देहरादून: राज्य स्थापना के बाद से ही उत्तराखंड पर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है. वहीं, विपक्षी दल अब भाजपा सरकार पर पिछले 6 साल के दौरान इस कर्ज को दोगुना करने का आरोप लगा रहा हैं. फिलहाल 2021-22 तक राज्य पर करीब 73 हजार करोड़ का कर्ज है. जिसको लेकर भाजपा और विपक्षी दल आमने सामने हैं.
उत्तराखंड के लिए राजस्व एक बड़ा विषय रहा है. आर्थिक रूप से कमजोर उत्तराखंड के लिए लगातार कर्ज बढ़ना एक बड़ी चिंता का विषय है. सबसे बड़ी बात यह है कि हर साल कर्ज का एक नया और बड़ा ग्राफ सामने आ रहा है. जिसने राज्य के भविष्य पर बड़े संकट को जाहिर कर दिया है. फिलहाल राज्य पर करीब 73 हजार करोड़ का कर्ज है.
मौजूदा स्थिति में यह कर्ज और भी तेजी से ऊपर बढ़ रहा है. यह स्थिति तब है जब उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है और केंद्र में भी पिछले करीब 10 साल से भाजपा ही सत्ता में है. उधर उत्तराखंड में भी सरकार को 6 साल पूरे हो चुके हैं. ऐसे में राजनीतिक दल भाजपा पर राज्य को कर्ज में डुबाने का आरोप लगा रहे हैं.
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भाजपा सरकार ने पिछले 6 साल में इस कर्ज को दोगुना कर दिया है. आम आदमी पार्टी के संयोजक जोत सिंह बिष्ट कहते हैं कि जो स्थिति राज्य की हो गई है, इसको लेकर अब तक हुए गलत कार्यों की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए. ताकि बढ़ रहे कर्ज के पीछे का राज खुल सके.
आम आदमी पार्टी का कहना है कि कर्ज का दबाव बढ़ रहा है. वहीं, चिंता इस बात की है कि जो कर्ज लिया जा रहा है, वह विकास कार्यों पर ठीक से नहीं लग रहा. इसीलिए सरकार ना तो कर्ज लेकर विकास कार्य कर रही है और ना ही कर्ज को कम करने में कामयाब हो पाई है.
जिसके जवाब में भाजपा विधायक विनोद चमोली अपनी सरकार का बचाव करते नजर आये. विनोद चमोली ने कहा विपक्ष का काम ही आरोप लगाने का है, लेकिन हकीकत यह है कि कर्ज को सही जगह लगाया जा रहा है. इसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं विकास कार्यों पर लगे बजट का पूरा हिसाब देते हुए भी तमाम मंचों से नजर आते हैं.