देहरादून: बीएएमएस फर्जी डिग्री मामले में थाना नेहरू कॉलोनी पुलिस ने 16वीं गिरफ्तारी की है. पुलिस ने फर्जी बीएएमएस डॉक्टर गुरफान, निवासी चमेलियन रोड, जीपीओ उत्तरी दिल्ली को गिरफ्तार किया है. आरोपी ने साढ़े छह लाख में फर्जी बीएएमएस की डिग्री हासिल की थी.
बता दें कि उत्तराखंड एसटीएफ ने 10 जनवरी को बीएएमएस फर्जी डिग्री मामले में मुजफ्फरनगर के बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन इमरान और दो डॉक्टरों को गिरफ्तार किया था. इस दौरान खुलासा हुआ कि गैंग का मुख्य सरगना इमरान का भाई इमलाख है. जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस जांच में अब तक उत्तराखंड में फर्जी डिग्री से पंजीकृत हुए 55 डॉक्टर चिन्हित किए जा चुके हैं. इनमें 12 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं और तीन ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया.
बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज में जांच टीम को छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज बरामद हुए. दस्तावेज की जांच में 6 ऐसे डॉक्टरों के दस्तावेज मिले, जिन्हें फर्जी डिग्री देकर यूपी में पंजीकरण कराया गया. वहीं चार डॉक्टर ऐसे मिले, जिन्हें फर्जी डिग्री देकर हरियाणा में पंजीकरण कराया गया. दोनों राज्यों के पुलिस महानिदेशक को जिला पुलिस फर्जी दस्तावेजों के साथ मामले में केस दर्ज कर विस्तृत जांच के लिए रिपोर्ट भेजी है. फर्जीवाड़ा करने वाले इस गैंग में शामिल सरगना इमलाख के भाई सद्दाम और आशिफ को आरोपी बनाया गया है.
थाना नेहरू कॉलोनी प्रभारी लोकेंद्र सिंह ने बताया गुरफान को इमलाख और उसके भाई सद्दाम ने बताया तुम्हें राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साईंस कर्नाटक बैंगलौर से बीएएमएस की डिग्री दिला देंगे. क्योंकि उनका खुद का मुजफ्फरनगर में मेडिकल कॉलेज है, जो यूनिवर्सिटी से संबंद्ध है. दोनों ने गुरफान को असली डिग्री देने और हफ्ते में एक बार कॉलेज में आकर हाजिरी देनी की बात कही. जिसके लिए फीस के रूप में गुरफान से साढ़े छह लाख रुपये मांगे गए. गुरफान दोनों के झांसे में आया गया और साढ़े छह लाख में डिग्री लेने को राजी हो गया.
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गुरफान कुछ समय कॉलेज में भी गया, जहां पर उसे इमलाख का भाई आसिफ भी मिला. आसिफ ने गुरफान को बताया की लास्ट में परीक्षा होगी. जिसके बाद ही डिग्री मिलेगी. इस दौरान इन लोगों ने गुरफान से कुछ पेपरों मे हस्ताक्षर करवाते थे और परीक्षा की तारीख टालते रहते थे. कुछ समय टालने के बाद इन्होने साल 2013 की राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंस कर्नाटक बैंगलोर की बीएएमएस की डिग्री गुरफान को दे दी और भारतीय चिकित्सा परिषद के बाहर बुलाकर कुछ फॉर्म में साइन करवाने के बाद चिकित्सा परिषद में फॉर्म जमा करने को दे दिए, उसके कुछ दिन बाद रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दे दिया.
जब रजिस्ट्रेशन हो गया तो गुरफान को लगा कि सारा काम असली है. इन्होंने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर पता देहरादून का महबूब कॉलोनी अंकित कराया, जहां पर गुरफान कभी रहा ही नहीं है. तीनों लोगों ने तीन बार में गुरफान से भारतीय चिकित्सा परिषद के बाहर कुल साढे छह लाख रुपये नकद लिए, जो इमलाख, सद्दाम और आसिफ ने आपस में बांट लिए. तीनों खुद को आपस में भाई बताते थे. सद्दाम खुद को बाबा कॉलेज का पीआरओ बताता था. वहीं, आसिफ खुद को कॉलेज का डिस्पैच हेड बताता था.