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68 साल बाद खत समाल्टा में विराजमान हुए महासू देवता, दर्शनों को उमड़ा जनसैलाब

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Published : Jan 4, 2022, 8:19 AM IST

Updated : Jan 4, 2022, 8:51 AM IST

67 साल बाद चालदा महाराज देवता (Jaunsar Mahasu Chalda Devta) खत समाल्टा के मंदिर में विराजमान हुए हैं. खतवसियों को करीब डेढ़ सालों तक देवता की सेवा का मौका मिलेगा, जिससे ग्रामीण काफी उत्साहित हैं. साथ ही दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

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देव महासू चालदा देवता

विकासनगर: जौनसार बावर के आराध्य देव महासू चालदा देवता (Jaunsar Mahasu Chalda Devta) के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से काफी संख्या में पहुंच रहे हैं. प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु देव दर्शन करके सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं. डेढ़ साल के प्रवास पर देवता समाल्टा गांव के नवनिर्मित मंदिर में विराजित हैं. खत समाल्टा के सभी लोग और श्रद्धालु देवता की सेवा में लगे हुए हैं. सभी श्रद्धालुओं के लिए दिन-रात भंडारे का भी आयोजन किया जा रहा है.

महासू चालदा सेवा समिति समाल्टा के अध्यक्ष सरदार सिंह तोमर ने बताया कि छात्रधारी चालदा महासू महाराज डेढ़ वर्ष की अवधि के लिए समानता के मंदिर में प्रवास पर हैं. जिनकी सेवा का मौका हम खत वासियों को मिला है. उन्होंने आगे कहा कि अपने इष्ट देवता के दर्शन के लिए प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि से भी श्रद्धालु देव दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

समाल्टा में विराजमान हुए महासू देवता

पढ़ें-भगवान के दर्शन कर नए साल की शुरुआत, जागेश्वर धाम और धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का लगा तांता

खत समाल्टा के सभी लोग और श्रद्धालुओं देवता की सेवा में लगे हुए हैं. सभी श्रद्धालुओं के लिए दिन-रात भंडारे का भी आयोजन किया जा रहा है. श्रद्धालु देव दर्शन करके सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं. बता दें कि 67 साल बाद चालदा महाराज देवता खत समाल्टा के मंदिर में विराजमान हुए हैं. खतवासियों को करीब डेढ़ सालों तक देवता की सेवा का मौका मिलेगा, जिससे ग्रामीण काफी उत्साहित हैं.

गांव वाले करते हैं कुल देवता का भव्य स्वागत: बता दें कि अपनी अलग संस्कृति और रीति-रिवाजों के लिए जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर पूरे देश में एक अलग पहचान रखता है. इस क्षेत्र के लोगों के कुल देवता चालदा महासू महाराज हैं, जो हर साल जौनसार बावर के साथ ही बंगाण और हिमाचल के बड़े भू-भाग पर भ्रमण करते हैं और किसी गांव में पहुंचने पर चालदा महाराज एक साल तक उसी गांव में प्रवास करते हैं. इस दौरान गांव से देवता की विदाई और दूसरे गांव में देवता के स्वागत का नजारा देखने लायक होता है. देवता की विदाई करने वाला गांव भरी आंखों से उन्हें विदा करता है तो दूसरा गांव देवता का स्वागत नाच गाने के साथ करता है.

चालदा महासू महाराज क्षेत्र के अराध्य हैं: मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ के अंश कहे जाने वाले महासू महाराज इस क्षेत्र के अराध्य देवता हैं. वो इसी तरह सदियों से इस क्षेत्र का भ्रमण कर लोगों की मन्नतें पूरी करते हैं. इस बार देवता मोहना गांव में एक साल गुजारने के बाद समाल्टा गांव पहुंचे हैं. देवता के भ्रमण के दौरान हजारों लोग उनके दर्शन के लिए पहुंचते हैं. जिससे साफ है कि लोगों में चालदा महासू महाराज के प्रति अपार आस्था और श्रृद्धा है. देवताओं के प्रति अपार आस्था आज भी उत्तराखंड के लोगों में मौजूद हैं. इसलिए ही शायद उत्तराखंड को देव भूमि भी कहा जाता है.

