देहरादून: कांग्रेस ने UKSSSC पेपर लीक मामला की जांच सीबीआई (CBI investigating UKSSSC paper leak case) से कराने की मांग की है. उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी (Deputy Leader of Opposition Bhuvan Kapri) ने प्रदेश में हुए UKSSSC पेपर लीक मामले को मध्य प्रदेश में हुए व्यापमं घोटाले (UKSSSC paper leak case bigger scam than Vyapam) से भी बड़ा घोटाला बताया है. इसके साथ ही उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने पेपर लीक मामले में UKSSSC के पूर्व अध्यक्ष एस राजू और सचिव संतोष बडोनी के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है.
उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा अब तक हुई सभी भर्तियों की जांच होनी जरूरी है. हर नए पुराने हाकम सिंह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने यूकेएसएससी पेपर लीक मामले को व्यापमं से भी बड़ा घोटाला बताया है. उन्होंने कहा मात्र इस्तीफा दे देने से कोई जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती. इस मामले में उत्तराखंड और यूपी में भी गिरफ्तारी हो चुकी है. 2 राज्यों का मामला होने से अब इस मामले की सीबीआई जांच जरूरी हो गई है.
उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा राज्य के भीतर के मामलों की जांच हाईकोर्ट के सीटिंग जज की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी से करवाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के आकंठ तक लिप्त है. उन्होंने कहा 80 हजार छात्रों को 18 पालियों में एग्जाम करवाना ही भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है. उन्होंने कहा अगर सरकार आज भी किसी को बचाना चाहेगी तो उस दोषी के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी.
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क्या है व्यापमं घोटाला: एमपी में व्यापमं ने साल 2004 से 2014 के बीच में 79 भर्ती परीक्षाएं कराईं. इन सभी में फर्जीवाड़े के आरोप लगे. आरोप तो ये भी हैं कि इन सभी भर्ती परीक्षाओं की जांच ही नहीं की गई. एसटीएफ की जांच में 2008 से 2013 के बीच दूसरे के नाम पर एग्जाम देने और रोल नंबर बदले जाने के हजारों मामले मिले लेकिन इसे काफी हद तक दबाने की कोशिश हुई.
व्यापमं से जुड़ी मुख्य बातें
- व्यापमं के तहत प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ियों की शुरुआत 1990 के दशक से ही शुरू हो चुकी थीं.
- पहली एफआईआर साल 2000 में छतरपुर जिले में दर्ज हुई.
- 2004 में खंडवा में 7 केस दर्ज हुए.
- वर्ष 2009 तक एक भी बड़ा मामला सतह पर नहीं आया, सारी मछलियां तालाब के अंदर बैठक कमाई करती रहींट
- 2009 में पीएमटी परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगे, जो वाकई में गंभीर थे.
- कमेटी बनायी गई और 100 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं.
- 2012 में एसटीएफ का गठन किया गया.
- जिसने 2013 में बड़े नामों के होने का जिक्र किया लेकिन, खुलासा नहीं किया.
- पहला नाम पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का आया. उनके साथ 100 से ज्यादा नाम दर्ज हुए.
- व्यापमं में तैयार की जा रही चार्जशीट में सिर्फ नेताओं के नहीं, बल्कि बिचौलियों, छात्रों, पुलिसकर्मियों, अभिभावकों के भी नाम दर्ज हैं.
- व्यापमं में एक-एक परीक्षा पर सरकारी अफसर, बिचौलिये और छात्रों व आवेदकों के बीच बड़े तार पाये गये हैं.
- व्यापमं के अंतर्गत पास हुए 1020 अभ्यर्थियों के फॉर्म गायब हैं.
- नितिन महेंद्र नाम का कर्मचारी है, जो बंद कमरे में कंप्यूटर ऑन कर रिकॉर्ड बदलने का काम करता था.
- एसटीएफ के मुताबिक 92,175 अभ्यर्थियों के डॉक्यूमेंट्स में बदलाव किये गये, ताकि घूस देने वालों को हाई रैंक दिलायी जा सके.