देहरादून: प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था की मुख्य जिम्मेदारी पुलिस के हाथों में होती है. वहीं, आंकड़ों के हिसाब से देखें तो उत्तराखंड में 2019 में हुए प्रदर्शनों के कारण धरना प्रदेश बन गया. पुलिस पूरे साल धरना प्रदर्शन और VIP, VVIP मूवमेंट में व्यस्त दिखाई दी.
उत्तराखंड पुलिस ने एक आंकड़ा जारी किया है. इन अलग-अलग मामलों के आंकड़े सामने आकर सालभर की अपनी-अपनी कहानी बयां कर रहे हैं. हर साल की तरह इस बार भी उत्तराखंड राज्य सरकार से अनगिनत मांगों को लेकर कई प्रदर्शन, जुलूस और रैलियां निकाली गई.
ज्यादातर सरकारी विभाग के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन, रैली, जुलूस चक्का जाम, आमरण अनशन जैसे कई मामलों को लेकर आंदोलित नजर आए. साल भर पुलिस इन धरनों के कारण सूबे की जनता की सुरक्षा को दूसरी प्राथमिकता देती नजर आई. जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रतिदिन पुलिस 5 VVIP कार्यक्रम में व्यस्त रही.
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एक नजर में आंकड़े (1 जनवरी 2019 से 30 नवंबर 2019 तक) के 11 महीनों में कुल 7953 इस तरह के मामले सामने आए.
धरना | 5456 |
प्रदर्शन | 1561 |
जुलूस | 536 |
चक्का जाम | 47 |
आमरण अनशन | 381 |
रेल रोको | 1 |
तालाबंदी | 109 |
चेतावनी | 36 |
घेराव | 49 |
बंद | 48 |
मशाल जुलूस | 20 |
कैंडल मार्च | 50 |
वहीं, साल 2019 में पुलिस ने राज्य की जनता से ज्यादा VVIP और VIP भ्रमण कार्यक्रम में अपनी ड्यूटी निभाई. जनता की सुरक्षा और कानून व्यवस्था दूसरे प्राथमिकता में रखकर लगभग प्रतिदिन वीआईपी, वीआईपी कार्यक्रमों और सुरक्षा में व्यस्त रही. अधिकारिक पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 के जनवरी से नवंबर माह तक वीवीआईपी और वीआईपी कार्यक्रम 1555 रहे. इसके हिसाब से प्रतिदिन औसतन पांच वीआईपी भ्रमण कार्यक्रम में पुलिस व्यस्त नजर आई.