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डेंगू बुखार से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय, पढ़ें पूरी खबर

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Published : May 16, 2021, 1:45 PM IST

डेंगू बुखार से कई लोग समय-समय पर ग्रसित होते रहते हैं. मॉनसून के सीजन में डेंगू का बुखार बहुत तेजी से फैलता है, इसलिए आपको डेंगू बुखार के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में कुछ जरूरी बातें अवश्य पता होनी चाहिए.

Dengue
Dengue

देहरादून: डेंगू मच्छर के काटने से होने वाले बुखार से वैसे तो हर कोई वाकिफ है. लेकिन सीएमओ अनूप कुमार डिमरी ने डेंगू मलेरिया के लक्षणों के संबंध में जानकारी देते हुए आम जनमानस को उसके बचाव के संबंध में जानकारी दी है.

डेंगू मच्छर कैसा होता है और इसका वायरस किस तरह फैलता है?

डेंगू बुखार एक प्रकार के मच्छर के काटने से होता है. मच्छर एक वैक्टर है और इसके द्वारा फैलने वाली बीमारी को मच्छर जनित रोग कहते हैं. डेंगू सभी मच्छरों के काटने से नहीं फैलता है. संक्रमित एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस नामक मादा मच्छर के काटने से यह फैलता है. एडीज मच्छर के शरीर पर काले व सफेद रंग की पट्टियाॅ होती हैं. यह मच्छर ज्यादातर दिन के समय ही काटते हैं. डेंगू का मच्छर साफ व स्थिर पानी में पनपता है. अगर किसी व्यक्ति को डेंगू का संक्रमण है और एडिज मादा मच्छर उस संक्रमित व्यक्ति से खून पीता है तो मच्छर में डेंगू वायरस युक्त खून चला जाता है. यह संक्रमित मच्छर जब किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति डेंगू के वायरस से संक्रमित हो जाता है.


डेंगू मच्छर कहां पाया जाता है.

मानव निर्मित बर्तन, पानी की टंकी, रूम कूलर, फूल दान, टूटी फूटी बोतलें, नारियल का खोल, गमले, टंकी के ढक्कन, पुराने टायर्स व डिब्बे आदि यहां तक कि पत्तियों में भी अगर एक सप्ताह तक पानी ठहरा जाता है तो यह मच्छर आसानी से पनप सकता है. अधिकतर यह मच्छर घर के अंदर ही रहता है और दिन के समय काटता है.

डेंगू वायरस कितने प्रकार का होता है.

डेंगू वायरस चार प्रकार के होते है DEN1 ,DEN2, DEN3, DEN4 डेंगू बुखार को महामारी के रूप में देखा गया है. बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है और डेंगू उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. संक्रमित मच्छर द्वारा स्वस्थ्य व्यक्ति को काटने और व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट होने की अवधि को संक्रमण काल कहते हैं. यह 3-14 दिनों तक होता है. डेंगू बुखार के लक्षण तीन प्रकार का होते हैं, डेंगू साधारण बुखार, डेंगू हॅमरेजिक बुखार,डेंगू शॉक सिंड्रोम है.


डेंगू बुखार के लक्षण.

ठंड लगने के साथ अचानक तेज बुखार चढ़ना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना. इसी कारण इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है. आंखों के पिछलेे भाग में दर्द होना जो आंखों को दबाने या हिलाने से और भी बढ़ जाता है. अत्याधिक कमजोरी लगना, भूख न लगना, गले में दर्द होना, शरीर पर लाल चकते आना, साधारण डेंगू बुखार की अवधि लगभग 5-7 दिन तक रहती है और रोगी स्वयं ठीक हो जाता है. अगर साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ निम्नलिखित लक्षणों में से एक भी लक्षण प्रकट होता है. त्वचा पर गहरे नीले काले रंग के छोटे या बडे़ चिक्कते पड़ जाना, नाक, मसूढों से खून आना आदि रक्स्राव (हैमरेजिक बुखार) के लक्षण हैं. इस प्रकार के डेंगू बुखार में हैमरेजिक बुखार के लक्षणों के साथ कुछ और लक्षण भी प्रकट हो जाते हैं. जैसे रोगी अत्यधिक बेचैन हो जाना और तेज बुखार के बावजूद भी उसकी त्वचा ठंडी महसूस होती है. रोगी धीरे-धीरे होश खोने लगता है. अगर रोगी की नाड़ी देखी जाए तो वह तेज और कमजोर महसूस होती हैं. रोगी का रक्तचाप कम होने लगता है.

डेंगू बुखार का इलाज

साधारण डेंगू बुखार खुद ठीक होने वाला रोग है. इसका उपचार लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है. बुखार के लिए पेरासिटामोल की गोली ही सुरक्षित है. रोगी डिस्प्रिन/एस्पिरिन कभी न दें. सामान्य रूप से भोजन देना जारी रखें व अधिक पानी पिलाए, रोगी को आराम करने दें. अगर रोगी में डेंगू या हैमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिंड्रोम की ओर संकेत करने वाला एक भी लक्षण प्रकट होता नजर आए तो रोगी को जल्द निकटतम अस्पताल में ले जाए. ताकि वहां आवश्यक परीक्षण करके रोग का सही उपचार किया जा सकें. डेंगू हैमरोजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम पर डॉक्टर की राय लें.

