देहरादूनः उत्तराखंड में साइबर अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. ताजा मामला ऋषिकेश कोतवाली क्षेत्र का है, जहां शिकायतकर्ता सुमेर सिंह से SBI बैंक का कस्टमर केयर अधिकारी बनकर 3 लाख 30 हजार रुपए की धोखाधड़ी की गई है. हालांकि मामले पर तुरंत कार्रवाई करते हुए साइबर पुलिस टीम ने संबंधित वॉलेट नोडल अधिकारियों से संपर्क कर शिकायतकर्ता के 1 लाख 26 हजार रुपए रिकवर कराए. इस मामले में थाना ऋषिकेश साइबर पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है.
बीमारी के नाम पर 70 हजार रुपए ठगे
देहरादून के कोतवाली क्षेत्र खुड़बुड़ा के साइबर पुलिस स्टेशन पर शिकायतकर्ता ने तहरीर दी है. शिकायतकर्ता के मुताबिक कुछ दिन पहले एक अज्ञात शख्स ने उसकी पत्नी को अपना परिचित बताते हुए स्वास्थ्य अत्यधिक खराब होने का हवाला देकर आर्थिक मदद की गुजारिश की. जिसके बाद पत्नी ने बैंक से 70 हजार रुपए उक्त शख्स के खाते में ट्रांसफर कर दिए. हालांकि कुछ दिन बाद इस मामले में पूरी जानकारी मिली तो मामला साइबर क्राइम से जुड़ा मिला. शिकायतकर्ता के प्रार्थना पत्र के आधार पर साइबर क्राइम पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज कर अज्ञात के खिलाफ जांच पड़ताल शुरू कर दी है.
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फेसबुक में दोस्ती, ब्लैकमेलिंग और साइबर ठगी
देहरादून के भाउवाला ग्रामीण के शख्स के मुताबिक कुछ दिनों पहले उसकी फेसबुक पर एक अनजान महिला के साथ दोस्ती हुई. दोस्ती आगे बढ़ी तो घंटों चैटिंग होने लगी. इस दौरान शख्स ने अपनी कई पर्सनल फोटो और वीडियो महिला को भेजे. कुछ समय बाद पीड़ित को एक अनजान फोन आया. फोन में शख्स पीड़ित को महिला के बीच हुई चैटिंग और अश्लील फोटो-वीडियो को सोशल मीडिया में वायरल करने की धमकी देने लगा.
डर से पीड़ित ने शख्स के खाते में 5 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए. लेकिन उसके बावजूद भी लगातार रुपए की मांग की जा रही थी. तंग आकर पीड़ित ने देहरादून साइबर पुलिस को प्रार्थना पत्र देकर मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही ट्रांसफर किए गए 5 हजार की रकम भी ऑनलाइन होल्ड करा दिया है. फिलहाल साइबर पुलिस इस मामले में मुकदमा दर्ज कर अज्ञात कॉलर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में जुटी है.
क्या है साइबर क्राइम
उत्तराखंड में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़े हैं. साइबर क्राइम को कम्प्यूटर क्राइम के नाम से भी जाना जाता है. कम्प्यूटर्स और इंटरनेट से की गई किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियां साइबर क्राइम की श्रेणी में आती हैं. कॉल स्पूफिंग यानी इंटरनेट के जरिए दूसरों के मोबाइल और लैंडलाइन नंबर की फेक कॉल के माध्यम से किसी को परेशान करना भी साइबर अपराध के दायरे में आता है. इसके अलावा सरकारी या महत्वपूर्ण कारोबारी दस्तावेजों या फिर किसी की निजी जानकारी को इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से चुराना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है.
जागरूकता की कमी
साइबर अपराध के बढ़ते ग्राफ की एक प्रमुख वजह लोगों में जागरूकता की कमी भी है. जागरूकता के अभाव में हर तबके के लोग आए दिन बड़ी आसानी से साइबर क्राइम का शिकार हो रहे हैं. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में साइबर अपराध और तेजी के साथ पैर पसारेगा.
साइबर ठगी में तत्काल लेनी चाहिए पुलिस की मदद
उत्तराखंड में साइबर ठग आए दिन नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को अपने जाल में फांस लेते हैं. हालांकि लगातार शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड साइबर पुलिस अपराधियों का सुराग लगाकर उनकी धरपकड़ करने की कार्रवाई जारी रखे हुए हैं. लेकिन देश के कई हिस्सों में इन अपराधियों के अलग-अलग ठिकानों में पहुंचना कई तरह की तकनीकी वजह से चुनौतीपूर्ण कार्य है. लेकिन इसके बावजूद उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस इन पर शिकंजा कसने के लिए लगातार प्रयासरत है.