देहरादून: महात्मा बुद्ध का नाम जेहन में आते ही प्रेम, शांति, दया और करूणा के मूरत सामने उभर जाती है. इसी गुणों से देश ही नहीं विदेश के लोगों को भी आकर्षित किया. जिससे वे बौद्ध धर्म के बताये मार्ग पर खिंचे चले आये. वहीं आज हम देहरादून के क्लेमेंट टाउन में स्थित बुद्धा टेंपल से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. जो खूबसूरत मठों में से एक है. जिसे मैन रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है.
तीन मंजिला बुद्धा टेंपल को देखने खिंचे चले आते हैं लोग, 103 फीट की मूर्ति है आकर्षण का केन्द्र - बौद्ध धर्म
देहरादून के क्लेमेंट टाउन में स्थित बुद्धा टेंपल से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. जो खूबसूरत मठों में से एक है. जिसे मैन रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि 6 प्रसिद्ध मठ में से ये बुद्धा टेंपल भी एक है. जो एशिया में मेंड्रोलिंग 'बुध मोनेस्ट्री' के नाम से प्रसिद्ध है.
देहरादून: महात्मा बुद्ध का नाम जेहन में आते ही प्रेम, शांति, दया और करूणा के मूरत सामने उभर जाती है. इसी गुणों से देश ही नहीं विदेश के लोगों को भी आकर्षित किया. जिससे वे बौद्ध धर्म के बताये मार्ग पर खिंचे चले आये. वहीं आज हम देहरादून के क्लेमेंट टाउन में स्थित बुद्धा टेंपल से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. जो खूबसूरत मठों में से एक है. जिसे मैन रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है.
तीन मंजिला बुद्धा टेंपल को देखने खिंचे चले आते हैं लोग, 103 फिट की मूर्ति है आकर्षण का केन्द्र
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देहरादून: महात्मा बुद्ध का नाम जेहन में आते ही प्रेम, शांति, दया और करूणा के मूरत सामने उभर जाती है. इसी गुणों से देश ही नहीं विदेश के लोगों को भी आकर्षित किया. जिससे वे बौद्ध धर्म के बताये मार्ग पर खिंचे चले आये. वहीं आज हम देहरादून के क्लेमेंट टाउन में स्थित बुद्धा टेंपल से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. जो खूबसूरत मठों में से एक है. जिसे मैन रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है.
माना जाता है कि 6 प्रसिद्ध मठ में से बुद्धा टेंपल भी एक है. जो एशिया में मेंड्रोलिंग 'बुध मोनेस्ट्री' के नाम से प्रसिद्ध है. साथ ही मेंड्रोलिंग मठ 4 तिब्बती धर्म के विद्यालयों में से भी एक है. जिसे निंगमा नाम से जाना जाता है. वहीं अन्य 3 बौद्ध धर्म विद्यालयों को साक्या, काग्यू और गेलुग कहा जाता है. देहरादून क्लेमेंटाउन में बुद्धा टेंपल का निर्माण वर्ष 1965 में किया गया. जिसे स्थापित करने का उद्देश्य बौद्ध धर्म की संस्कृति और शांति के संदेश को देश-विदेश में पहुंचाना था. आज इस मठ में सैलानियों का तांता लगा रहता है.
इस मठ में बच्चे भिक्षुक बनने के लिए आते हैं. जिनकी शिक्षा-दीक्षा इसी मठ में होती है. जिसकी कोई फीस नहीं ली जाती. यह मठ जापानी वास्तु कला शैली के अनुसार बनाया गया है. तीन मंजिला बुद्धा टेंपल के बारे में यह मान्यता है कि यह एशिया का सबसे बड़ा बुद्धिस्ट का समाधि स्तूप है. यहां लॉर्ड बुद्धा और गुरु पदसंभावा की प्रतिमा है. साथ ही मठ के अंदर स्थित बुद्ध की 103 फिट की मूर्ति लोगों को खासा आकर्षित करती है.
मान्यता है कि इस मठ में रोलर को घुमाने से हर मुराद पूरी होती है. जिसे देखने हर साल देश विदेश से हजारों लोग पहुंचते हैं. जहां से सैलानी आस-पास के नैसर्गिक सौन्दर्य के साथ ही देहरादून का दीदार कर सकते हैं.
Conclusion: