देहरादून: जिलाधिकारी सोनिका ने एक मां की ममता को समझते हुए उसे उसके दो साल के बच्चे से न केवल मिलवाया, बल्कि बच्चे को उसकी मां के साथ रहने की इजाजत दिलवाई. इससे पहले बच्चे की मां उसकी कस्टडी के लिए यहां से वहां भटक रही थी, मगर उसे उसके बच्चे से नहीं मिलने दिया जा रहा था. उसके पति ने उसे मारपीट कर घर से भगा दिया था. तब से मां अपने बच्चे को पाने के लिए तरस रही थी.
हरिपुर कला की रहने वाली खुशबू ने बताया उसकी शादी मुजफ्फरनगर में हुई थी. उसके बाद उनके ससुराल वालों ने फरवरी में उसे घर से निकाल दिया था. पुलिस ने उनकी काउंसलिंग भी करवाई. हर काउंसलिंग में वह बच्चे को वापस दिलाने का मांग करती रही, मगर उसे उसका बच्चा वापस नहीं मिला. खुशबू के किसी परिचित ने महिला को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली जन सुनवाई में फरियाद ले जाने को कहा.
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इसके बाद खुशबू ने जन सुनवाई में जिलाधिकारी देहरादून को अपनी पीड़ा सुनाई. जिस पर जिलाधिकारी ने 28 मार्च को रेखीय विभाग को उनकी ओर से पुलिस को पत्र प्रेषित कर बच्चा वापस दिलाए जाने के संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश दिए. जिस पर संबंधित राज्य के रेखीय विभाग से समन्वय बनाते हुए खुशबू शर्मा को उसका बच्चा दिलवाया. जिसके बाद खुशबू की खुशी का ठिकाना नहीं है. खुशबू वर्मा ने जिलाधिकारी और राज्य सरकार सहित संबंधित अधिकारियों का धन्यवाद दिया.
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मामले में जिलाधिकारी सोनिका ने बताया जनसुनवाई में महिला अपने दो साल के बच्चे के लिए आई थी. ससुराल वालों के बच्चा नहीं देने पर पुलिस विभाग के साथ पत्राचार किया गया. उसके बाद महिला को बच्चा दिलाया गया. साथ ही जनसुनवाई के दौरान सभी एसडीएम को निर्देश दिए कि उनके क्षेत्र में संचालित हो रहे खनन पट्टे और स्टोन क्रशर जिनकी समय सीमा पूरी हो चुकी है, उन्हें तत्काल बंद करवाते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करें.