विकासनगर: जौनसार बावर के आराध्य देव महासू चालदा देवता (Jaunsar Mahasu Chalda Devta) के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से काफी संख्या में पहुंच रहे हैं. प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु देव दर्शन करके सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं. डेढ़ साल के प्रवास पर देवता समाल्टा गांव के नवनिर्मित मंदिर में विराजित हैं. खत समाल्टा के सभी लोग और श्रद्धालु देवता की सेवा में लगे हुए हैं. सभी श्रद्धालुओं के लिए दिन-रात भंडारे का भी आयोजन किया जा रहा है.

महासू चालदा सेवा समिति समाल्टा के अध्यक्ष सरदार सिंह तोमर ने बताया कि छात्रधारी चालदा महासू महाराज डेढ़ वर्ष की अवधि के लिए समानता के मंदिर में प्रवास पर हैं. जिनकी सेवा का मौका हम खत वासियों को मिला है. उन्होंने आगे कहा कि अपने इष्ट देवता के दर्शन के लिए प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि से भी श्रद्धालु देव दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

समाल्टा में विराजमान हुए महासू देवता

पढ़ें-भगवान के दर्शन कर नए साल की शुरुआत, जागेश्वर धाम और धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का लगा तांता

खत समाल्टा के सभी लोग और श्रद्धालुओं देवता की सेवा में लगे हुए हैं. सभी श्रद्धालुओं के लिए दिन-रात भंडारे का भी आयोजन किया जा रहा है. श्रद्धालु देव दर्शन करके सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं. बता दें कि 67 साल बाद चालदा महाराज देवता खत समाल्टा के मंदिर में विराजमान हुए हैं. खतवासियों को करीब डेढ़ सालों तक देवता की सेवा का मौका मिलेगा, जिससे ग्रामीण काफी उत्साहित हैं.

गांव वाले करते हैं कुल देवता का भव्य स्वागत: बता दें कि अपनी अलग संस्कृति और रीति-रिवाजों के लिए जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर पूरे देश में एक अलग पहचान रखता है. इस क्षेत्र के लोगों के कुल देवता चालदा महासू महाराज हैं, जो हर साल जौनसार बावर के साथ ही बंगाण और हिमाचल के बड़े भू-भाग पर भ्रमण करते हैं और किसी गांव में पहुंचने पर चालदा महाराज एक साल तक उसी गांव में प्रवास करते हैं. इस दौरान गांव से देवता की विदाई और दूसरे गांव में देवता के स्वागत का नजारा देखने लायक होता है. देवता की विदाई करने वाला गांव भरी आंखों से उन्हें विदा करता है तो दूसरा गांव देवता का स्वागत नाच गाने के साथ करता है.

चालदा महासू महाराज क्षेत्र के अराध्य हैं: मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ के अंश कहे जाने वाले महासू महाराज इस क्षेत्र के अराध्य देवता हैं. वो इसी तरह सदियों से इस क्षेत्र का भ्रमण कर लोगों की मन्नतें पूरी करते हैं. इस बार देवता मोहना गांव में एक साल गुजारने के बाद समाल्टा गांव पहुंचे हैं. देवता के भ्रमण के दौरान हजारों लोग उनके दर्शन के लिए पहुंचते हैं. जिससे साफ है कि लोगों में चालदा महासू महाराज के प्रति अपार आस्था और श्रृद्धा है. देवताओं के प्रति अपार आस्था आज भी उत्तराखंड के लोगों में मौजूद हैं. इसलिए ही शायद उत्तराखंड को देव भूमि भी कहा जाता है.

Last Updated : Jan 4, 2022, 8:51 AM IST
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