पढ़ें: डेंगू को लेकर नगर निगम ने कसी कमर, लापरवाही बरतने पर 80 घरों का चालान

डेंगू की अभी तक कोई टीका नहीं बना है और न ही कोई विषेश दवा तैयार हुई है. डेंगू से बचाव के लिए अपने घर के अंदर और आसपास मच्छरों को न पनपने दें. घर और उसके आसपास पानी एकत्र न होने दें. क्योंकि रुके हुए पानी में ही मच्छर पैदा होते हैं. कूलर, फूलदान, रिफ्रेजिरेटर की ट्रे आदि का पानी, सप्ताह में एक बार पूरी तरह खाली करें. साथ ही सुखा करके ही प्रयोग करें. किसी भी खुले बर्तन बेकार टूटी-फूटी बोतलों, टायरों, डिब्बों, नारियल के खोल, गमले आदि में पानी एकत्रित न होने दें. पानी की टंकियों को ढक कर रखें. ताकि मच्छर उसमें प्रवेश न कर पाए और घर के आसपास के क्षेत्र में सफाई रखें. घर की बेकार वस्तुएं और कूडा-करकट इधर-उधर न फेंके. गड्ढों को पूरी तरह भर दें और नालियों को साफ रखें उनमें पानी न रूकें और पानी का बहाव सही प्रकार सें होंने दें. आसपास भरा हुआ पानी को हटाना आसान न हो तो उसमें केरोसीन और मोबील आयल डालें.

घर की खिड़कियों व दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें. पूरी बाहों वाले कपड़े और ऐसे कपडे़ जिससे शरीर का अधिक से अधिक भाग ढका रहे, पहनें. मच्छरों को भगाने व मारने के लिए मच्छर नाशक क्रीम,स्प्रे, मैट्स, कॅाइल्स आदि प्रयोग करें और मच्छरदानी लगाकर सोएं.

डेंगू बुखार के प्रकार

  • अचानक तेज बुखार.
  • सिर में आगे की और तेज दर्द.
  • आंखों के पीछे दर्द और आंखों के हिलने से दर्द में और तेजी.
  • मांसपेशियों (बदन) व जोडों में दर्द.
  • स्‍वाद का पता न चलना व भूख न लगना.
  • छाती और ऊपरी अंगो पर खसरे जैसे दानें.
  • चक्‍कर आना.
  • जी घबराना उल्‍टी आना.

देहरादून: डेंगू मच्छर के काटने से होने वाले बुखार से वैसे तो हर कोई वाकिफ है. लेकिन सीएमओ अनूप कुमार डिमरी ने डेंगू मलेरिया के लक्षणों के संबंध में जानकारी देते हुए आम जनमानस को उसके बचाव के संबंध में जानकारी दी है.

डेंगू मच्छर कैसा होता है और इसका वायरस किस तरह फैलता है?

डेंगू बुखार एक प्रकार के मच्छर के काटने से होता है. मच्छर एक वैक्टर है और इसके द्वारा फैलने वाली बीमारी को मच्छर जनित रोग कहते हैं. डेंगू सभी मच्छरों के काटने से नहीं फैलता है. संक्रमित एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस नामक मादा मच्छर के काटने से यह फैलता है. एडीज मच्छर के शरीर पर काले व सफेद रंग की पट्टियाॅ होती हैं. यह मच्छर ज्यादातर दिन के समय ही काटते हैं. डेंगू का मच्छर साफ व स्थिर पानी में पनपता है. अगर किसी व्यक्ति को डेंगू का संक्रमण है और एडिज मादा मच्छर उस संक्रमित व्यक्ति से खून पीता है तो मच्छर में डेंगू वायरस युक्त खून चला जाता है. यह संक्रमित मच्छर जब किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति डेंगू के वायरस से संक्रमित हो जाता है.


डेंगू मच्छर कहां पाया जाता है.

मानव निर्मित बर्तन, पानी की टंकी, रूम कूलर, फूल दान, टूटी फूटी बोतलें, नारियल का खोल, गमले, टंकी के ढक्कन, पुराने टायर्स व डिब्बे आदि यहां तक कि पत्तियों में भी अगर एक सप्ताह तक पानी ठहरा जाता है तो यह मच्छर आसानी से पनप सकता है. अधिकतर यह मच्छर घर के अंदर ही रहता है और दिन के समय काटता है.

डेंगू वायरस कितने प्रकार का होता है.

