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कालसी एकलव्य आवासीय विद्यालय के प्राचार्य और उप प्राचार्य को वापस लाने की मांग, आंदोलन की चेतावनी - देहरादून समाचार

कालसी स्थित एकलव्य आवासीय विद्यालय के छात्र छात्राओं ने आवासीय स्कूल के प्रधानाचार्य जीसी बडोनी व उप प्राचार्य को वापस लाने की मांग की है. छात्रों की मांग नहीं माने जाने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है.

Eklavya Residential School
कालसी एकलव्य आवासीय विद्यालय
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Published : Sep 20, 2022, 3:36 PM IST

देहरादून: कालसी एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के छात्र छात्राएं प्रधानाचार्य रहे जीसी बडोनी और उप प्राचार्य के समर्थन में उतर आए हैं. मंगलवार को एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के छात्र छात्राएं गांधी पार्क में एकत्रित हुए और जीसी बडोनी और उप प्राचार्य सुधा पैन्यूली को विद्यालय में वापस लाने की मांग उठाई.

छात्र छात्राओं का कहना है कि विद्यालय में अलग-अलग मुद्दों को लेकर प्राचार्य रहे डॉ गिरीश चंद्र बडोनी और उप प्रधानाचार्य रहीं सुधा पैन्यूली को इतना प्रेशराइज किया गया कि उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा. छात्र छात्राओं का कहना है कि हम एकलव्य की एलुमनाई एसोसिएशन के हिस्सा हैं और हम यह कहना चाहते हैं कि आखिर क्यों एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान (National Teacher Award) से सम्मानित 2 शिक्षकों को जबरन इस्तीफा देना पड़ा.

छात्र सौरभ पंवार का कहना है कि दोनों शिक्षकों ने अपना संपूर्ण जीवन अपने छात्रों के भविष्य को संवारने में लगा दिया. इन शिक्षकों को 2010 में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की नींव को मजबूत करने का जिम्मा दिया गया था, जो भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड की अनुसूचित जनजातियों जिसमें जौनसारी, बोक्सा, थारू, राजी और भूटिया जनजाति शामिल हैं. इन शिक्षकों ने अपने अथक परिश्रम के बूते छात्र छात्राओं को मेधावी बनाने के साथ इस शिक्षण केंद्र को राज्य के उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों की कतार में ला खड़ा किया. सौरव पंवार ने कहा कि इतनी कड़ी मेहनत करने के बाद इन शिक्षकों पर पारितोषिक के रूप में बेबुनियाद भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए. इसका छात्र-छात्राएं घोर विरोध करते हैं और उन्हें वापस लाए जाने की मांग करते हैं.
ये भी पढ़ें: खटीमा को एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की सौगात, थारू जनजाति के लोगों के साथ नाचे CM धामी

छात्र-छात्राओं ने आरोप लगाया कि जनजाति निदेशालय में तैनात एक अधिकारी मनमानी कर प्राचार्य और उप प्राचार्य का उत्पीड़न कर रहे थे, और उन पर बेबुनियाद भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए. ताकि जनजाति कल्याण विभाग के कुछ अधिकारी विद्यालय के लिए आए फंड से अपनी जेबों को भर सकें. ऐसे में उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि इन दोनों शिक्षकों ने अपने आत्म सम्मान की रक्षा करने के लिए मजबूर होकर अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि दोनों को शीघ्र वापस नहीं लाया जाता है तो उन्हें बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

देहरादून: कालसी एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के छात्र छात्राएं प्रधानाचार्य रहे जीसी बडोनी और उप प्राचार्य के समर्थन में उतर आए हैं. मंगलवार को एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के छात्र छात्राएं गांधी पार्क में एकत्रित हुए और जीसी बडोनी और उप प्राचार्य सुधा पैन्यूली को विद्यालय में वापस लाने की मांग उठाई.

छात्र छात्राओं का कहना है कि विद्यालय में अलग-अलग मुद्दों को लेकर प्राचार्य रहे डॉ गिरीश चंद्र बडोनी और उप प्रधानाचार्य रहीं सुधा पैन्यूली को इतना प्रेशराइज किया गया कि उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा. छात्र छात्राओं का कहना है कि हम एकलव्य की एलुमनाई एसोसिएशन के हिस्सा हैं और हम यह कहना चाहते हैं कि आखिर क्यों एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान (National Teacher Award) से सम्मानित 2 शिक्षकों को जबरन इस्तीफा देना पड़ा.

छात्र सौरभ पंवार का कहना है कि दोनों शिक्षकों ने अपना संपूर्ण जीवन अपने छात्रों के भविष्य को संवारने में लगा दिया. इन शिक्षकों को 2010 में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की नींव को मजबूत करने का जिम्मा दिया गया था, जो भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड की अनुसूचित जनजातियों जिसमें जौनसारी, बोक्सा, थारू, राजी और भूटिया जनजाति शामिल हैं. इन शिक्षकों ने अपने अथक परिश्रम के बूते छात्र छात्राओं को मेधावी बनाने के साथ इस शिक्षण केंद्र को राज्य के उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों की कतार में ला खड़ा किया. सौरव पंवार ने कहा कि इतनी कड़ी मेहनत करने के बाद इन शिक्षकों पर पारितोषिक के रूप में बेबुनियाद भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए. इसका छात्र-छात्राएं घोर विरोध करते हैं और उन्हें वापस लाए जाने की मांग करते हैं.
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छात्र-छात्राओं ने आरोप लगाया कि जनजाति निदेशालय में तैनात एक अधिकारी मनमानी कर प्राचार्य और उप प्राचार्य का उत्पीड़न कर रहे थे, और उन पर बेबुनियाद भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए. ताकि जनजाति कल्याण विभाग के कुछ अधिकारी विद्यालय के लिए आए फंड से अपनी जेबों को भर सकें. ऐसे में उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि इन दोनों शिक्षकों ने अपने आत्म सम्मान की रक्षा करने के लिए मजबूर होकर अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि दोनों को शीघ्र वापस नहीं लाया जाता है तो उन्हें बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

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