देहरादून: राज्य स्थापना दिवस पर ईटीवी भारत आम और खास लोगों से यह जानने की कोशिश कर रहा है कि इन 19 सालों में उत्तराखंड को क्या मिला और भविष्य में क्या मिलने जा रहा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने बात की प्रदेश कानून-व्यवस्था की कमान संभाले डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार से. जिन्होंने बताया कि 19 सालों में उत्तराखंड पुलिस ने क्या हासिल किया और आने वाले समय में उसका क्या स्वरूप होगा.
राज्य स्थापना दिवस के मौके पर डीजी लॉ एंड ऑर्डर ने कहा कि देश के अन्य राज्यों की तुलना उत्तराखंड पुलिस अपराध को रोकने और घटनाओं में बरामदगी के मामले पर देश के सर्वोच्च पुलिस कार्यशैली में आती है. प्रदेश में महिलाओं के प्रति बढ़ते आपराधिक मामलों को भी मित्र पुलिस ने संवेदनशील के साथ लिया है. काफी हद तक इस पर लगाम लगने पुलिस कामयाब भी हुई है. हालांकि, डीजी का मानना है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे आपराधिक मामलों सोशल मीडिया बड़ी भूमिका है.
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उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे सड़क हादसे पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं. सड़क हादसों पर डीजी ने अपनी चिंता व्यक्त की है. इसके पीछे की वजह भी उन्होंने बताई है. डीजी के मुताबिक, राज्य बनने से पहले जहां चार लाख वाहन सड़कों पर नजर आते थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 28 लाख के से ज्यादा हो गई है. जबकि जरूरत के मुताबिक सड़कों का विस्तार नहीं हुआ.
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इसके अलावा यात्रा मार्गों पर चल रहा निर्माण कार्य और खस्ताहाल सड़कें भी इन हादसों की बड़ी वजह बन रही है. हालांकि, इस मामले पर भी उत्तराखंड पुलिस लगातार हादसों को रोकने के लिए प्रयासरत है. जिसका नतीजा है कि पिछले एक से दो साल में सड़क दुर्घटना में कमी आई है.
महाकुंभ पुलिस के लिए चुनौती
धर्मनगरी हरिद्वार में 2021 में महाकुंभ का आयोजन होना है. इस महाकुंभ को शांतिपूर्ण व सुरक्षित तरीके से संपन्न पुलिस के किसी चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि हरिद्वार महाकुंभ में करोड़ों लोग आएंगे. इस बारे में डीजी ने कहा कि महाकुंभ में यातायात की बेहतर व्यवस्था करना और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा का उनका विशेष फोकस होगा. इसी के चलते पुलिस फोर्स में नई भर्तियां करने जा रही है. जिसके लिए सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है. अपने अनुभव पर बातचीत करते हुए डीजी ने कहा कि उत्तराखंड बनने से पहले वे चमोली में एसपी के पद पर तैनात थे. तब नए नए राज्य में यूपी की तर्ज पर कानून व्यवस्था को लेकर आपार समस्याएं थी, लेकिन इन 19 सालों में पुलिस सभी समस्याओं पर तेजी का साथ काम किया है. जिसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं.
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यूपी से अलग होकर उत्तराखंड को जिस तरह की नकारात्मक पुलिसिंग वाली छवि मिली थी उसको सुधारना सबसे बड़ी चुनौती थी. इन 19 सालों उत्तराखंड पुलिस का कायाकल्प हो गया. आज उत्तराखंड पुलिस अन्य राज्यों के मुकाबले काफी अच्छी स्थिति में है.
डीजी की मानें तो भविष्य में उत्तराखंड पुलिस एक ऐसी मित्र पुलिस का उदाहरण पेश करेगी, जिसमें पुलिस के पास बड़े हथियार न के बराबर होंगे. उन्होंने कहा कि कई राज्यों में पुलिस की कार्यशैली और प्रणाली पर अक्सर सवाल खड़े होते रहते है, लेकिन उत्तराखंड पुलिस योजनाबद्ध तरीके से काम कर छवि सुधारने का काम कर रही है.
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दिल्ली में पुलिस और वकीलों के बीच हुई मौजूदा घटना पर बात करते हुए डीजी कहा कि पुलिसकर्मियों को कई बार जरूरत से ज्यादा आम जनता के साथ संयम बरतने की जरूरत होती है. उसके लिए समय-समय पर पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है. बावजूद उसके अगर ऐसी घटनाएं सामने आती है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है.