डेंगू वायरस चार प्रकार के होते है DEN1 ,DEN2, DEN3, DEN4 डेंगू बुखार को महामारी के रूप में देखा गया है. बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है और डेंगू उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. संक्रमित मच्छर द्वारा स्वस्थ्य व्यक्ति को काटने और व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट होने की अवधि को संक्रमण काल कहते हैं. यह 3-14 दिनों तक होता है. डेंगू बुखार के लक्षण तीन प्रकार का होते हैं, डेंगू साधारण बुखार, डेंगू हॅमरेजिक बुखार,डेंगू शॉक सिंड्रोम है.


डेंगू बुखार के लक्षण.

ठंड लगने के साथ अचानक तेज बुखार चढ़ना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना. इसी कारण इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है. आंखों के पिछलेे भाग में दर्द होना जो आंखों को दबाने या हिलाने से और भी बढ़ जाता है. अत्याधिक कमजोरी लगना, भूख न लगना, गले में दर्द होना, शरीर पर लाल चकते आना, साधारण डेंगू बुखार की अवधि लगभग 5-7 दिन तक रहती है और रोगी स्वयं ठीक हो जाता है. अगर साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ निम्नलिखित लक्षणों में से एक भी लक्षण प्रकट होता है. त्वचा पर गहरे नीले काले रंग के छोटे या बडे़ चिक्कते पड़ जाना, नाक, मसूढों से खून आना आदि रक्स्राव (हैमरेजिक बुखार) के लक्षण हैं. इस प्रकार के डेंगू बुखार में हैमरेजिक बुखार के लक्षणों के साथ कुछ और लक्षण भी प्रकट हो जाते हैं. जैसे रोगी अत्यधिक बेचैन हो जाना और तेज बुखार के बावजूद भी उसकी त्वचा ठंडी महसूस होती है. रोगी धीरे-धीरे होश खोने लगता है. अगर रोगी की नाड़ी देखी जाए तो वह तेज और कमजोर महसूस होती हैं. रोगी का रक्तचाप कम होने लगता है.

डेंगू बुखार का इलाज

साधारण डेंगू बुखार खुद ठीक होने वाला रोग है. इसका उपचार लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है. बुखार के लिए पेरासिटामोल की गोली ही सुरक्षित है. रोगी डिस्प्रिन/एस्पिरिन कभी न दें. सामान्य रूप से भोजन देना जारी रखें व अधिक पानी पिलाए, रोगी को आराम करने दें. अगर रोगी में डेंगू या हैमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिंड्रोम की ओर संकेत करने वाला एक भी लक्षण प्रकट होता नजर आए तो रोगी को जल्द निकटतम अस्पताल में ले जाए. ताकि वहां आवश्यक परीक्षण करके रोग का सही उपचार किया जा सकें. डेंगू हैमरोजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम पर डॉक्टर की राय लें.

पढ़ें: डेंगू को लेकर नगर निगम ने कसी कमर, लापरवाही बरतने पर 80 घरों का चालान

डेंगू की अभी तक कोई टीका नहीं बना है और न ही कोई विषेश दवा तैयार हुई है. डेंगू से बचाव के लिए अपने घर के अंदर और आसपास मच्छरों को न पनपने दें. घर और उसके आसपास पानी एकत्र न होने दें. क्योंकि रुके हुए पानी में ही मच्छर पैदा होते हैं. कूलर, फूलदान, रिफ्रेजिरेटर की ट्रे आदि का पानी, सप्ताह में एक बार पूरी तरह खाली करें. साथ ही सुखा करके ही प्रयोग करें. किसी भी खुले बर्तन बेकार टूटी-फूटी बोतलों, टायरों, डिब्बों, नारियल के खोल, गमले आदि में पानी एकत्रित न होने दें. पानी की टंकियों को ढक कर रखें. ताकि मच्छर उसमें प्रवेश न कर पाए और घर के आसपास के क्षेत्र में सफाई रखें. घर की बेकार वस्तुएं और कूडा-करकट इधर-उधर न फेंके. गड्ढों को पूरी तरह भर दें और नालियों को साफ रखें उनमें पानी न रूकें और पानी का बहाव सही प्रकार सें होंने दें. आसपास भरा हुआ पानी को हटाना आसान न हो तो उसमें केरोसीन और मोबील आयल डालें.

घर की खिड़कियों व दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें. पूरी बाहों वाले कपड़े और ऐसे कपडे़ जिससे शरीर का अधिक से अधिक भाग ढका रहे, पहनें. मच्छरों को भगाने व मारने के लिए मच्छर नाशक क्रीम,स्प्रे, मैट्स, कॅाइल्स आदि प्रयोग करें और मच्छरदानी लगाकर सोएं.

डेंगू बुखार के प्रकार

  • अचानक तेज बुखार.
  • सिर में आगे की और तेज दर्द.
  • आंखों के पीछे दर्द और आंखों के हिलने से दर्द में और तेजी.
  • मांसपेशियों (बदन) व जोडों में दर्द.
  • स्‍वाद का पता न चलना व भूख न लगना.
  • छाती और ऊपरी अंगो पर खसरे जैसे दानें.
  • चक्‍कर आना.
  • जी घबराना उल्‍टी आना.
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