्तारी: DGP अशोक कुमार के अनुसार यह कहना बिल्कुल गलत है कि इस पेपर लीक मामले में मास्टरमाइंड लोग अब तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं. उत्तरकाशी के हाकम सिंह के बाद धामपुर (यूपी) नकल सेंटर का माफिया केंद्रपाल, मनराल, लखनऊ प्रिंटिंग प्रेस का मालिक राजेश चौहान पंतनगर यूनिवर्सिटी के पूर्व AEO सहित 5 ऐसे अभियुक्त जेल भेजे जा चुके हैं, जो इस पूरे नेटवर्क में मास्टरमाइंड की भूमिका में थे. हालांकि, अभी विवेचना चल रही है. ऐसे में जिसके खिलाफ भी पुख्ता सबूत मिल रहे हैं, उसको गिरफ्तार किया जाएगा. चाहे वह कितनी भी बड़ी हैसियत रखता हो.
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फोटो खिंचवाने से कोई अपराधी नहीं बच सकता: हाकम सिंह के साथ तमाम BJP नेताओं और खुद DGP अशोक कुमार की फोटो वायरल के सवाल पर डीजीपी ने कहा कि यह इत्तेफाक है कि ऐसे लोग एक सोची-समझी रणनीति के तहत समाज में अपना प्रभाव बनाने के चलते अलग-अलग स्थानों में फोटो खिंचवा लेते हैं. लेकिन इसका कदापि ये मतलब नहीं कि ऐसे लोगों से उनकी या किसी व्यक्ति विशेष से नजदीकी या अन्य तरह के संबंध हो. हाकम सिंह जैसे लोग पेपर लीक मामले में अपराधी हैं और उनकी जगह जेल है.
2015-16 दारोगा भर्ती गड़बड़ी: साल 2015-16 में हुई पुलिस दरोगा भर्ती गड़बड़ी के सवाल को लेकर DGP अशोक कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत इस घोटाले पर कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है. UKSSSC पेपर लीक मामले में ही कुछ ऐसे सबूत सामने आए थे, जिनका ताल्लुक दरोगा भर्ती मामले से जुड़ा था.
यही कारण रहा कि पुलिस मुख्यालय द्वारा शासन को एक प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें अपील की गई थी कि पुलिस विंग को छोड़ किसी अन्य एजेंसी से 2015-16 दारोगा भर्ती घोटाले की जांच कराई जाए. ताकि बिना भेदभाव के निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच कर दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जा सके. DGP के अनुसार उनकी दरख्वास्त पर ही मुहर लगी और मुख्यमंत्री द्वारा इस जांच के लिए अनुमति मिलते ही विजिलेंस ने कार्रवाई शुरू कर दी है.
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सीबीआई जांच की मांग से हमें कोई आपत्ति नहीं: UKSSSC पेपर लीक मामले में अब तक 33 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. लेकिन इसमें ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि अभी सरकारी सिस्टम से जुड़ी बड़ी मछलियों को रडार पर नहीं लिया गया है. ऐसे में लगातार सोशल मीडिया में पेपर लीक मामले की जांच को सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग भी चल रही हैं. डीजीपी ने इस सवाल पर कहा कि उनकी तरफ से एसटीएफ हर मुमकिन प्रयास से ताबड़तोड़ कार्रवाई कर इस पूरे मामले को अंजाम तक पहुंचाने में जुटी है. इसके बावजूद भी अगर लोग सीबीआई की मांग कर रहे हैं तो इसमें उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. यह फैसला सरकार को करना है. अगर सरकार सीबीआई को जांच रेफर करती है तो उसका हम स्वागत करेंगे.
सभी जांचों को अंजाम तक ले जाया जाएगा: डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि 2021 पेपर लीक मामले की तर्ज पर ही पुलिस को मिलने वाली अन्य भर्ती घोटालों की निष्पक्ष जांच को अंजाम तक पहुंचाया जाएगा. इसके लिए एसटीएफ की टीम हर तरह के साक्ष्य सबूत एकत्र करने में जुटी है. डीजीपी ने कहा हम इसके लिए दृढ़ संकल्प हैं कि पुलिस को मिलने वाली तमाम भर्ती घोटालों की जांच राज्य वासियों के हित में ही पूरी की जाएगी.
सोशल मीडिया पर भ्रामक प्रचार प्रसार: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से संबंधित जितनी भी जांच सरकार द्वारा पुलिस से कराई जा रही हैं, वह पूरी इमानदारी, निष्पक्षता और जीरो टॉलरेंस के तहत की जा रही हैं. इसके बावजूद सोशल मीडिया में कुछेक लोग गलत प्रचार प्रसार कर रहे हैं. इस बात को समझना होगा. मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार भर्ती घोटालों से जुड़े आरोपित लोगों को बख्शा नहीं जाएगा. उसी दिशा निर्देश पर पुलिस काम कर रही है. ऐसे में सोशल मीडिया पर अनर्गल रूप में प्रसारित खबरें जांच को प्रभावित करने का प्रयास हैं, जिन्हें किसी भी सूरत में होने नहीं दिया जाएगा.